कविता/ इंद्रदेव की कृपा से मेघराज करें बारिश
इन्द्र देव की कृपा से बारिश आया है।
छाता छतरी रेनकोट वर्षा में लाया है।
स्वागतम आपका हे वर्षा के मेघराज।
आप के ही वर्षा से होता कृषि काज।
बिजली चमके दमके बारिश गिरती है।
धरा की बुझती प्यास तृप्ति मिलती है।
किसानों के चेहरों पर ख़ुशी आती है।
खेती किसानी को ये बारिश भाती है।
धान की भी शुरू हो जाती है रोपाई।
वर्षा न आये तो आये बड़ी है रुलाई।
सूखा पड़ जाता है अन्न नहीं मिलता।
आत्म हत्या भी किसान कहीं करता।
मेघराज के आगमन का करें इंतजार।
रंग-रंग के बादलों से वर्षा हो भरमार।
मेघराज के कृपा से नदियों में उफान।
बाढ़ भी आ जाये व होता है नुकसान।
घर गृहस्थी उजड़ती गिरते हैं मकान।
लोग परेशां हों उड़ जाती ये मुस्कान।
रह-2 वर्षा होती इस वर्षा के मौसम।
सोंधी मिट्टी की ख़ुश्बू देता ये मौसम।
अच्छा लगता है जब ये बारिश होती।
तन मन ख़ुश होता है जब वर्षा होती।
बारिश के मौसम में ऐसा भी होता है।
कहीं पे वर्षा होती कहीं ये न होता है।
कहीं बरसे इतना पानी जी भर जाता।
कही बाढ़ आती जल प्रलय हो जाता।
जीना मुश्किल हो जाता है बारिश में।
सड़क संपर्क कट जाता है बारिश में।
काम भर की ही बारिश से चले काम।
अतिवृष्टि का तो होता यही परिणाम ।