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चंडीगढ़/ सम्पन्न हुआ ‘सिख आर्ट एंड फिल्म फेस्टिवल 2024’

साहित्यकारों, लेखकों, प्रदर्शनीकारों, कलाकारों की रही अच्छी भागीदारी

दिखाई गई देश और विदेश की 18 फिल्में, पेटिंग्स, बुक्स और डाक टिकट एग्जीबिशन जीता सभी का मन

यह व्यापक भागीदारी, सिखलेंस के अगले संस्करणों को और अधिक विस्तारित करने के लिये प्रेरित करेगा : ओजस्वी शर्मा

चंडीगढ़ : साहित्य, फिल्मो, कला प्रदर्शनियों, सांस्कृतिक छठा बिखेरते कार्यक्रमों, बुद्धिजीवियों व लेखकों के विचारों के आदान प्रदान, युवा प्रेरणा, ऐतिहासिक धरोहर को समेटते हुये सेक्टर 18 स्थित टेगौर थियेटर में आयोजित किया गया एक दिवसीय ‘सिखलेंस: सिख आर्ट एंड फिल्म फेस्टिवल 2024’ विश्व के कोने कोने से आये प्रतिनिधियों की मौजूदगी मे सम्पन्न हुआ। इस आयोजन का यह पांचवा संस्करण था जो कि एक नाट फार प्रोफिट प्रयास था और इस सिखलेंस फाउंडेशन द्वारा पिनाका मीडियावक्र्स, रोलिंग फ्रेम्स एंटरटेनमेंट के सहयोग से किया गया था। आयोजन को यूटी प्रशासन के सांस्कृतिक मामलो के विभाग और युनाईटिड सिख मिशन द्वारा भी समर्थन प्राप्त था।

कार्यक्रम का उद्घाटन सिखलेंस के संस्थापक बिक्की सिंह और गुरप्रीत कौर सिंह, सिखलेंस इंडिया के प्रमुख, फेस्टिवल डायरेक्टर तथा नेशनल फिल्म अवार्ड – रजत कमल पुरस्कृत ओजस्वी शर्मा सहित अन्य गणमान्य लोगों की उपस्थिति में किया। अपने संबोधन में बिक्की सिंह ने ऐसे प्रयासों की सार्थकता पर बल देते हुये कहा कि इन प्रयासों से न केवल युवा देश की गौरवमयी संस्कृति से अवगत होते हैं बल्कि बुद्धिजीवी वर्ग जैसे लेखक व फिल्मकार विचारों के आदान प्रदान से अपने कार्यक्षेत्रों में नये आयाम प्राप्त करते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई की आगामी संस्करणों में यह आयोजन अपने विस्तार के साथ असंख्य लोगों को प्रकाशवान करेगा।

गुरमत संगीत के बाद सुबह के पहले फिल्म सत्र के दौरान अपना फर्ज, लोर्ड एंड लेडी सिंह, ब्रेकिंग बैरियर्स दी मानका ढींगरा स्टोरी, मां, दी इनवाईट, सेक्रेड थ्रेड्स इन लीमा, सत श्री अकाल, दी गुरुद्वारा कमेटी और ब्रूस सिंह दी लम्बरबैक शामिल थी।

इसके बाद बारू साहिब स्तिथ एटर्नल यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किये गये जिसमें भांगड़ा प्रमुख रहा। इसी दौरान ‘इतिहास गवाह है’ नामक नाट्यमंचन भी किया गया ।

दोपहर के दूसरे फिल्म सत्र के दौरान दी लीजेंड ऑफ 1972, लाईफ हाकी एंड बियोंड और 1947: ब्रेकजिट इंडिया फिल्मों को प्रदर्शित किया गया ।

इस दौरान हेरिटेज आर्टिफेक्ट एग्जीबिटर्स, लेखक, ओलंपियन, उभरते संगीत कलाकार, धार्मिक विद्वान, डिप्लोमेट्स दर्शकों से रूबरू हुये और अपने अपने संबंधित विषयों पर चर्चा की।

कार्यक्रमों की इसी कड़ी के बीच मुख्य मंच के बाहर थियेटर परिसर में सांस्कृति ऐतिहासिक कृतियों, कला कृतियों, डाक टिकट, पेटिंग्स, फोटोग्राफी, किताबों की झलक भी एग्जीबिशन के रुप दर्शकों को देखने को मिली। लेखकों और कलाकारों को पाठकों और कलाप्रेमियों के साथ सीधा संवाद कायम करने का बेहतरीन तल प्राप्त हुआ।
इसके बाद संगीत प्रेमियों के लिये गुरमत व रबाब संगीत की म्यूजिकल सौगात पेश की गई स्कूली लड़कियों द्वारा जफरनामा रिडिंग्स, सिख मार्शल आर्ट – गतका शाम के आयोजनों की प्रमुख विशेषता रही।

देर शाम तीसरे और अंतिम फिल्म सत्र के दौरान अमेरिकन सिख, दी स्टेविया किंग, दी सिख सोल्जर, रिजीलेंस आफ फेथ, डीम्स, मुंतजर, कुनेक्टिंग दी डोट्स, सिखलेंख कम्युनिटी वायसिस फिल्में दिखाई गई। दिनभर भारत, कनाडा, यूएस, यूके, पाकिस्तान, पेरु व अन्य देशों की कुल 18 लघु फिल्में दिखाई गई जिसमें दर्शकों ने उत्सुक रुचि से देखा।

कार्यक्रम के सफल समापन्न पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुये ओजस्वी शर्मा ने कहा कि आयोजन का उद्देश्य सिख डायसपोरा और महिला सशक्तिकरण को ओर मजबूती देने का प्रयास था। समाज के हर वर्ग ने अपनी रुचि अनुसार कार्यक्रम से जुड़कर इसे सफल बनाया। उन्होनें कहा कि दर्शकों की यह व्यापक भागीदारी उन्हें आगामी संस्करणों को विस्तारित करने में प्रेरित करेगी।