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पटना/ बिना मतलब ब्राह्मण समाज की आलोचना करने पर परशुराम सेना चुप नहीं बैठेगी : गोविंद

सकल संसार के सभी प्राणियों के कल्याण व समृद्धि की कामना करता है ब्राह्मण : प्रवीण गोविन्द

पटना : अंतर्राष्ट्रीय ब्राह्मण महासंस्था परशुराम सेना प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष सह वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण गोविन्द ने कहा है कि ब्राह्मण सकल संसार के सभी प्राणियों के कल्याण व समृद्धि की कामना करता है। वह कभी भूलकर भी किसी का अनिष्ट नहीं चाहता। अब सवाल उठता है कि ब्राह्मण की आलोचना क्यों? क्या ब्राह्मण का विरोध कर वोट की राजनीति उचित है? श्री गोविन्द ने कहा कि धैर्य की भी एक सीमा होती है। बिना मतलब ब्राह्मण समाज की आलोचना करने पर परशुराम सेना चुप नहीं बैठेगी। हम चूलें हिलाकर रख देंगे। हमलोग चूड़ी पहनकर नहीं बैठे हैं, जो डर जाएंगे। उन्होंने कहा कि लोगों को आग पर पानी देना चाहिए घी नहीं।

हमारे लिए हमारा देश सर्वोपरि “

परशुराम सेना के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि गलत सोच समाज व राष्ट्र के उत्थान एवं विकास में बाधक होती है। इसलिए गलत सोच का खंडन समाजहित में जरूर करना चाहिए। जात-पात, भाषा, प्रांतवाद को छोड़कर हमारे लिए हमारा देश सर्वोपरि है। कई बार समाज के लोगों से कुछ गलतियां होती हैं, लेकिन उनको मिल-बैठकर सुलझाना समय की मांग है। बोले, ब्राह्मण समाज के ऊपर बिना सिर-पैर के आरोप लगाए जाते हैं, जबकि सच यह है कि समय- समय पर ब्राह्मण महापुरुषों ने समाज में फैली कुरीतियों एवं दलितों पर अत्याचार को दूर करने के लिए समाज में बहुत बड़े बदलाव लाने में अपना बहुमूल्य योगदान दिया। चाणक्य एक ऐसी महान विभूति थे जिन्होंने अपनी विद्वता व क्षमताओं के बल पर भारतीय इतिहास की धारा को बदल दिया। उनके द्वारा राजनीति में निर्धारित नीतियां आज भी प्रभावशाली है | झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों तक को न्योछावर कर महिला वर्ग के लिए एक अदभुत उदहारण स्थापित की। मदनमोहन मालवीय, राम प्रसाद बिस्मिल, गोपालकृष्ण गोखले, गंगाधर तिलक, पं. जवाहर लाल नेहरु, सुभाष चन्द्र बोस, अटल बिहारी वाजपेयी आदि ने आज़ादी की लड़ाई में अपना अमूल्य व महत्वपूर्ण योगदान दिया। मंगल पांडे, चंद्रशेखर आजाद ने तो अपने प्राणों तक को सहर्ष न्योछावर करने में भी संकोच नहीं किया। स्वामी दयानंद सरस्वती भी समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने व दलितों के उद्धार के लिए जीवन भर प्रयास करते रहे। श्री गोविन्द ने ब्राह्मण विरोधियों से कहा है कि बिना मतलब ब्राह्मण समाज का विरोध छोड़िए, समाज को जोड़िए।