चंडीगढ़/ मास्टर प्लान में छेड़छाड़ कर हरियाणा विधानसभा भवन नहीं बनना चाहिए : आईआईए
‘‘चंडीगढ़ के लिए विनाशकारी होगा हरियाणा का नया विधानसभा भवन’’
आईआईए चंडीगढ़ चैप्टर ने गृह मंत्रालय, सीएम, यूटी प्रशासक को पत्र लिखकर परियोजना को रोकने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग की
चंडीगढ़ : इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स (आईआईए), चंडीगढ़ चैप्टर ने चंडीगढ़ में हरियाणा विधानसभा के लिए एक नया भवन बनाने के प्रस्ताव पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। आईआईए चंडीगढ़ चैप्टर के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने गृह मंत्री, हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों और यूटी प्रशासक को पत्र लिखकर कहा है कि प्रस्तावित इमारत शहर के मास्टर प्लान का स्पष्ट उल्लंघन है और इस तरह का कोई भी कदम चंडीगढ़ की अद्वितीय पहचान के साथ छेड़छाड़ के अलावा और कुछ नहीं होगा।
बुधवार को यहां चंडीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में एस.डी. सिंह, चेयरमैन, आईआईए चंडीगढ़ चैप्टर ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में लिखे गए अपने पत्र में कई सारे अन्य विकल्पों पर विचार करने का अनुरोध किया है।
नई विधानसभा बनाने का विचार शहर के मास्टर प्लान के खिलाफ होगा और इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारी आलोचना हो सकती है। उन्होंने आम के पेड़ों की ग्रीन बेल्ट को नष्ट करने और टाटा टावर्स परियोजना जैसे अन्य प्रस्तावों का हवाला देते हुए कहा, जिसके कारण उनके पीएमओ स्तर पर रद्द करने से चंडीगढ़ प्रशासन को काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ी है।
चंडीगढ़-पंजाब चैप्टर के पूर्व चेयरपर्सन सुरिंदर बाहगा ने कहा कि ‘‘चंडीगढ़ को आजादी के बाद भारत में अर्बन प्लानिंग और आर्किटेक्चर में सबसे अच्छे प्रयोगों में से एक माना जाता है। जाने माने आर्किटेक्ट्स ली कॉर्बूजिए द्वारा डिजाइन की गई प्रतिष्ठित ऐतिहासिक इमारतों के कारण हजारों भारतीय और विदेशी आर्किटेक्ट पर्यटकों के रूप में चंडीगढ़ और इसके कैपिटल कॉम्प्लेक्स आते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि ‘‘पूरी दुनिया जानती है कि चंडीगढ़ का मास्टर प्लान मूल रूप से स्विटज़रलैंड में जन्मे फ्रैंच आर्किटेक्ट ली कॉर्बूजिए द्वारा तैयार किया गया था, जिसका तत्कालीन पंजाब सरकार ने पूरी तरह से पालन किया था। उसके बाद संशोधित चंडीगढ़ मास्टर प्लान-2031 चंडीगढ़ के अर्बन प्लानिंग डिपार्टमेंट द्वारा तैयार किया गया था और इसे चंडीगढ़ प्रशासन और केन्द्रीय गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया है।’’
उन्होंने कहा कि ‘‘ ली कॉर्बूजिए ने चंडीगढ़ प्लान की तुलना एक मानव संरचना से की जहां सचिवालय, उच्च न्यायालय और असेंबली हॉल के साथ बना कैपिटल कॉम्प्लेक्स मानव शरीर का ‘सिर’ है। अगर हरियाणा नया असेंबली हॉल जोड़ देगा, तो चंडीगढ़ में दो सिर होंगे!’’
शहर की सीमा के भीतर अलग-अलग स्थानों पर अलग विधानसभा बनाने का प्रस्ताव मूल ली कॉर्बूजिए प्लान और चंडीगढ़ के संशोधित मास्टर प्लान का पूर्ण तौर पर उल्लंघन है। बाहगा ने कहा कि यह शहर नियोजन की कॉर्बूजिए की अवधारणा को नष्ट कर देगा। इस संबंध में चंडीगढ़ प्रशासन ऐसी इंटरनेशनल ज्यूरी नियुक्त कर सकता है जिसमें प्रख्यात लेकिन इंडीपेंडेंट आर्किटेक्ट और योजनाकार शामिल हों, जिन्हें ली कॉर्बूजिए के काम और दृष्टिकोण के बारे में अच्छी जानकारी है, उनकी रिपोर्ट के बाद ही इस बारे में अंतिम फैसला किया जाए।
संजय गोयल, चेयरमैन, आईआईए, पंजाब चैप्टर ने विभिन्न विकल्प देते हुए कहा कि ‘‘हरियाणा सरकार हरियाणा राज्य के केंद्र में स्थित कुछ अन्य उपयुक्त जगहों पर अपनी खुद की एक नई राजधानी बनाने की योजना बना सकती है, जो राज्य के निवासियों के लिए आसानी से सुलभ हो। अन्य विकल्प यह हो सकता है कि हरियाणा सरकार सचिवालय, विधानसभा और अन्य प्रासंगिक सुविधाओं के साथ आसपास मौजूद अपने किसी शहर में अपने स्वयं के उच्च न्यायालय वाले हरियाणा का अपना अलग कॉम्प्लेक्स बनाने पर विचार कर सकती है।’’
गोयल ने कहा कि ‘‘ली कॉर्बूजिए ने मूल रूप से चंडीगढ़ के कैपिटल कॉम्प्लेक्स में गवर्नर पैलेस की योजना बनाई थी। तत्कालीन प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के आग्रह पर ये विचार छोड़ दिया गया था। लेकिन कॉर्बूजिए इस बात से परेशान थे कि इससे उनके कैपिटल कॉम्प्लेक्स की संरचना खराब हो जाएगी। नेहरू ने उन्हें सलाह दी कि वे इसे दूसरी इमारत से बदल दें ताकि उनकी रचना खराब न हो। तब कॉर्बूजिए ने इसके स्थान पर म्यूजियम ऑफ नॉलेज के निर्माण के कॉन्सेप्ट को पेश किया जो कि करीब 70 वर्षों से ऐसे ही लटक रहा है और उसका कुछ नहीं बना है। 1999 में चंडीगढ़ में आयोजित इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के दौरान, उस सरंचना का एक स्ट्रक्चर का एक बाहरी स्वरूप बनाया गया था। उस दौरान वहां पर मौजूद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाने माने आर्किटेक्ट्स और अर्बन प्लानर्स ने भी इस स्ट्रक्चर को तुरंत आधार पर बनाए जाने की वकालत की थी। ऐसे में हम भी ये सुझाव देते हैं कि हरियाणा उस भवन का निर्माण कर सकता है और अपने 350 अधिकारियों को नए भवन में स्थानांतरित कर सकता है। वे विधानसभा में मौजूदा हॉल और नए भवन का भी उपयोग जारी रख सकते हैं। यह न केवल उनकी समस्या का समाधान करेगा, बल्कि कॉर्बूजिए के ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने में मदद करेगा।’’
उन्होंने कहा कि ‘‘वर्तमान में जरूरत के अनुसार जगह की आवश्यकता के बारे में हरियाणा सरकार के तथ्यात्मक आंकड़ों के आधार पर, कुछ मामूली बदलावों के साथ एक बेहतर स्पेस प्लानिंग के साथ समस्या का समाधान किया जा सकता है। हाईकोर्ट की बढ़ती मांगों का सामना करने के लिए हाईकोर्ट के पीछे की ओर कम ऊंचाई वाली एनेक्सीज की एक पूरी सीरीज़ को जोड़ा गया है। इसी तरह मौजूदा असेंबली हॉल के पीछे की तरफ कुछ एडीशनल अच्छी तरह से डिज़ाइन किए गए कम ऊंचाई वाले स्ट्रक्चर को जोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार और पंजाब सरकार अपने सेशंस की तारीखों को अलग अलग कर एक ही हॉल का उपयोग कर सकते हैं।’’
आईआईए के संयुक्त सचिव अंजू बाला ने अंत में कहा कि ‘‘हरियाणा का अलग हाईकोर्ट और मुख्य सचिवालय में जगह की कमी की चर्चा भी वर्षों से चल रही है। हरियाणा मौजूदा कैपिटल कॉम्प्लेक्स क्षेत्र के साथ-साथ सचिवालय में भी अपना उच्च न्यायालय बना सकता है लेकिन प्रमुख क्षेत्र में कोई भी बदलाव किए बिना, इस काम को पूरा किया जा सकता है। लेकिन ली कॉर्बूजिए की इमारतों के डिजाइन को दोहराया जा सकता है।’’