सुपौल/ एनसीडी विषय पर आशा कार्यकर्त्ताओं का पाँच दिवसीय प्रशिक्षण आरंभ
60 प्रतिशत मृत्यु का कारण होता है एनसीडी
सुपौल : गैर संचारी रोगों से हो रही मृत्यु में कमी लाने के उद्देश्य से राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा जिले की आशा कार्यकर्त्ताओं एवं एएनएम का पाँच दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण का शुभारंभ आज किया गया। इस प्रशिक्षण के शुभारंभ के अवसर पर जिला स्वास्थ्य समिति के प्रबंधक मो0 मिन्नतुल्लाह, जिला योजना समन्वयक बाल कृष्ण चौधरी, जिला अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी, शशि भूषण प्रसाद, जिला सामुदायिक उत्प्रेरक अभिषेक कुमार एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मी मौजूद रहे। जिले की आशा कार्यकर्त्ता एवं एएनएम को दिया जा रहा यह प्रशिक्षण आज से आरंभ होकर फरवरी 23 तक चलेगा, जो पाँच-पाँच दिनों के 10 बैचों में होगा। प्रत्येक बैच में 30 आशा कार्यकर्त्ता एवं प्रशिक्षण के अंतिम दिन 4 एएनएम को प्रशिक्षित किया जाना है। यह प्रशिक्षण राज्य स्वास्थ्य समिति, पटना के नामित तीन प्रशिक्षक क्रमशः शिवशंकर कुमार, विद्यानन्द मंडल एवं संजय कुमार सिंह द्वारा दिया जाएगा।
प्रशिक्षण देने आये प्रशिक्षकों ने बताया गैर संचारी रोगों के बढ़ते मामलों के बीच लोगों को इसके प्रति जागरूक करना जरूरी है। इसके लिए सामुदायिक स्तर पर लोगों के बीच गैर संचारी रोगों के कारकों एवं इससे बचाव के उपायों की जानकारी होनी जरूरी है। इसलिए यह प्रशिक्षण चयनित आशा कार्यकर्त्ताओं एवं एएनएम को दी जा रही है। जो अपने पोषक क्षेत्रों में जाकर लागों को गैर संचारी रोगों के कारकों एवं बचाव के उचित तरीकों से अवगत करायेंगी। उन्होंने बताया गैर-संचारी रोग (एनसीडी) हृदय रोगों, कैंसर, मधुमेह और पुरानी सांस की बीमारियों जैसे रोगों के एक समूह को कहते हैं। एनसीडी वैश्विक स्तर पर सभी मौतों में लगभग 68 प्रतिशत और देश में सभी मौतों में लगभग 60 प्रतिशत मृत्यु का कारण गैर संचारी रोग है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के वर्ष 2014 की रिपोर्ट को मानें तो कुल एनसीडी मृत्यु दर और बीमारी के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार चार एनसीडी हृदय रोग, पुरानी सांस की बीमारी, कैंसर और मधुमेह हैं, जो सभी एनसीडी मौतों का लगभग 82 प्रतिशत है।
एनसीडी से होने वाली अधिकांश मृत्यु निम्न और मध्यम आय वाले क्षेत्र में होती हैं। एनसीडी के बढ़ते मामलों के लिए एक प्रवृत्ति के साथ वयावहारिक और जैविक जोखिम कारकों में तम्बाकू और शराब का उपयोग, शारीरिक निष्क्रियता, अधिक वजन और मोटापा, वसा और सोडियम का सेवन, कम फल और सब्जी का सेवन, बढ़ा हुआ रक्तचाप (बीपी), रक्त ग्लूकोज और कोलेस्ट्रॉल का स्तर आदि प्रमुख हैं।