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पूर्णिया/ लगभग तीन दशक से बंद चीनी मिल को खोलने की बढ़ी माँग

: न्यूज़ डेस्क :

इस मुद्दे पर अनेक समाजसेवी आए एक साथ

जल्द नहीं शुरू किया गया तो होगा आंदोलन : प्रभात यादव

बनमनखी (पूर्णिया) : किसान गन्ने की खेती कर खुशहाल रहते थे, उन्हें इससे नकद पैसे मिलते थे, जिससे परिवार चलाना आसान होता था । चीनी मिल से अन्य रोजगार भी मिल जाता था लेकिन चीनी मिलें बंद होने से खेती और किसानी दोनों की कमर टूट गयी है और नेताओं के लिये यह सिर्फ चुनावी मुद्दा बनकर रह गया । यह दर्द बनमनखी के किसानों का है जहां पिछले तीन दशक से चीनी मिल बंद है।

बुधवार को सामाजिक कार्यकर्त्ता प्रभात यादव के नेतृत्व में जमकर हल्ला बोल किया गया। सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की गई। व जल्द से जल्द चीनी मिल चालू करने की मांग की गई। मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता प्रभात यादव ने कहा कि पूर्णिया की बनमनखी चीनी मिल बंद होने से हजारों की संख्या में लोग बेरोजगार हुए हैं, साथ ही गन्ने की खेती पर आधारित कृषि व्यवस्था ध्वस्त हो गयी । उन्होंने कहा कि 1967 में यहां बनमनखी चीनी मिल खोला गया था लेकिन वह भी सरकारी उदासीनता का शिकार होकर बंद हो गयी। बनमनखी का एकमात्र औद्योगिक संस्थान बनमनखी चीनी मिल पिछले 30 साल से बंद है। चीनी मिल बंद होने से हजारों लोग बेरोजगार हो गए। स्थानीय हजारों लोगों का रोजगार एक झटके में चला गया। सभी को आज तक मिल फिर से खुलने का इंतजार है। चीनी मिल बंद हुई यहां के किसानों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। चीनी मिल बंद होने का व्यापक प्रभाव यहां के बाजार पर भी पड़ा है।

हर चुनाव में चीनी मिल का मुद्दा तेजी से उठता रहा है परन्तु चुनाव के बाद पुन: यह ठंडे बस्ते में पड़ जाया करता है। अब तो इस मिल के खुलने की संभावना भी पूरी तरह से क्षीण हो गई है। जानकारी के मुताबिक चीनी मिल की 119 एकड़ भूमि को सरकार ने वियाडा को स्थानांतरित कर दिया है। यहाँ का इतिहास जितना पुराना है उतनी ही गहरी समस्याएं भी है। यहां के लोगों के रोजगार का प्रमुख साधन कृषि है लेकिन न तो यहां कृषि आधारित उद्योग लगाए जा सके हैं और न ही किसानों को फसल का उचित मूल्य मिल पाता है। 1967 में यहां बनमनखी चीनी मिल खोला गया था लेकिन वह भी सरकारी उदासीनता का शिकार होकर बंद हो गयी।

प्रभात यादव ने कहा अगर चीनी मिल चालू नहीं हुआ तो वे हजारों किसान मजदूर के साथ भूख हड़ताल व जन आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता प्रभात यादव के साथ साथ समाजसेवी संजीत कुमार यादव, समाजसेवी सोनू यादव, दीपक यादव, मुकेश स्वर्णकार, रमेश स्वर्णकार आदि लोग उपस्थित थे।