सहरसा/ स्वर की देवी, स्वर साम्राज्ञी को लेकर अपने लोक चली गई : मुकेश मिलन
सहरसा : स्वर साम्राज्ञी, बुलबुले हिन्द,भारत रत्न,पद्म भूषण,पद्म विभूषण और दादासाहब फाल्के आदि अनेक पुरस्कार से सम्मानित साथ ही हर उम्र के लोग चाहे पुरानी पीढ़ी हो या नई पीढ़ी हर दिल अज़ीज 92 साल के जीवन पथ पर संघर्ष कर लगभग 8 दशक से 30 हजार से अधिक भारतीय भाषा के गीतों को गाकर इतिहास रचने वाली एवं… मेरी आवाज ही पहचान है..ऐ मेरे वतन के लोगों..आदि गीतों को आमजनों की जुबां पर बिखेरने वाले , 5 दशक तक हिंदी सिनेमा में एकछत्र राज करने वाले आदरणीय लता मंगेश्कर जी का निधन देश और संगीत क्षेत्र के लिए अपूरणीय क्षति है, वे सभी संगीत साधकों के लिए सदैव प्रेरणास्रोत रही, ईश्वर उस पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करें और उनके परिजनों को इस पीड़ा को सहने की शक्ति प्रदान करें…उनका निधन भारतीय संगीत के एक युग का अवसान है । उक्त बातें प्रसिद्ध संगीत साधक सह उद्घोषक मुकेश मिलन ने कही । आगे उन्होंने कहा कि वो आज भौतिक रूप से हमारे बीच भले ही न हों लेकिन स्वर और स्नेह के रूप में वो हमारे बीच हमेशा उपस्थित रहेंगी ! उनकी मधुर आवाज हमारे साथ हमेशा रहेगी ! मैं भारी मन से लता दीदी को श्रद्धांजलि देता हूँ ।
भारत के नाइटिंगेल के नाम से दुनिया भर में मशहूर लता दीदी ने 1942 में महज 13 साल की उम्र में अपने कैरियर की शुरुआत की थी । कवि प्रदीप के लिखे गीत “ऐ मेरे वतन के लोगों” को पहली बार पंडित जवाहर लाल नेहरू के सामने गाई तो नेहरू जी के आंखों में आँसू आ गए थे । 1963 में “सारे जहां से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा” की पहली प्रस्तुति उन्होंने दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह में दी थी !
लता दीदी विगत 8 जनवरी से कोरोना के बाद मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती होने के बाद कल पूरे कलाकार जगत को असहाय कर हमें छोड़कर परलोक चली गई । ऐसा लग रहा है जैसे कल स्वर की देवी अपने साथ हमारी स्वर साम्राज्ञी को भी लेकर अपने लोक चली गई ।