लखनऊ/ युवा लेखिका ज़रीन अंसारी के कहानी संग्रह ‘हसरतें’ का हुआ लोकार्पण
✍️ अनिल कुमार श्रीवास्तव
सार्थकता के नए आयाम रच रहे हैं युवा लेखक : डॉ. जितेंद्र शुक्ला
लखनऊ : राजधानी की युवा लेखिका ज़रीन अंसारी के कहानी संग्रह ‘हसरतें’ का समारोहपूर्वक लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शिक्षाविद एवं वन्यजीव विज्ञानी डॉ. जितेंद्र शुक्ला ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार एवं संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के वरिष्ठ अध्येता यदुनाथ सिंह मुरारी ने की।
लेखिका ज़रीन की हालिया प्रकशित किताब का लोकार्पण कार्यक्रम राजधानी के हरदोई मार्ग स्थित शूट डेस्टिनेशन में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में मुख्यातिथि वन्यजीव विज्ञानी एवं शिक्षाविद् डॉ. जितेन्द्र शुक्ला ने कहा कि कहा कि यह समय सार्थक रचनाधर्मिता के नए आयामों के सृजन का है। ज़रीन अंसारी बेहतरीन रचनाकार हैं। लेखन के क्षेत्र में उनका भविष्य अत्यंत उज्ज्वल है। कोई भी रचनाकार अपनी कलम के बूते बुलंदियों के फलक छू सकता है। लेखिका ज़रीन में तमाम संभावनाएँ दिखती हैं। उनकी कामयाबी के लिए हम सबकी दुआएँ हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित लेखक एवं संस्कृति मंत्रालय के वरिष्ठ अध्येता यदुनाथ सिंह मुरारी ने कहा की ज़रीन का लेखन मानवीय संवेदनाओ से ओतप्रोत हैं। अपनी किताब ‘हसरतें’ में उन्होंने बिना लाग-लपेट सीधी सच्ची-बात कही है। श्री मुरारी ने कहा कि ज़रीन ने अपनी लिखी कहानियों के ज़रिये इंसानी जज़्बातों के उन नाज़ुक पहलुओं को दर्शाया है, जो हर किसी की ज़िन्दगी के अहम हिस्से हैं। सही बात तो यह है कि इस पर कोई बात नहीं करता और न ही इसको कोई ख़ास तवज्जो देता है, जब तक कि यह उनकी ज़ाती ज़िन्दगी से ताल्लुक़ न रखता हो।
गौरतलब है कि लेखिका ज़रीन की यह दूसरी किताब है, जो इमेज प्रकाशन समूह द्वारा प्रकाशित की गई है।उनकी पहली किताब ‘लफ़्ज़ों की दास्तां’ खूब धूम मचा चुकी है। ज़रीन ने अपनी लोकार्पित किताब के बारे में बताया कि बचपन से लेकर बुढ़ापे तक न जाने कितनी ही हसरतें लिए लोग अपनी ज़िन्दगी जीते रहते हैं। कभी वो हसरतें पूरी होती हैं तो कभी हमारे साथ ही हमेशा के लिए दफ़न हो जाती हैं। कई बार हमारी हसरतें ज़िन्दगी के हालातों के सामने घुटने टेकने पर मजबूर हो जाती हैं तो कई बार हम ख़ुद अपनों की ख़ुशी के लिए उनका गला घोंट देते हैं। लेखिका ज़रीन का कहना है कि आज के ज़माने में भी कुछ ऐसे लोग हैं, जो अपनों के लिए अपनी उन हसरतों की कुर्बानियां देने पर मजबूर हो रहे हैं। वे हसरतें उनकी ज़िन्दगी का बहुत ज़रूरी हिस्सा होती हैं पर बदनामी के डर से वे खुल कर किसी से बात करने में झिझकते हैं। अगर किसी से अपने दिल की बात कहते भी हैं तो लोग उसे अहमियत नहीं देते। कभी-कभी तो उनके जज्बातों का मज़ाक भी बनाया जाता हैं, जिस वजह से कई बार उनकी ज़ाती ज़िन्दगी पर इसका बुरा असर पड़ता हैं। यह एक चिंता का विषय है। लेखिका का मकसद है कि लोग इस पहलू पर नज़र डालकर इस पर सोचें और विचार करें। लेखिका को यक़ीन हैं कि अपनी ‘हसरतें’ किताब के ज़रिये वे अपने पाठकों के दिलों को छू कर अपनी ज़िन्दगी की इस हसरत को पूरा करने में ज़रूर कामयाब होंगी।
कार्यक्रम में लेखिका की माँ शाहीन सुल्ताना ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का आगाज़ किया।
कार्यक्रम में बेटी की कामयाबी के लिए किए जा रहे उनके योगदान की चर्चा हुई। आल टाइम म्यूजिक कम्पनी और ग्राफ़िक स्टेशन के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में फ्रेमोग्राफी ने अपना सहयोग प्रदान किया।फ़िल्मी बास्केट की प्रस्तुति से कार्यक्रम दर्शनीय रहा। कार्यक्रम का सफल संचालन उद्घोषिका श्रेया अवस्थी ने किया। कार्यक्रम में लेखिका ज्योत्स्ना श्रीवास्तव, विनायक सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।