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सहरसा/ राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित कवि नन्दकिशोर लाल “नंदन” की याद में स्मृति समारोह आयोजित

: न्यूज़ डेस्क :

बुधवार को 24 घंटे के रामायण पाठ से हुई सामारोह की शुरुआत

प्रबुद्धजनों के द्वारा “नंदन द्वार” का किया गया उद्घाटन

इसी शुभ अवसर पर प्रकाश प्राण रचित काव्य संग्रह “तेरे लिए” का भी किया गया विमोचन


पंचगछिया (सहरसा) : राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध कवि स्व0 नंद किशोर लाल “नंदन” की याद में बुधवार से स्मृति पर्व सामारोह रूपी कार्यक्रम की शुरुआत की गई । इसके अंतर्गत कवि जी के पैतृक गाँव बिहरा में उनके पुत्र अरविंद कुमार के द्वारा बुधवार से 24 घंटे के लिए रामायण पाठ शुरू किया गया । गुरुवार को रामायण पाठ की समाप्ति के बाद मुख्य कार्यक्रमों का आयोजन किया गया ।


इस अवसर पर गौरीशंकर स्थान में अध्यक्ष महाकान्त राय, महन्त बाबा कन्हैया दास, उमाकान्त लाल दास, शशिशेखर वर्मा, जगदीश सिंह एवं सभी पारिवारिक सदस्यों द्वारा संयुक्त रूप से “नंदन द्वार” का उद्धाटन किया गया गया तथा सामूहिक रूप से दीप प्रज्वलित कर समारोह का शुभारम्भ किया गया । स्व0 नन्द किशोर लाल “नंदन” के चित्र पर सभी आगन्तुकों ने पुष्पाञ्जलि अर्पित करते हुए उन्हें याद किया । इस अवसर पर आशुकवि नन्दन जी द्वारा लिखित लोकप्रिय “कोशी गीत” की प्रस्तुति उनके पुत्र अरविन्द कुमार द्वारा दी गई।


नन्दन जी के व्यक्तित्व और उनके साहित्यिक अवदान की चर्चा करते हुऐ डॉ सतीश ने कहा कि उनकी स्मृति में प्रत्येक वर्ष इस समारोह का आयोजन किया जाना चाहिए जिससे हमारे समाज को प्रेरणा मिलती रहेगी । उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर श्यामानन्द सहर्ष ने कहा कि नन्दन जी ने इस छोटे से गाँव बिहरा से जीवन प्रारम्भ कर राष्ट्रीय फलक पर अपनी पहचान आशुकवि के रूप स्थापित की।


प्रसिद्ध कवि प्रकाश प्राण ने उनके द्वारा रचित एवं प्रकाशित सात पुस्तकों और उनके व्यक्तित्व पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला।उन्होंने अगले स्मृति समारोह के आयोजन पर उनके संस्मरण में एक स्मारिका प्रकाशित करने की बात भी कही।

अपने अध्य्क्षीय भाषण में महाकान्त राय ने कहा कि नन्दन जी की प्रतिमा इस गाँव में दौड़मा मोड़ पर स्थापित की जानी चाहिए । नंदन जी के पुत्र अरविंद कुमार ने बताया कि उनके पिताजी द्वारा रचित कुछ काव्यों की पांडुलिपियों को भी संग्रहित कर भविष्य में प्रकाशित किया जाएगा ।


कार्यक्रम के दूसरे सत्र में प्रकाश प्राण द्वारा रचित काव्य संग्रह “तेरे लिये” का भी विमोचन किया गया । बाद में पिता नन्दन जी द्वारा अपने बाल्यकाल में अपने ऊपर लिखी कविता का पाठ भी किया गया ।

शशिशेखर वर्मा ने नन्दन जी की मशहूर कविता “बम्बई की छोटी झलक” की पंक्तियाँ उद्धृत करते हुऐ सभी आगन्तुकों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस विशेष अवसर पर अनेक गण्यमान्य लोगों के साथ साथ परिवार एवं समाज के भी कई लोगों ने सम्मिलत होकर उन्हें कवि जी को याद किया ।