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सुपौल/ कुपोषण भगाने के लिए कर्मी लगातार प्रयासरत

दूर किया जाएगा आठ माह के बादल का कुपोषण

अभी 13 बच्चे हैं पोषण पुनर्वास केन्द्र में

किया जाएगा बादल को सुपोषित एवं स्वस्थ्य

जिले से कुपोषण मिटाने के लिए सभी का सहयोग जरूरी

सुपौल : जिले को कुपोषण मुक्त करने के लिए सिविल सर्जन डा. मिहिर कुमार वर्मा द्वारा जिले के सभी प्रखंडों से कुपोषित बच्चों की पहचान करते हुए उसे जिला मुख्यालय स्थित पोषण पुनर्वास केन्द्र पर भेजने के निदेश जारी किये गये थे। जिसके आलोक में जिले के प्रखंडों से कुपोषित बच्चों की पहचान कर उसे पोषण पुनर्वास केन्द्र (Nutrition Rehabilitation Center- एनआरसी) सुपौल लाया जा रहा है। जहां चिह्नित कुपोषित बच्चों को कुपोषण मुक्त किया जाएगा।


जिला पोषण पुनर्वास केन्द्र के नोडल पदाधिकारी बालकृष्ण चौधरी ने बताया जिला स्थित पोषण पुनर्वास केन्द्र में अभी कुल 13 बच्चे लाये गए हैं। जिनकी पहचान स्थानीय आंगनबाड़ी केन्द्रों एवं गृह भ्रमण कर आशा कार्यकत्ताओं द्वारा की गयी है। उनकी पहचान के बाद पोषण पुनर्वास केन्द्र के चिकित्सक द्वारा उनकी पोषण की जांच की जाती एवं कुपोषित पाये जाने पर उनके कुपोषण के कारणों एवं बीमारियों का इलाज किया जाता है। इसी क्रम में किशनपुर प्रखंड के खखई गांव के 8 माह के बादल कुमार को आज जिला पोषण पुनर्वास केन्द्र सुपौल में आशा सविता कुमारी द्वारा लाया गया।


जिला पोषण पुनर्वास केन्द्र के सीबीसीई (कम्युनिटी बेस्ड केयर एक्सटेंडर) आशुतोष राज ने बताया पोषण पुनर्वास केन्द्र लाए गए 8 माह के अतिकुपोषित बादल की पहले जांच की गई । जांच के दौरान एमयूएसी 11 सेमी, वजन 5.8 किलो, ऊँचाई 65.6 सेमी एवं सी-स्केल माइनस 3 एसडी था। साथ हीं वह सर्दी व कफ का शिकार था। पोषण पुनर्वास केन्द्र पर आने के बाद उसे केन्द्र पर कार्यरत चिकित्सक के परामर्श के अनुरूप दवाओं एवं कुपोषण दूर करने के लिए वहाँ कार्यरत आहार विशेषज्ञ द्वारा उचित आहार का सेवन कराते हुए कुपोषण मुक्त किया जाएगा। उन्होंने बताया वैसे पोषण पुनर्वास केन्द्र पर बच्चों को 14 दिनों तक रखा जाता है लेकिन इस अवधि को बच्चे के उम्र के हिसाब से वजन आने तक विस्तारित की जा सकती है। बादल को दिये जा रहे आहार के बारे में सीबीसीई द्वारा बताया गया कि कुपोषित बच्चों को एफ- 75, एफ- 100, दलिया, हलवा, खिचड़ी आदि का सेवन निर्धारित समय अंतराल पर कराया जाएगा। उन्होंने बताया अतिकुपोषित बच्चों की पहचान एवं उसे पोषण पुनर्वास केन्द्र पर लाने के लिए आशा को प्रोत्साहन राशि एवं बच्चे के साथ आये सहचर या माता को भी जब तक बच्चा सुपोषित न हो जाये सरकार द्वारा निर्धारित राशि दी जाती है।


जिला पोषण पुनर्वास केन्द्र के नोडल पदाधिकारी बालकृष्ण चौधरी ने प्रखंड सामुदायिक उत्पेरकों, क्षेत्र में गये स्वास्थ्य कर्मियों, आशा कार्यकत्ताओं, आंगनबाड़ी सेविकाओं एवं समेकित बाल विकास परियोजना के कर्मियों, स्वास्थ्य विभाग के सहयोग संस्था डब्ल्युएचओ, यूनिसेफ, हितधारी संगठन जीविका एवं अन्य तथा स्थानीय जनप्रतिनिधियों व बुद्धिजीवियों को जिले से कुपोषण मिटाने के लिए अपील करते हुए कहा कि जब भी वे क्षेत्रों में भ्रमण अथवा गृह भ्रमण कार्यक्रमों के दौरान सामुदायिक स्तर पर लोगों से मिलें तो अतिकुपोषित बच्चों की पहचान करते हुए उसे पोषण पुनर्वास केन्द्र पर लायें। हम सभी के सहयोग से ही सुपौल जिला कुपोषण मुक्त हो पायेगा।