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सहरसा/ उच्च जोखिम गर्भावस्था से बचना जरूरी : सिविल सर्जन

गर्भावस्था के दौरान नियमित कराएं जांच

सहरसा : माँ बनना हर महिला के लिए एक ममतामयी अनुभव है। इसलिए ये जरूरी है कि गर्भावस्था में स्वयं एवं बच्चे की उचित देखभाल की जाए। जरा सी लापरवाही बड़े नुकसान का कारण बन सकती है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान फायदा पहुंचाने वाली कुछ-कुछ जानकारियां जो आपकी ही नहीं बल्कि गर्भस्थ शिशु की सेहत भी बनाएं रखेंगी।

गर्भावस्था के दौरान इन बातों का रखें ख्यालः

सिविल सर्जन डॉ. किशोर कुमार मधुप ने बताया गर्भावस्था के दौरान बायीं करवट से सोना चाहिए। इससे प्लेसेंटा में ब्लड और दूसरे पोषक तत्त्व भरपूर मात्रा में जाते हैं जो शिशु को फायदा करते। इस दौरान पैरों और घुटनों को मोड़कर रखना चाहिए और पैरों के बीच में तकिया लगाना चाहिए। इससे कमर दर्द में आराम मिलता है। पीठ के बल सोने से पीठदर्द के साथ सांस व पाचनतंत्र की समस्याएं होने के साथ ब्लड प्रेशर कम होने का खतरा रहता है।

– भारी वजन ना उठाएं, जैसे- पानी से भरी बाल्टी,सील-बट्टा, भारी कुर्सी, बक्शा इत्यादि।
– बहुत देर तक खड़े ना रहें । यदि आपको रसोई में बहुत देर तक खड़ा होना पड़ता है तो वहां कुर्सी या बैठने के अन्य साधनों का उपयोग करें।
– सीढ़ियों का प्रयोग कम से कम करें। यदि करना आवश्यक हो तो इसकी बारंबारता कम करने की कोशिश करें।
– ऊंची हील वाली सैंडल या चप्पल ना पहनें।
– बाहरी खाना ना लें, खासतौर पर जंक फूड से परहेज करें।
– सिगरेट, शराब या अन्य किसी भी मादक पदार्थों का सेवन न करें। नशा बच्चे के मानसिक विकास पर नकारात्मक असर डालता है।
– पर्याप्त नींद लें। गर्भावस्था के दौरान दिन में कम से कम दो घंटे जबकि रात में आठ घंटे की नींद स्वस्थ मां और शिशु के लिए बहुत जरूरी है। इससे गर्भस्थ शिशु की सेहत ठीक रहने के साथ मां को भी गर्भावस्था के दौरान कोई स्वास्थ्य संबंधी परेशानी नहीं होती है।
-कम से कम 3 लीटर पानी रोज पीयें तथा खानपान ऐसा हो कि गर्भवती को अपनी सेहत को बेहतर रखने के लिए पौष्टिक व सुपाच्य आहार लेना चाहिए। इसमें दाल, रोटी, चावल, मौसमी सब्जी के साथ फल, मेवे, गुड़ और गुड़ से बनी चीजें खानी चाहिए। शरीर में आयरन, कैल्शियम और प्रोटीन की मात्रा का ध्यान देना होगा। कमी अधिक है तो चिकित्सकों की राय से आयरन, कैल्शियम की गोली लेनी चाहिए। इससे जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ रहते हैं।

सिविल सर्जन डॉ. किशोर कुमार मधुप ने कहा कि गर्भावस्था में नियमित जांच जरूरी है। इसमें हीमोग्लोबिन और ब्लड प्रेशर काफी महत्त्वपूर्ण है। मां का हीमोग्लोबिन और ब्लड प्रेशर ठीक रहेगा तो गर्भस्थ शिशु स्वस्थ होगा। हीमोग्लोबिन लेवल 12 से कम नहीं होना चाहिए। उच्च जोखिम वाली गर्भवास्था में मां का हीमोग्लवबिन कम है, ब्लड प्रेशर असंतुलित है और प्लेसेंटा नीचे की ओर है तो गर्भवती को समय-समय पर उचित चिकित्सीय सलाह लेते रहना चाहिए।