सुपौल/ एचआईवी, एड्स एवं रक्तदान के महत्व से युवाओं को कराया गया अवगत
एनवाईके युवाओं को एचआईवी खतरों के प्रति किया गया जागरूक
एचआईवी नियंत्रण के उपायों को मजबूती प्रदान करने में युवाओं की भूमिका अहम
सुपौल : गैर विद्यालयी युवा कार्यक्रम के तहत नेहरू युवा केन्द्र, सुपौल के युवाओं के बीच एचआईवी एड्स एवं रक्तदान विषय पर एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन बीते शुक्रवार को जिला पुस्तकालय सुपौल के सभागार में किया गया। कार्यशाला का आयोजन अररिया के जिला कार्यक्रम प्रबंधक, जिला एड्स नियंत्रण इकाई व अररिया के डा. अखिलेख कुमार सिंह द्वारा किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ जिला यक्ष्मा सह जिला एड्स नियंत्रण पदाधिकारी डा. (मेजर) शशि भूषण प्रसाद द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। इस मौके पर एनवाईके के जिला युवा पदाधिकारी शुभमजी सहित अन्य समाजसेवी मौजूद रहे। इस उन्मुखीकरण कार्यशाला में 100 से अधिक युवाओं ने भाग लिया जिन्हें एचआईवी एड्स एवं रक्तदान के महत्व से अवगत कराते हुए प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया।
सभी स्तरों पर एचआईवी के प्रति जागरूकता जरूरी
उन्मुखीकरण कार्यशाला को संबोधित करते हुए डा. अखिलेख कुमार सिंह ने कहा एड्स एक ऐसी बीमारी है जो व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को नष्ट कर देती है। जो कोई भी संक्रमित हो जाते हैं उनमें 8 से 10 वर्ष तक या कभी-कभी इससे से अधिक समय तक रोगों से लड़ने की क्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है। इस दौरान इसके वायरस से संक्रमित व्यक्ति दूसरे स्वस्थ्य व्यक्तियों को संक्रमित कर जाता है। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में चार तरीकों से पहुँच सकता है। जिसमें पहला और मुख्य माध्यम असुरक्षित यौन संपर्क है। एड्स बीमारी फैलाने वाले एचआईवी वायरस जब किसी स्वस्थ्य शारीर में पहुंचते हैं तो शुरुआती तीन से छः माह तक रक्त परीक्षणों में भी इसका पता नहीं चल पाता है। इस समय को विंडो पीरियड की संज्ञा दी गई है। यह विषाणु मुख्यतः संक्रमित व्यक्ति के रक्त, वीर्य, योनिस्राव आदि में मौजूद रहते हैं। इस कारण इसके प्रसार को रोकने का पहला कदम असुरक्षित यौन संबंधों से बचने को माना गया है। दूसरा माध्यम एचआईवी संक्रमित सिरिंजों व सुइयों का उपयोग, तीसरा एचआईवी संक्रमित रक्त या इसके अन्य उत्पाद को चढ़ाने एवं चौथा मां से उसके शिशु को होना माना गया है।
जरूरतमंदों को समय पर रक्त उपलब्ध हो सके इसके लिए रक्तदान जरूरी
सुपौल जिले में नेहरू युवा केन्द्र के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यशाला में युवाओं को संबोधित करते हुए जिला युवा पदाधिकारी शुभमजी ने रक्तदान की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा गंभीर दुर्घटना, प्रसव, गहन शल्य चिकित्सा सहित अन्य कई अवसरों पर लोगों को उनके संबंधित रक्त समूह के रक्त की आवश्यकता आन पड़ती है। इन सभी के अतिरिक्त थैलेसिमिया, ल्यूकेमिया, हीमोफिलिया सहित अन्य रोग से ग्रसित व्यक्ति को समय-समय पर खून चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है। नहीं तो उनका जीवन खतरे में पड़ जाता है। इसके लिए स्वस्थ्य व्यक्ति के ब्लड को स्टोर में रखने की जरूरत होती है। ताकि समय पर जरूरतमंदों को इसकी सहायता से जान बचायी जा सके। इस जीवनदायनी रक्त को एकत्र रखने का एकमात्र जरिया रक्तदान है। रक्तदान बहुत सारे बीमारियों से हमारे शरीर की रक्षा करता है। एक स्वस्थ्य मानव शरीर व मानव सेवा के हिसाब से रक्तदान काफी महत्वपूर्ण है।