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चंडीगढ़/ प्रशासनिक कमियों का खामियाजा भुगत रहे कांट्रैक्ट कर्मचारी : कांटरैकचुअल कर्मचारी संघ

कांट्रैक्ट कर्मचारियों ने प्रशासन और राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ निकाला गुबार

प्रशासन की निर्णय लेने की अक्षमता व राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी से सैकड़ों कांट्रैक्ट कर्मचारी छंटनी की कगार पर

लोकसभा सभा चुनावों से पहले अपनी मांगों के प्रति हजारों कच्चे कर्मचारियों का शासन व प्रशासन को चेताने व जगाने का हुआ प्रयास

चंडीगढ़ : चंडीगढ़ प्रशासन की कर्मचारी विरोधी नीतियों के चलते चंडीगढ़ के सैंकड़ों कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी नौकरी से बेजार होने जा रहे हैं। जिसमे राजनैतिक पार्टियां और इनके दिग्गज नेता भी बराबर के भागीदार हैं। इनकी नीतियों के चलते कर्मचारी वर्ग सदैव पिसता आया है। लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में कर्मचारी वर्ग इन नेताओं को अपनी अहमियत से अवगत करवाएगा। यह कहना है आल कांटरैकचुअल कर्मचारी संघ भारत के जनरल सेक्रेटरी शिवमूरत का।

लोकसभा सभा चुनावों से पहले वीरवार को हुई इस प्रैस वार्ता में हजारों कांट्रैक्ट, डीसी रेट,एन. एच.एम व आउटसोर्सिंग वर्कर्स ने शासन व प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए अपनी मांगों के प्रति लगातार संघर्ष करने का एलान कर दिया है ।

आल कांटरैकचुअल कर्मचारी संघ भारत ने चंडीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित प्रैस वार्ता में बताया कि यूटी चंडीगढ़ में संवैधानिक विसंगति के चलते वर्ष 1992 से कर्मचारियों पर पंजाब सेवा नियम लागू थे। चंडीगढ़ प्रशासन ने केंद्रीय दिशा-निर्देशों अनुसार रिक्रूटमेंट रूलों के अभाव में पंजाब सेवा नियमों अनुसार सैंक्शन व अन्य पोस्टों पर हजारों की तादाद में कांट्रैक्ट, डीसी रेट व आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों के रूप में तकरीबन 20000 भर्तियां की। लेकिन चंडीगढ़ प्रशासन ने कांट्रैक्ट कर्मचारियों को नियमित करने में कभी कोई पहल नहीं की, हालांकि डेली वेज कर्मचारियों के लिए वर्ष 2014-15 में सर्वोच्च न्यायालय के उमा देवी के निर्णय अनुसार दस साल की सेवा को नियमित किया गया। परन्तु कांट्रैक्ट कर्मचारियों पर न तो पंजाब की पालिसी अपनाई गई और न ही सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार केंद्रीय दिशा-निर्देशों की एक मुश्त पक्का करने की पालना की गई ।

संघ के नेताओं ने आगे बताया कि प्रशासन की निर्णय लेने की अक्षमता व संवैधानिक विसंगति के चलते अफसरशाही अपनी मनमानी से पंजाब और केंद्रीय रूलों में पिक एंड चूज करती रही और कर्मचारी अपने लाभों के लिए कोर्ट की शरण लेते रहे। वर्ष 2022 में तीस वर्ष बाद संवैधानिक विसंगति को दूर करने के लिए चंडीगढ़ में केंद्रीय सेवा नियम लागू किए गए और केंद्रीय दिशा- निर्देशों अनुसार चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा सैंक्शन पोस्टों पर कार्यरत कांट्रैक्ट कर्मचारियों के पदों को खाली मान कर उन्हें नौकरी से बाहर निकालने की कवायद तेज कर दी गई है। प्रशासन द्वारा तीस वर्ष बाद केंद्रीय दिशा- निर्देशों अनुसार युद्ध स्तर पर रिक्रूटमेंट रूल पारित कर व खत्म पदों को पुनर्जीवित कर रैगुलर भर्तियों की तैयारी की जा चुकी है, जिसकी वजह से बिना किसी कसूर के कांट्रैक्ट कर्मचारियों पर छंटनी की तलवार लटका दी गई है।

दूसरी तरफ वर्षों से ही राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी से कांट्रैक्ट कर्मचारियों के मुद्दे लगभग 25 वर्षों से सिर्फ संकल्प पत्रों व मैनिफेस्टो की सिर्फ शोभा बढ़ाने तक ही सीमित हैं। हर बार चुनाव के आने पर इन राजनैतिक पार्टियों के लीडर कर्मचारियों से वादे कर जाते हैं कि सत्ता में आने पर वो निश्चित तौर पर कर्मचारियों की सभी उचित मांगों को लागू करवाएंगे, लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद यह नेता सत्ता में आते ही अपने वादों से मुकर जाते है और कर्मचारियों की मांगों को अनसुना और अनदेखा करना शुरू कर देता है। लेकिन इस बार कर्मचारियों ने थान लिया है वो इन राजनैतिक पार्टियों और इनके नेताओं को अपनी ताकत दिखा देंगे और वोट का बहुत ही समझदारी से उपयोग करेंगे।

प्रशासन द्वारा रिक्रूटमेंट रूल न बनाने व रैगुलर भर्तियां न करने व सुरक्षित पालिसी न बनाने से लगभग 1500 कांट्रैक्ट कर्मचारियों का भविष्य अंधकारमय है। और अफसरशाही राजनीति पर भारी है और कांट्रैक्ट कर्मचारी चंडीगढ़ प्रशासन की दया पर रैगुलर भर्तियों तक ही टिकें हैं और लोकसभा चुनाव के चलते सैकड़ों कर्मचारियों को इन राजनेताओं से भी कोई उम्मीद नहीं है।

आल कांटरैकचुअल कर्मचारी संघ से जुड़े डी सी रेट कर्मचारी समान कार्य समान वेतन की मांग लगातार करते आ रहे हैं परन्तु प्रशासन की अनदेखी इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। लगभग 15000 आऊटसोर्सिंग वर्कर्स के लिए सुरक्षित पालिसी के रूप में हरियाणा प्रदेश की तर्ज पर कौशल विकास व रोजगार निगम अनुसार नौकरी की सुरक्षा की मांग भी प्रशासन द्वारा दरकिनार की जा रही है ।