साहित्य/ प्रेम-भाईचारे का पर्व है होली त्योहार
प्यार के रंगों से सराबोर,होली हो अपनी होली।
मिल कर गले लगाएं,प्रेम रुपी चन्दन की रोली।
ऋतुराज वसंत के,आगमन से हुए शुरू त्योहार।
बसंतपंचमी बाद ये आये,महाशिवरात्रि त्योहार।
देवी देव दोनों को चढ़ता,अबीर गुलाल एवं हार।
रंगों का यह एक पर्व है,होली में रंगों की बौछार।
बच्चे खेलें पिचकारी से,करें सभी पर रंग प्रहार।
ख़ुशी से बच्चे झूमें कैसे,एकदूजे पर ये रंग डार।
बड़े बुजुर्गों के दिल में,सब हेतु उमड़ता है प्यार।
छोटे छू कर पाँव बड़ों के,पाते आशीष व प्यार।
गुझिया पापड़ रसगुल्ले,विभिन्न रूप चिप्स बने।
खुरमा,मठरी,दालमोट,दही बड़े फुलौरी ये सजे।
घर में अबीर गुलाल,नाश्तेदान में गुझिया रहती।
मिलने वालों से होली में,घरमें छाई मस्ती रहती।
गायें फाग के गीत सभी,व भांग की करें घोटाई।
मेवा मिश्री दूध डालके,पीते और पिलाते ठंडाई।
कुछ रंग अबीर गुलाल,कुछ ठंडाई से नशा भरा।
हिन्द देश है ऐसा केवल,विविध त्योहारों से भरा।
प्रेम व भाई चारे का,यह होली है अनुपम त्योहार।
हरे लाल पीले नीले रंग,की इसमें होती है बौछार।
खुशियाँ ही खुशियाँ होती,हो फूलों की भी होली।
रंग और पानी से होली,लट्ठमार भी हो यह होली।
मथुरा,वृन्दावन,बरसाने में,पंद्रहियों है होती होली।
बृज में खेलें हर दिन ही,अलग-2 यह होती होली।
ध्यान रहे इको रंगों का,केमिकल रंग नहीं डालेंगे।
आँख कान एवं मुख में,किसी के ये रंग न डालेंगे।
दुर्घटना से बचने को,फूलों से बना रंग ही खेलेंगे।
ख़ुशी मनाएं झूमे नाचें,प्यार से होली हम खेलेंगे।
जल बर्बाद करें न,सूखे रंगों से हम होली खेलेंगे।
राधा कृष्ना जैसे प्रेम,मस्ती से सब होली खेलेंगे।
होली आई होली आई,देखो भैया ये होली आई।
होली की है सबको,शुभकामनाएं हार्दिक बधाई।