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सहरसा/ जिले में एक दिवसीय एनसीडी प्रशिक्षण सम्पन्न

कैंसर, बीपी, मधुमेह व हृदय रोग से बचाव को 30 वर्ष से अधिक आयु वाले कराएं स्क्रीनिंग

स्क्रीनिंग कर एनसीडी पोर्टल पर डाटा करें अपलोड

 

सहरसा : गैर-संचारी रोग (एनसीडी) वर्तमान में विश्व स्तर पर और भारत में भी मृत्यु दर का प्रमुख कारण है । कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग (सीवीडी), क्रोनिक श्वसन रोग और सामान्य मानसिक विकार विकलांगता और समय से पहले मृत्यु के प्रमुख कारण हैं। इससे न केवल स्वास्थ्य बल्कि आर्थिक और विकासात्मक परिणाम पर भी विपरीत परिणाम देते हैं। एनसीडी के बढ़ते बोझ ने उनकी रोकथाम और नियंत्रण के लिए प्रभावी रणनीति के तहत जिले में एनसीडी कार्यक्रम के उन्मुखीकरण पर एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है । यह प्रशिक्षण दो दिन करते हुए जिले के सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक, प्रखंड अनुश्रवण एवं मूल्यांकन सहायक एवं सभी स्वास्थ्य संस्थानों के दो स्टाफ नर्स/ एएनएम एवं सभी प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक को दिया गया । इस मौके पर संयुक्त रूप से प्रशिक्षण दे रहे जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी, डा. रविन्द्र मोहन, जिला अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी दीपक कुमार विभाकर के अलावा सिविल सर्जन डा. किशोर कुमार मधुप, झपाइगो के प्रोग्राम पदाधिकारी डा. याकूब मुज्जफ्फर, डीपीसी प्रणव कुमार सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद रहे।

जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी ने बताया यह प्रशिक्षण जिले के चिकित्सा पदाधिकारियों को राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार, पटना द्वारा जारी दिशा निर्देश के आलोक में दिया जा रहा है। गैर संचारी रोगों से हो रही मृत्यु को कम करने के लिए बॉडी मास इण्डेक्स के आकलन संबंधी यह प्रशिक्षण जिले में अधिक से अधिक लोगों का एनसीडी स्क्रीनिंग एवं आंकड़ों का सुसंगत पोर्टल पर अद्यतन करने से संबंधित है । गैर संचारी रोगों की श्रेणी में डायबिटीज, हायपरटेंशन, ओरल कैंसर, सरवाइकल कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, स्ट्रोक आदि प्रमुख रोग हैं। इन सभी गैर संचारी रोगों से हो रही मृत्यु को कम करने के लिए जरूरी है कि अधिक से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग करते हुए उनके गैर संचारी रोगों से ग्रसित होने की संभावनाओं का आकलन कर ऐसी रणनीति विकसित की जाय ताकि इन रोगों से हो रही मृत्यु पर रोक या कमी लायी जा सके।

जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी ने बताया गैर संचारी रोगों के प्रमुख कारणों में सबसे बड़ा कारण तम्बाकु का सेवन करना पाया गया है। गैर संचारी रोगों से हुई मृत्यु का एक बड़ा हिस्सा अकेले तम्बाकु का सेवन करना है। इसके अलावा इनडोर वायु प्रदूषण, अल्कोहल सेवन, शारीरिक तौर पर कम क्रियाशीलता, तनाव आदि भी गैर संचारी रोगों के कारण हैं। उन्होंने बताया 30 वर्ष की उम्र हो जाने पर लोगों को चाहिए कि वे गैर संचारी रोग के स्क्रीनिंग कार्यक्रम में हिस्सा लें और इन रोगों के बचने के उपायों को अपनायें। स्क्रीनिंग किये जाने के बाद किस प्रकार की बीमारियों से लोग पीड़ित हैं, इस के बारे में जानकारी आसानी से उपलब्ध हो पाती है। जिससे उनके इलाज में सुविधा होती है। उन्होंने बताया गैर संचारी रोग दीर्घकालिक बीमारियां होती और इसके होने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें आनुवांशिक, शारीरिक तथा आधुनिक जीवनशैली आदि कारक शामिल हैं। दिल की बीमारियों के अलावा मुख, स्तन, गर्भाशय, के कैंसर, डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर आदि इस गैर संचारी रोगों की श्रेणी में आते हैं। स्क्रीनिंग कर बीमारियों के शुरुआती निदान में मदद मिलेगी तथा गैर संचारी रोगों के जोखिम के प्रति आमजन में जागरूकता आयेगी।