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मोहाली/ लालड़ू में तैयार होनेवाला हाईलैंड इंडस्ट्रियल सिटी (एचआईसी) बनेगा भविष्य का नया इंडस्ट्रियल हब

एचआईसी एक इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट है जिसमें इंडस्ट्रियल, रेजीडेंशियल और कमर्शियल उपयोग के लिए प्लॉट्स उपलब्ध हैं

‘रेड ज़ोन प्रोजेक्ट’ लालड़ू और ट्राइसिटी की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा

लालड़ू (मोहाली) : हाईलैंड लाइफस्पेस, जो इस रीजन के रियल एस्टेट लैंडस्केप में एक विश्वसनीय नाम है, ट्राइसिटी का पहला इंटीग्रेटेड प्रोजेक्ट – हाईलैंड इंडस्ट्रियल सिटी (एचआईसी) लेकर आ रहा है। एचआईसी- गमाडा और रेरा से अप्रूव्ड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट है जो इंडस्ट्रियल, कमर्शियल और रेजीडेंशियल स्पेसेज को एक ही, अत्याधुनिक हब में आसानी से कंबाइन करेगा। चंडीगढ़-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-44) पर अच्छी लोकेशन पर स्थित, 100 एकड़ से अधिक एरिया में फैला हाईलैंड इंडस्ट्रियल सिटी (एचआईसी) , इस क्षेत्र में इंडस्ट्रियल और कमर्शियल इंफ्रास्ट्रक्चर को फिर से डिफाइन करने के लिए तैयार है, जो सरकार की ‘मेक इन इंडिया’पहल को बढ़ावा देगा। इसका उद्देश्य स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइजिज (एसएमई) और माइक्रो, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइजिज (एमएसएमई) को युनिटस स्थापित करने और ‘मेड इन इंडिया’लेबल वाले प्रोडक्ट बनाने के लिए एक आइडियल माहौल प्रदान करना है।

प्रोजेक्ट साइट पर एक मीट एंड ग्रीट इवेंट आयोजित किया गया जहाँ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस अनोखे डेवलपमेंट के बारे में जानकारी साझा करते हुए, हाईलैंड लाइफस्पेस के डायरेक्टरस हरजिंदर सिंह रंगी और विशाल गोयल ने एचआईसी के कॉसेप्ट के बारे में मीडिया को जानकारी दी।
हाईलैंड इंडस्ट्रियल सिटी में प्लॉट के मालिक होने के फायदों के बारे में बात करते हुए, हरिंदर सिंह रंगी ने कहा कि “ये रेड ज़ोन इंडस्ट्रियल हब, एक गेम-चेंजर है, जिसे रेड, ऑरेंज, ग्रीन ज़ोन कैटेगरीज के तहत सभी तरह की इंडस्ट्रीज को एडजस्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और ग्रोथ को गति देने वाला एक प्रोजेक्ट है। चाहे निवेश के लिए हो या मैन्युफैक्चरिंग युनिटस की स्थापना के लिए, हमारे प्लॉट्स, बिजनेस को फलने-फूलने के लिए आइडियल माहौल प्रदान करते हैं। प्लॉट्स का पोजेशन 6 महीने के भीतर दिया जा रहा है।

विशाल गोयल ने बताया कि, “एचआईसी आरईआरए(रेरा )-अप्रूव्ड है, जो सभी हितधारकों के लिए विश्वास और कम्पलाएंस सुनिश्चित करता है और हमारे पास इंडस्ट्रियल, रेजीडेंशियल और कमर्शियल उपयोग के लिए विभिन्न आकारों के प्लॉट्स हैं।”

एच.एस.रंगी ने कहा कि “हाईलैंड इंडस्ट्रियल सिटी एक रेगुलर रियल एस्टेट प्रोजेक्ट नहीं है, बल्कि रीजन की इकोनॉमी को प्रोत्साहित करने के लिए इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए एक ‘इंटीग्रेटेड ग्रोथ प्लेटफार्म ‘ है। यह प्रोजेक्ट ट्राइसिटी में रेड ज़ोन कैटेगरी की शुरुआत का प्रतीक है; जो ऑटोमोबाइल, केमिकल, स्टील, फार्मा, एग्री-टेक, फूड-प्रोसेसिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, फर्नीचर, पेंट, पेट्रोलियम उत्पादों आदि जैसी हैवी-इंडस्ट्रीज के लिए एक स्पेशलाइज्ड ज़ोन प्रदान करता है, और आगामी पीआर 12 रोड के माध्यम से आसान एक्सेस सुनिश्चित करता है।”

एचआईसी के दोनों, डायरेक्टर्स ने मीट एंड ग्रीट के लिए आमंत्रित सभी हितधारकों के बीच प्रोजेक्ट के बारे में जागरूकता बढ़ाई। विशाल गोयल ने बताया कि “इस ये प्रोजेक्ट से कलालड़ू में भारी निवेश आएगा।”

विशेष रूप से, एचआईसी पंजाब सरकार के टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट की 600 एकड़ के रेजीडेंशियल प्रोजेक्ट के करीब है, जो बिजनेसेज और निवेशकों दोनों के लिए इंटीग्रेटेड ग्रोथ के वैल्यू प्रॉपोजीशन को और बेहतर बनाती है।
परियोजना के पूरी तरह तैयार हो जाने पर इसमें विश्वस्तरीय सुविधाएं होंगी, 60 फुट या उससे अधिक चौड़ी कंक्रीट की इंटर्नल सड़कें आदि सहित एक मजबूत इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार होगा। एच एस रंगी ने कहा कि “हमारी इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल सिटी भविष्य की ओर एक कदम है, जो इकोनॉमिक ग्रोथ, कार्यक्षमता और एक्सेबिलिटी को जोड़ेगा ।”

डायरेक्टर्स ने बताया कि एचआईसी में अत्याधुनिक सुविधाएं होंगी, जिसमें सटीक लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट के लिए एक वेइंग ब्रिज, एक डेली कन्वीनियंस स्टोर और कर्मचारियों की भलाई के लिए एक डिस्पेंसरी शामिल है। इसमें आध्यात्मिक जरूरतों के लिए एक मंदिर, डेडीकेटेड कंस्ट्रक्शन सपोर्ट और सस्टेनेबल ऑपरेशंस के लिए एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के साथ-साथ सॉलिड वेस्ट डिस्पोजल सिस्टम्स भी तैयार किए जाएंगे ।

उल्लेखनीय है कि निवेशकों को पंजाब सरकार से अप्रूवल्स के लिए हर संभव सहायता और सपोर्ट उपलब्ध होगा। इंडस्ट्री और इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए लालड़ू में निवेश करने के लिए कंपनियों को विभिन्न इंसेटिव्स दिए जा रहे हैं। इनमें कर छूट, सब्सिडी और अन्य रेगुलेशंस जैसे वित्तीय इंसेंटिव्स और ‘इन्वेस्ट पंजाब’ पहल के तहत कुछ नॉन-फिस्कल इंसेटिव्स भी शामिल हैं