परीक्षा पे चर्चा : एक विश्लेषण
✍️ कौशल कुमार मिश्र,
दूरदर्शन समाचार, नई दिल्ली
परीक्षा जीवन का एक सहज हिस्सा है और सभी लोग कभी न कभी परीक्षा के डर और तनाव से गुजरते हैं पर इस डर को जो पार कर जाते हैं वे ही योद्धा कहलाते हैं। पर इसके लिए परीक्षा की यात्रा में छोटे-छोटे पड़ाव आते हैं जिसके लिए कई लोग मददगार साबित होते हैं। इसीलिए प्रधानमंत्री ने बच्चों के मन से डर और तनाव को निकालने के लिए परीक्षा पे चर्चा की पहल की जिसका मुख्य उद्देश्य बोर्ड परीक्षा देने वाले बच्चों की मन की बात को सुनना और उनके डर को निकालना है। परीक्षा पर चर्चा 2018 से हर साल आयोजित होने वाला एक वार्षिक कार्यक्रम है। चर्चा के दौरान पीएम से छात्र व शिक्षक परीक्षा से जुड़े सवाल करते है और वह उसका जवाब देते है। पीएम ने परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों को एक्जाम वारियर्स ( परीक्षा के योद्धा) नाम दिया है। इस दौरान पीएम से सवाल पूछने वाले छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों का चयन एक निबंध प्रतियोगिता के जरिए किया जाता है।
परीक्षा पे चर्चा’ परीक्षा और जीवन से संबंधित कई मुद्दों के लिए एक जीवंत मंच है। इसके लिए प्रधानमंत्री ने छात्रों को मंत्र दिए हैं जिससे छात्र अपने मन की बात सीधे प्रधानमंत्री से करते हैं। प्रधानमंत्री छात्रों के अंदर आत्मविश्वास की अलख जगाते हैं और उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनने का साहस देते हैं। प्रधानमंत्री छात्रों की बात को दोस्त बनकर सुनते हैं और उनके सवालों के जवाब बहुत ही सहजता से देते हैं। वे छात्रों की संवेदना से खुद को जोड़ते हैं और बाल मन और मनोविज्ञान को अच्छी तरह समझते हैं और इसीलिए छात्र भी प्रधानमंत्री से प्रेरणा लेते हैं और खुलकर अपनी बात रखते हैं। प्रधानमंत्री ने ‘परीक्षा पे चर्चा’ के पांचवें संस्करण में छात्रों को तनाव से दूर रहने की सलाह दी।
21वीं सदी के अनुकूल नीतियों और व्यवस्था को न ढाला तो पिछड़ जाएंगे
‘परीक्षा पे चर्चा’ के पांचवें संस्करण में पीएम मोदी ने कहा था कि हमें विचार करना होगा कि क्या हम 20वीं सदी की सोच, नीति, व्यवस्था से 21वीं सदी में आगे बढ़ सकते हैं? उन्होंने कहा कि हमें 21वीं सदी के अनुकूल अपनी सारी नीतियों, व्यवस्थाओं को ढालना चाहिए। अगर हम अपने आपको विकसित नहीं करेंगे तो हम ठहर जाएंगे और पिछड़ जाएंगे। उन्होंने नेशनल एजुकेशन पॉलिसी का जिक्र करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति का हिंदुस्तान के हर तबके में पुरजोर स्वागत हुआ है। इसलिए इस काम को करने वाले सभी लोग अभिनंदन के अधिकारी हैं।
बदलते परिवेश में ऑनलाइन शिक्षा
बदलते परिवेश में ऑनलाइन शिक्षा का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों से कहा कि जितना आइपैड, मोबाइल फोन के इस्तेमाल में आनंद आता है, उससे हजार गुना आनंद अपने भीतर घुसने का होता है। उन्होंने छात्रों को मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक गजट से इतर स्वयं के भीतर झांकने की सीख देते हुए कहा कि दिन भर में कुछ पल ऐसे निकालिए, जब आप ऑनलाइन भी नहीं होंगे, ऑफलाइन भी नहीं होंगे बल्कि इनरलाइन होंगे। जितना अपने अंदर जाएंगे, आप अपनी ऊर्जा को अनुभव करेंगे। उन्होंने छात्रों को एकाग्रचित्त हो अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने का पाठ पढ़ाते हुए कहा कि जब आप ऑनलाइन पढ़ाई करते हैं तो क्या आप सच में पढ़ाई करते हैं या रील देखते हैं?
दोष ऑनलाइन या ऑफलाइन का नहीं
दोष ऑनलाइन या ऑफलाइन का नहीं है। क्लास में भी कई बार आपका शरीर क्लास में होगा, आपकी आंखें टीचर की तरफ होंगी लेकिन कान में एक भी बात नहीं जाती होगी क्योंकि आपका दिमाग कहीं और होगा। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन पाने के लिए है और ऑफलाइन बनने के लिए है। मुझे कितना ज्ञान अर्जित करना है, मैं अपने मोबाइल फोन पर ले आऊंगा, जो मैंने वहां पाया है ऑफलाइन में मैं उसे पनपने का अवसर दूंगा। ऑनलाइन का अपना आधार मजबूत करने के लिए उपयोग करें और ऑफलाइन में जाकर उसे साकार करने का प्रयास करें।
डिजिटल गैजेट से आसानी से व्यापक रूप से चीजों को कर सकते हैं प्राप्त
पीएम मोदी ने कहा कि आज हम डिजिटल गैजेट के माध्यम से बड़ी आसानी से और व्यापक रूप से चीजों को प्राप्त कर सकते हैं। हमें इसे एक अवसर मानना चाहिए, न कि समस्या। हमें कोशिश करनी चाहिए कि ऑनलाइन पढ़ाई को एक रिवॉर्ड के रूप में अपने टाइमटेबल में रख सकते हैं।
छात्र अपने मन में तय करे, परीक्षा जीवन का सहज हिस्सा
प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा कि उन्हें अपने मन में यह तय कर लेना चाहिए कि परीक्षा जीवन का सहज हिस्सा है। हमारी विकास यात्रा के ये छोटे-छोटे पड़ाव हैं। इस पड़ाव से पहले भी हम गुजर चुके हैं। पहले भी हम कई बार परीक्षा दे चुके हैं। जब ये विश्वास पैदा हो जाता है तो आने वाली परीक्षा के लिए ये अनुभव आपकी ताकत बन जाता है।
स्वयं के विषय पर जरूर विश्लेषण करें
पीएम मोदी ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि खुद को जानना बहुत जरूरी है। उसमें भी कौन सी बातें हैं जो आपको निराश करती हैं, उन्हें जानकर अलग कर लें। फिर आप ये जाने लें कि कौन सी बातें आपको सहज रूप से प्रेरित करती हैं। आप स्वयं के विषय पर जरूर विश्लेषण कीजिए।
जीवन की सबसे बड़ी सौगात है कॉम्पिटिशन
पीएम मोदी ने कहा कि सच में तो हमें कॉम्पिटिशन को आमंत्रित करना चाहिए, तभी तो हमारी कसौटी होती है। कॉम्पिटिशन जिंदगी को आगे बढ़ाने का एक अहम माध्यम होता है, जिससे हम अपना मूल्यांकन भी कर सकते हैं। उन्होंने कॉम्पिटिशन को जीवन की सबसे बड़ी सौगात बताते हुए कहा कि कॉम्पिटिशन ही हमारी कसौटी होती है। कॉम्पिटिशन जिंदगी को आगे बढ़ाने का बेहतरीन माध्यम है। उन्होंने कहा कि सिर्फ परीक्षा के लिए दिमाग खपाने के बजाय खुद को योग्य, शिक्षित व्यक्ति बनाने के लिए, विषय का मास्टर बनने के लिए हमें मेहनत करनी चाहिए। फिर परिणाम जो मिलेगा, सो मिलेगा।
आप जिस पल में हैं, उस पल को जीने की कोशिश कीजिए
उन्होंने छात्रों को एकाग्रचित्त होकर लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने का टिप्स देते हुए कहा कि ध्यान बहुत सरल है। आप जिस पल में हैं, उस पल को जीने की कोशिश कीजिए। अगर आप उस पल को जी भरकर जीते हैं तो वो आपकी ताकत बन जाता है। उन्होंने आगे कहा कि ईश्वर की सबसे बड़ी सौगात वर्तमान है। जो वर्तमान को जान, समझ पाता है, जो उसे जी पाता है, उसके लिए भविष्य के लिए कोई प्रश्न नहीं होता है।
छात्रों को खुद का मूल्यांकन करना जरूरी
प्रधानमंत्री ने छात्रों को खुद का मूल्यांकन करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि कभी-कभी आप खुद का भी एग्जाम लें, अपनी तैयारियों पर मंथन करें, रीप्ले (दोहराना) करने की आदत बनाएं, इससे आपको नई दृष्टि मिलेगी। उन्होंने कहा कि अनुभव को आत्मसात करने वाले रीप्ले बड़ी आसानी से कर लेते हैं, जब आप खुले मन से चीजों से जुड़ेंगे तो कभी भी निराशा आपके दरवाजे पर दस्तक नहीं दे सकती। जिस चीज में आपको आनंद आता है, आपको उसके लिए अपने आप को कम से कम एडजस्ट करना पड़ता है, वो रास्ता छोड़ने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि उस कंफर्ट अवस्था में भी आपका काम है आपकी पढ़ाई और अधिकतम परिणाम उसमें से आपको जरा भी हटना नहीं है।
ऑनलाइन अवसर का उपयोग कर आधार करें मजबूत
पीएम मोदी ने कहा-‘ऑफलाइन जीवन शुरू करने से पहले, अपने आधार को मजबूत करने के लिए ऑनलाइन अवसर का उपयोग करें।’ पीएम मोदी ने ऑनलाइन शिक्षा के सवाल पर कहा दोष ऑनलाइन या ऑफलाइन का नहीं है। क्लासरूम में भी कई बार आपका शरीर क्लासरूम में होगा, आपकी आंखें टीचर की तरफ होंगी, लेकिन कान में एक भी बात नहीं जाती होगी, क्योंकि आपका दिमाग कहीं और होगा। मन कहीं और होगा तो सुनना ही बंद हो जाता है। जो चीजें ऑफलाइन होती हैं, वही ऑनलाइन भी होती हैं।
माध्यम समस्या नहीं है, मन समस्या है
उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि माध्यम समस्या नहीं है, मन समस्या है। माध्यम ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, अगर मन पूरा उसमें डूबा हुआ है, तो आपके लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन का कोई फर्क नहीं पड़ेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हम डिजिटल गैजेट के माध्यम से बड़ी आसानी से और व्यापक रूप से चीजों को प्राप्त कर सकते हैं। हमें इसे एक अवसर मानना चाहिए न कि समस्या।
इस प्रकार परीक्षा पे चर्चा इस देश के विद्यार्थियों के लिए काफी फायदेमंद है। परीक्षा पे चर्चा का विषय छात्रों को प्रेरित करता है तथा उनके परीक्षा के डर को दूर करने में मदद करता है। इस योजना अथवा पहल के तहत विद्यार्थी, शिक्षक और माता पिता अत्यधिक लाभान्वित होते हैं