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सहरसा/ सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा को लेकर आईडीसीएफ स्टीयरिंग कमिटी की बैठक आयोजित

जिलाधिकारी ने की बैठक की अध्यक्षता

सहरसा : जिले में सघन दस्त पखवाड़ा को लेकर जिला पदाधिकारी आनंद शर्मा की अध्यक्षता में सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा स्टीयरिंग कमिटी की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में सिविल सर्जन डॉ किशोर कुमार मधुप, एसीएमओ डा. राकेश मोहन, डीपीएम विनय रंजन, डीसीएम राहुल किशोर, डा. रितेश कुमार सिंह, यूनिसेफ के एसएमसी बंटेश नारायण मेहता व सैयद मजहरूल हसन, यूएनडीपी के भीभीसीएम मोहम्मद मुमताज खालिद, डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि सूरज कुमार, आईसीडीएस के डीपीओ, शिक्षा विभाग के डीपीओ, जिला कल्याण पदाधिकारी, आरसीएच कार्यालय के दिनेश कुमार दिनकर तथा अन्य अघिकारी एवं स्वास्थ्य कर्मी मौजूद थे।

सिविल सर्जन डॉ. किशोर कुमार मधुप ने बताया कि सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का मुख्य उद्देश्य जिले में दस्त के कारण होने वाले शिशु मृत्यु का शून्य स्तर प्राप्त करना है। साथ ही डायरिया से होने वाली मृत्यु का मुख्य कारण निर्जलीकरण के साथ इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी होना है। ओआरएस एवं जिंक के प्रयोग द्वारा डायरिया से होने वाली मृत्यु को टाला जा सकता है। सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा के दौरान अन्तर्विभागीय समन्वय द्वारा दस्त नियंत्रण के उपायों, दस्त होने पर ओआरएस एवं जिंक के प्रयोग, दस्त के दौरान उचित पोषण तथा समुचित इलाज के पहलुओं पर क्रियान्वयन के लिए चर्चा की गयी। जिला कार्यक्रम प्रबंधक विनय रंजन ने बैठक के दौरान बताया कि मानसून सत्र के दौरान सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का आयोजन कराने का निर्देश प्राप्त हुआ है। जिसे हर हाल में सफल बनाने को लेकर जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को आवश्यक और जरूरी निर्देश दिए गए हैं।

जिलापदाधिकारी आनंद शर्मा ने बैठक के दौरान बताया कि सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है। जिसे हर हाल में सफल बनाने को लेकर जिले के सभी स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारी को आवश्यक और जरूरी निर्देश दिए गए हैं। साथ ही अपने-अपने स्तर से एक्शन प्लान तैयार कर उक्त पखवाड़ा के सफल संचालन के लिए सारी तैयारियाँ पूरी करने को कहा गया है। ताकि हर हाल में में निर्धारित समय पर पखवाड़े का शुभारंभ और सफलतापूर्वक समापन सुनिश्चित हो सके। जिलाधिकारी द्वारा शिक्षा विभाग से आये पदाधिकारियों को जिले में संचालित विद्यालयों में प्रातः प्रार्थना के बाद बच्चों को हाथों की साफ-सफाई के बारे में जानकारी देने के निर्देश जारी किये। साथ ही इसकी मॉनिटरिंग इनसाइट एप के माध्यम से जिला , प्रखंड एवं ग्रामीण स्तर पर किया जाना सुनिश्चित किया जाय।

जिला कार्यक्रम प्रबंधक विनय रंजन ने बताया कि टट्टी (पैखाना) की अवस्था बदलाव या सामान्य से ज्यादा बार, ज्यादा पतला या पानी जैसी होने वाली टट्टी ही डायरिया (दस्त) का पहला लक्षण है। इसके अलावा बच्चा बेचैन व चिड़चिड़ा है, अथवा सुस्त या बेहोश है। बच्चे की ऑखें डाउन हो रही हैं। बच्चे को बहुत ज्यादा प्यास लगना अथवा पानी ना पाना। चिकोटी काटने पर पेट के बगल की त्वचा खींचने पर धीरे-धीरे पूर्वावस्था में आना अर्थात त्वचा के ललीचेपन में कमी आना आदि डायरिया का ही कारण और लक्षण है।

डायरिया होने पर लगातार 14 दिनों तक करें जिंक का सेवनः
सिविल सर्जन डॉ किशोर कुमार मधुप ने बताया कि डायरिया होने पर लगातार 14 दिनों तक जिंक का सेवन करें। 02 माह से 06 माह तक के बच्चों को जिंक की आधा गोली 10 मिग्रा पानी में घोलकर या माँ के दूध के साथ घोलकर चम्मच से पिलाएं। 6 माह से 5 साल के बच्चों को एक गोली साफ पानी के साथ माँ के दूध में घोलकर पिलाएं। जबकि, दो माह से कम आयु के बच्चों को 05 चम्मच ओआरएस प्रत्येक दस्त के बाद पिलाएं। 2 माह से 2 वर्ष तक बच्चे को एक चौथाई ग्लास से आधा ग्लास प्रत्येक दस्त के बाद पिलाएं। 2 से 5 वर्ष तक के बच्चों को आधा ग्लास प्रत्येक दस्त के बाद पिलाएं।

सिविल सर्जन डॉ. किशोर कुमार मधुप ने बताया 14 दिनों तक जिंक के सेवन से दस्त और तीव्रता दोनों कम होता है। तीन महीने तक दस्त का खतरा नहीं के बराबर रहता है। रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। जबकि, ओआरएस से शरीर में पानी की कमी नहीं होती है एवं दस्त के खतरे से बचाव करता है।

सिविल सर्जन डॉ. किशोर कुमार मधुप ने कहा कि बदलते मौसम में ना सिर्फ मौसमी बीमारी की आशंका रहती है। बल्कि, डायरिया समेत अन्य बीमारियों की भी संभावना बढ़ जाती है। इसलिए, लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने की जरूरत है और खानपान का विशेष ख्याल रखना चाहिए। पौष्टिक आहार का सेवन पर बल देना चाहिए। क्योंकि, पोषण युक्त खाना संक्रामक और मौसमी बीमारियों से बचाव में काफी हद तक सहयोग करता है।