News4All

Latest Online Breaking News

कविता/ कान्हा से प्रेम


कान्हा से मीरा को प्रेम हो गया,
हो गई मगन सब जान ही गया।

कान्हा की मूड़त हृदय में बसी।
पूजा उन्ही की ओ करने लगी ।

उठाई वीणा भजन गाने लगी,
सुध बुध खोई भजन में लगी।

दोनों हाथों से कान्हा की मूड़त लिए,
हर जगह घुम -घुम कर दिखाने लगी।

लगी बहुत लांछन पर न घबराई,
जहर की घूंट ओ पी ही गई ।

कान्हा कृपा से कुछ न हुआ
अमृत बन गया मीरा जी ही गई।

मीरा भजन जग जाहिर हुआ,
कान्हा मीरा प्रेम अमर हो गया।