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छठ महापर्व विशेष/ सूर्य षष्ठी- देवसेना की व्रत पूजा है छठ पूजा

सूर्यदेव को अर्ध्य देके,होती सूर्यदेव की है पूजा।
सदियों से ये चली आरही है,प्रातः बेला में पूजा।

सूर्यदेव से स्वस्थ जीवन की,करें सभी कामना।
इसलिए सूर्योदय पर,सूर्यदेव की करें उपासना।

सूर्योपासना का महापर्व,कहलाता है छठपूजा।
बिहारी भाई-बहनों का,यह प्रिय पर्व छठपूजा।

महाभारत में उल्लेख है,कुंती करती सूर्य पूजा।
जन्मे कर्ण कुँवारीकुंती से,फलस्वरूप ये पूजा।

सूर्य पुत्र कर्ण भी नियमित,सूर्य उपासना करते।
घंटों सरिता जल में खड़े,अर्ध्य दे प्रार्थना करते।

सूर्योपासना के कारण ही,कर्ण बना परम योद्धा।
कुंडल कवचधारी,महापराक्रमी एक वीर योद्धा।

प्रातः नित्य सूर्योदय,जग को प्रकाशित करता।
सूर्य विटामिन ‘डी’ देता,ऊर्जा संचारित करता।

रोग दोष हर्ता स्वस्थ,एवं दीर्घायु हमें है करता।
धूप सुहानी देता जाड़े में,सबको गर्म है करता।

धार्मिक मान्यता है छठमैया,सूर्य देव की बहन।
उन्हें प्रसन्न करने को करें,पूजा सब भाई-बहन।

सियाराम ने रावण वध बाद,खुद की छठ पूजा।
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की,छठ को सूर्य पूजा।

इसी अर्ध्य की लेकर,आज भी होती है सूर्य पूजा।
सनातन परंपरा का महापर्व,होता है ये छठ पूजा।

ऐसा मानते हैं इसदिन ही,दिव्य शक्ति संचार हुआ।
इस दिन माँ गायत्री जन्मी,गायत्री मंत्र प्रसार हुआ।

द्रौपती ने की वनवास में,पुत्र प्राप्ति हेतु छठ पूजा।
महाभारत काल में,पुनः राजपाट प्राप्ति हेतु पूजा।

माँदुर्गा राधा लक्ष्मी सरस्वती,व सावित्री हैं देवियाँ।
सम्पूर्ण प्रकृति कहलाती हैं,यही जो पांचों देवियाँ।

इन्हीं के प्रधान अंश को,माता देवसेना सब कहते।
प्रकृति देवी के इस छठवें,अंश को षष्ठी माँ कहते।

माँ ही होती है समस्त,संसार की जननी व रक्षक।
सूर्योपासना संग ही,छट्ठी माँ को पूजें ये हैं रक्षक।

नहाय खाय क्रिया से होता,है यह व्रत पूजा शुरू।
संतान कामना-दीर्घायु को,छठ पूजा ये करें शुरू।

विशेष स्वच्छता अपार निष्ठा,का महा पर्व छठ है।
केला गन्ना सेव मूली आम पत्ता,चढ़े ये जो छठ है।

अधिक मात्रा में फल लेते हैं,शुद्ध स्थान पे रखते।
इन्हीं फलों से श्रद्धालु,छठ माता की पूजा करते।

सूर्योपासना एवं अर्ध्य को,आदि शंकराचार्य गुरु।
सनातन धर्मियों को प्रेरित,करना था किए शुरू।

सूर्योपासना का पर्व ये,सदियों से चला आरहा है।
हिन्दूधर्म संस्कृति में भक्तोंसे,सूर्य अर्ध्य पारहा है।

शाक्य द्वीपीय ब्राह्मण,सूर्य पूजा के बड़े विशेषज्ञ।
राजा महाराजा द्वारा,आमंत्रित होते रहे विशेषज्ञ।

ऋग्वेद में भी सूर्य पूजा का,ये महात्म्य मिलता है।
छठपूजा से मनोकामना,पूर्ति का फल मिलता है।

ये पूजा बिहार ही नहीं,देश के कोने-2 में है शुरू।
नहाय खाय सूर्य को अर्द्ध,देके छठ पूजा ये शुरू।

24घंटे कठिन व्रत रहके,छठ पर्व पूजा करें शुरू।
उगते-डूबते सूर्य को अर्ध्य दे,छठ पूजा करें गुरू।