दरभंगा/ अग्नि सुरक्षा को लेकर किया गया कार्यशाला का आयोजन
: न्यूज़ डेस्क :
प्रभारी डी.एम. ने किया कार्यशाला का उद्घाटन
दरभंगा : समाहरणालय अवस्थित अम्बेदकर सभागार में बिहार अग्निशमन सेवा द्वारा अग्नि से सुरक्षा विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन प्रभारी जिलाधिकारी श्री तनय सुल्तानिया के कर-कमलों से दीप प्रज्जवलन कर किया गया।
इस अवसर पर उप निदेशक, जन सम्पर्क नागेन्द्र कुमार गुप्ता, पुलिस उपाधीक्षक गृह रक्षा वाहिनी सह प्रभारी जिला अग्निशाम पदाधिकारी श्री मनोज कुमार नट, प्रभारी पदाधिकारी, जिला आपदा प्रबंधन सत्यम सहाय ने दीप प्रज्जवल में सहयोग प्रदान किया।
प्रभारी जिलाधिकारी ने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि अग्नि से बचाव एक महत्वपूर्ण विषय है और यहाँ उपस्थित हर व्यक्ति अपने आस-पास के अगलगी की घटना से रूबरू जरूर हुए होंगे। वे अपने गाँव की किसी न किसी अगलगी घटना को जरूर देखे होंगे और वह सभी घटना किसी न किसी छोटी सी सतर्कता में कमी के कारण ही घटी होगी। कई बार गर्मी के मौसम में नंगे तार या खेत-खलियान में छोटी सी चिंगाड़ी से बड़ी अगलगी की घटना घट जाती है। यदि हम सर्तक रहें तो इन घटनाओं से बचा जा सकता है। अगलगी होने के उपरांत फायर फाइटिंग उसके बाद की बात होती है। वह सरकार के स्तर से अग्निशमन विभाग की ओर से किया जाता है, लेकिन यदि हम लोगों को जागरूक कर दें, तो इसकी नौबत ही नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष विश्व की सबसे बड़ी अगलगी की घटना अस्ट्रेलिया में घटी थी। वहाँ के 30 से 40 प्रतिशत् जंगल नष्ट हो गये, अनेक जानवर हताहत हुये और यह प्राकृतिक नहीं बल्कि मानव जनित घटना थी। कई बार ऐसा होता है कि शिकारी जंगल में जाते है या किसी कैम्प का आयोजन होता है और वहाँ आग जलता हुआ छोड़ देते हैं और एक छोटी सी चिंगारी से इतनी बड़ी घटना घटित हो जाती है। ग्रामीण क्षेत्र में फुस के घरों में जहाँ खाना बनाया जाता है, उस स्थल के फुस की दीवार को मिट्टी, गोबर, बालु के लेप लगा दिया जाए तो आग लगने की संभावना कम हो जाती है। उन्होंने आगे कहा कि अग्निशमन विभाग द्वारा हैंडबिल, पम्पलेट, पोस्टर के माध्यम से जागरूकता की अच्छी तैयारी की गयी है। जिसके माध्यम से ग्रामीण स्तर पर लोगों को जागरूक किया जा सकता है। अगलगी की घटना घटित होने से पहले इतनी तैयारी रहनी चाहिए कि घटना घटने के बाद उस पर तुरंत काबू पाया जा सके और कम से कम क्षति हो सके तथा जान-माल की अधिक से अधिक सुरक्षा की जा सके।
कार्यशाला में विभिन्न पदाधिकारियों ने अपने-अपने विचार रखें। जिसमें बताया गया कि थ्रेसर चलाने में उपयोग आने वाले डीजल इंजन या ट्रैक्टर के घूँआ वाले पाईप से हवा की दिशा में अनाज का बोझा नहीं रखें। बिजली के तार के किसी भी जोड़ को ढ़ीला या खुला न छोड़े, बिजली के कनेक्शन के लिए कम या खराब गुणवत्ता वाले तार का प्रयोग न किया जाए। खलिहान के आस-पास बीड़ी, सिगरेट न पीयें न किसी को पीने दें। एक बड़े से ड्रम (200 लीटर) में पानी हमेशा भरकर रखें। कुछ छोटी बाल्टी में रेत या बालू भी रखें। एक दो जूट की पुरानी बोरी का पानी में भींगो कर रखें। रौशनी के लिए बैट्री वाले संयंत्र जैसे – टॉर्च, इमरजेन्सी लाईन आदि का ही प्रयोग करें। कई बार खलिहान में पूजा भी की जाती है। पूजा में उपयोग वाले अगरबत्ती, धूप आदि पर तब तक नजर रखे, जब तक वह पूरी तरह बुझ नहीं जाता। यदि आस-पास कोई तालाब या अन्य जलश्रोत हो, तो वहाँ से खलिहान तक पाईप (सिंचाई में उपयोग आने वाले पाईप) और पम्पसेट तैयार रखें।
बैठक में उपस्थित विभिन्न अंचलों के अंचलाधिकारी एवं विभिन्न पंचायतों के मुखिया द्वारा भी अपने अपने अनुभव साझा किया गया तथा कई सुझाव दिए गए। बेनीपुर, बिरौल एवं दरभंगा के फायर स्टेशन अफसर ने भी अपने अपने अनुभव से अवगत कराया और कई सुझाव दिए।
पुलिस उपाधीक्षक अग्निशमन श्री मनोज कुमार नट ने जनप्रतिनिधियों के माध्यम से जागरूकता लाने को कहा और उन्होंने कहा कि इसके लिए नुक्कड़ नाटक का भी आयोजन करवाया जा रहा है।
कार्यक्रम का संचालन प्रभारी पदाधिकारी जिला आपदा प्रबंधन श्री सत्यम सहाय ने किया। बैठक में सभी संबंधित पुलिस उपाधीक्षक, सभी फायर स्टेशन ऑफिसर तथा सभी सीओ एवं सभी मुखिया जी (ऑनलाइन) उपस्थित थे।