चंडीगढ़/ 19वीं ब्लाइंड चैलेंज कार रैली 2024 “हमसफ़र” का हुआ सफल आयोजन
चंडीगढ़ : ‘हमसफ़र’ ’19वीं ब्लाइंड चैलेंज कार रैली’ का आयोजन गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) आरुषि इंडिया (भोपाल) द्वारा चंडीगढ़ में किया गया । रैली को सुखना झील से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया, जो लगभग 25 किलोमीटर की दूरी तय करके ओमैक्स क्लब, न्यू चंडीगढ़ में समाप्त हुई। रैली का कॉन्सेप्ट अनोखा था। जबकि वाहन को एक सामान्य दृष्टि वाला व्यक्ति चला रहा था, नेवीगेटर पूरी तरह से दृष्टिहीन था। नेवीगेटर ने उसे दिए गए मार्ग को ब्रेल में पढ़ा और बहुत कुशलता से चालक को अंतिम डेस्टिनेशन तक निर्देशित किया। रैली में सभी कारों को काफी धीमी गति से चलाया गया।
ड्राइवर अनुराग अग्रवाल और नेवीगेटर अर्जुन शर्मा की टीम प्रथम स्थान पर रही। दूसरा स्थान ड्राइवर-इंद्रजीत सिंह और नेवीगेटर-वीरपाल की टीम ने लिया। तीसरा स्थान ड्राइवर स्वजीत बराड़ और नेवीगेटर रामजनम को दिया गया। टॉप तीन नेवीगेटर्स को नकद पुरस्कार दिए गए और विजेता टीमों को ट्रॉफियां भी प्रदान की गईं।
रैली में 50 कारों ने भाग लिया, प्रत्येक कार में एक नेत्रहीन बच्चा नेवीगेटर था और एक सामान्य दृष्टि वाला व्यक्ति ड्राइवर था ।
इन कारों को जिन्होंने हरी झंडी दिखाई इनमें, सोसायटी फॉर हैंडीकैप्ड पटियाला के सचिव कर्नल करमिंदर सिंह (सेवानिवृत्त ); एच एस गुजराल, आईएफएस (सेवानिवृत्त), प्रेसिडेंट, राज्य पर्यावरण सोसायटी पंजाब; धरमिंदर शर्मा (आईएफएस), चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन, पंजाब; गरिमा सिंह, इनकम टैक्स कमिश्नर (ऑडिट), एनडब्ल्यू क्षेत्र; ब्रिगेडियर. विक्रम गोस्वामी (सेवानिवृत्त); और कारगिल युद्ध के दिग्गज मेजर डी पी सिंह जिन्हे लोकप्रिय रूप से ‘ब्लेड रनर’ भी कहा जाता है, शामिल रहे ।
एनजीओ आरुषि इंडिया के सह-संस्थापक अनिल मुदगल ने कहा कि ”द ब्लाइंड चैलेंज कार रैली आरुषि का एक वार्षिक फीचर है। पिछले अठारह वर्षों से आरुषि भोपाल में इस कार रैली का आयोजन कर रही है। 19वां संस्करण चंडीगढ़ में आयोजित किया गया । इस आयोजन ने एक सामाजिक संदेश फैलाने की कोशिश की है कि – कॉर्निया ब्लाइंड लोगों के लिए नेत्रदान की तत्काल आवश्यकता है।”
चिंताजनक बात यह है कि दुनिया की एक-चौथाई दृष्टिहीन आबादी वाले भारत में 30 लाख कॉर्निया दृष्टिहीन लोग हैं और 60% लोग 12 वर्ष से कम उम्र के हैं।
एनडब्ल्यू क्षेत्र की इनकम टैक्स कमिश्नर (ऑडिट) गरिमा सिंह ने कहा कि “मुझे कॉर्निया ट्रांसप्लांट के लिए ‘नेत्र दान’ की भारी कमी के बारे में सूचित किया गया है। चिंता की बात यह है कि भारत में हर साल केवल 25000 कॉर्निया दान किए जाते हैं जबकि पहले से ही ठीक होने का इंतजार कर रहे 2 लाख मरीजों की लंबी सूची में हर साल 30,000 नए मरीज जुड़ जाते हैं। मैं साथी भारतीयों से अपील करुँगी कि वे अपनी आंखें दान करने का संकल्प लें ताकि मृत्यु के बाद उनकी आंखें ‘कॉर्नियल ब्लाइंड’ को दुनिया देखने में मदद कर सकें।’
एनजीओ आरुषि इंडिया के वालंटियर योगेश गेरा ने कहा कि “रैली के पीछे का विचार दृष्टिबाधितों के पास मौजूद कौशल का प्रदर्शन करना भी था।”
रैली के समापन स्थल पर पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित किया गया। उल्लेखनीय है कि ओमैक्स, सैलस फार्मा, ओम ग्रुप और ऑटोवोग कुछ कॉर्पोरेट संस्थाएं थीं जिन्होंने रैली को समर्थन दिया था। रैली की आय का उपयोग दृष्टिहीन और विशेष बच्चों की चिकित्सा, शिक्षा और उपचार के लिए किया जाएगा।