News4All

Latest Online Breaking News

मोहाली/ फोर्टिस हॉस्पिटल ने बेरिएट्रिक सर्जरी पर प्रशिक्षण कार्यशाला (ट्रेनिंग वर्कशॉप) का किया आयोजन

✍️ सोहन रावत, चंडीगढ़

मोहाली : फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली ने उत्तर भारत में पहली बार बेरियाट्रिक सर्जरी पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें जम्मू-कश्मीर, पंजाब और हरियाणा के सर्जनों को प्रशिक्षित किया गया।

इस दौरान डॉ. अमित गर्ग, बेरिएट्रिक और एडवांस्ड लेप्रोस्कोपिक सर्जन, फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली ने मोटापे से संबंधित विभिन्न जटिलताओं और बेरिएट्रिक सर्जरी प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि ‘‘ मोटापे से पीड़ित होना न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरा है, बल्कि हृदय रोगों के अलावा मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हाई कोलेस्ट्रॉल, जोड़ों के दर्द जैसी कई शरीर को कमजोर करने वाली बीमारियों के लिए एक खुला निमंत्रण है। वजन कम करने के लिए संघर्ष कर रहे और मोटापे से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करने वालों के लिए अब बेरियाट्रिक सर्जरी में उम्मीद की किरण नजर आ रही है।’’

फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली पूरे उत्तर भारत में एकमात्र अस्पताल है जो अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार मधुमेह और मोटापे से ग्रस्त मरीजों के इलाज के लिए विभिन्न प्रकार की सर्जिकल मेडिकल प्रोसीजर्स की पेशकश करता है।

बेरिएट्रिक सर्जरी के विभिन्न रूपों पर चर्चा करते हुए, डॉ.गर्ग ने कहा कि ‘‘मोटापा अब एक कॉस्मेटिक इश्यू नहीं है, बल्कि एक मेडिकल रोग है। वजन घटाने के लिए बैरिएट्रिक सर्जरी सबसे सफल और वैज्ञानिक रूप से सिद्ध तरीका है। इनमें रॉक्स-एन-वाई गैस्ट्रिक बाईपास, मिनी गैस्ट्रिक बाईपास, स्लीव गैस्ट्रेक्टॉमी, स्लीव गैस्ट्रेक्टॉमी विद प्रॉक्सिमल जेजुनल बाइपास, लूप डुओडेनोजेजुनल बायपास विद स्लीव गैस्ट्रेक्टोमी और एडजस्टेबल गैस्ट्रिक बैंडेड प्लिकेशन जैसी कई वजन घटाने वाली अलग अलग तरह की सर्जरीज शामिल हैं।’’

रोगी को बैरिएट्रिक सर्जरी की आवश्यकता है या नहीं, यह परिभाषित करने वाले मापदंडों के बारे में बताते हुए, डॉ गर्ग ने कहा कि ‘‘आयु, बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई), सामाजिक आदतें और मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी संबंधित रोग को ध्यान में रखते हुए ये तय किया जाता है किस तरह की बेरियाट्रिक सर्जरी करानी होगी। यदि बीएमआई 35 से ऊपर है और रोगी को मधुमेह, उच्च रक्तचाप या स्लीप एपनिया है, तो बेरिएट्रिक सर्जरी उपचार की सबसे आदर्श लाइन है।’’

बेरिएट्रिक सर्जरी कराने के लाभों पर, डॉ. गर्ग ने कहा कि ‘‘बेरियाट्रिक सर्जरी बेहतरीन रिकवरी के साथ सरल और लगभग रक्तहीन सर्जिकल प्रक्रिया है। किसी भी अन्य लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की तरह इसमें भी काफी तेजी से रिकवरी होती है और रोगी को आमतौर पर तीन दिनों के भीतर छुट्टी दे दी जाती है। यह प्रक्रिया रोगी के हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और यहां तक कि कैंसर के जोखिम को हमेशा के लिए कम करती है। बैरिएट्रिक सर्जरी न केवल वजन घटाने वाली सर्जरी है बल्कि एक रोग के तौर पर मोटापे का शिकार रोगियों के लिए एक जीवन रक्षक सर्जरी है।’’

डॉ. गर्ग ने चर्चा के दौरान बताया कि कैसे एक 53 वर्षीय मरीज का वजन 151 किलोग्राम और बीएमआई 70 किलोग्राम/एम2 था और उसकी बैरियाट्रिक सर्जरी हुई और वह दो साल की अवधि में लगभग 90 किलोग्राम वजन कम करने में सक्षम और सफल रहा।

जांच के बाद, एक अन्य रोगी वंदना शर्मा ने गंभीर ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के साथ हॉस्पिटल में आई और मोटापे से संबंधित समस्याओं के कारण वे कुछ अधिक काम नहीं कर पाती थीं। वे अधिकांश समय एक ही जगह पर बैठी रहने के लिए मजबूर थीं। रोगी ने 1 जुलाई, 2019 को फोर्टिस अस्पताल, मोहाली में डॉ.अमित गर्ग से मुलाकात की, जिन्होंने उन्हें बताया कि बेरियाट्रिक सर्जरी उनकी स्वास्थ्य स्थिति के लिए आदर्श उपचार होगी। रोगी वंदना शर्मा की 10 जुलाई, 2019 को लैप्रोस्कोपिक मिनी गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी हुई। फोर्टिस मोहाली में अच्छे पुनर्वास के बाद, मरीज को सर्जरी के छह दिन बाद छुट्टी दे दी गई। इस साल 20 जुलाई को अपने हालिया फॉलो-अप के दौरान, रोगी ने अपनी सर्जरी को लेकर कोई मुश्किल नहीं दिखाई, और वे नींद संबंधित समस्या स्लीप एपनिया और अन्य सह-रोगों से भी उबर गई हैं।

आईआरडीएआई (इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के दिशानिर्देशों के अनुसार, 1 अक्टूबर, 2019 से कैशलेस आधार पर स्वास्थ्य बीमा कवर के तहत बेरिएट्रिक या वजन घटाने की सर्जरी को शामिल किया गया है। इस संबंध में जारी नए अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देशों के अनुसार, 37.5 किग्रा/एम2 से अधिक बीएमआई वाले रोगियों में मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए उपचार की पहली पंक्ति के रूप में बेरिएट्रिक सर्जरी की घोषणा की गई है।