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चंडीगढ़/ प्राचीन कला केन्द्र के छात्रों द्वारा “परम्परा” संस्करण अंतर्गत दी गई शास्त्रीय संगीत की मधुर प्रस्तुतियां

चंडीगढ़ : शहर की प्रतिष्ठित सांस्कृतिक संस्था प्राचीन कला केन्द्र द्वारा आज सेक्टर 35 स्थित एम.एल.कौसर सभागार में मासिक कड़ी परम्परा के अगले संस्करण में केन्द्र के छात्रों द्वारा संगीत की विशेष संध्या का आयोजन शनिवार को संध्या 4 बजे से किया गया । केन्द्र में कार्यरत संगीत शिक्षिका शिवानी अंगरीश के निर्देशन में छात्रों ने अपनी कला का बखूबी प्रदर्शन करके खूब तालियां बटोरी । इसमें 5 से 75 वर्ष तक के लगभग 30 कलाकारों ने भाग लिया ।

कुल सात प्रस्तुतियों से सजी परम्परा में सरस्वती श्लोक से कार्यक्रम की शुरूआत की गई । उपरांत एक समूह भजन ‘‘तन के तम्बूरे में दो सांसों के तार बोले’’ पेश किया गया जिसका सबने खूब आनंद उठाया । इसके बाद कलाकारों द्वारा शुद्ध शास्त्रीय गायन से सजी बंदिश जो कि राग भोपाली में निबद्ध थी जिसके बोल थे ‘‘नमन कर चतुर श्री गुरू चरणा’’ पेश की गई । उपरांत एक खूबसूरत गजल जो कि एकल प्रस्तुति थी, पेश की गई । इस गजल के खूबसूरत बोल थे ‘‘सलोना सा सजन है और मैं हूँ’’ । इस गजल ने दर्शकों की वाहवाही लूटी ।

उपरांत एक प्रसिद्ध भजन ‘‘अच्युतम केशवम्’’ जो कि 5 साल के बच्चों के समूह द्वारा पेश किया गया और दर्शकों की तालियां इस बात की गवाह थी कि बच्चों ने इस कार्यक्रम का खूब आनंद उठाया ।

इसके बाद राग यमन पर आधारित एक शुद्ध शास्त्रीय गायन की रचना ‘‘ऐ री आली पिया बिन सखी’’ प्रस्तुत की गई । कार्यक्रम का अंत में सूरदास के भजन ‘‘दीनन के दुख हरण देव’’ पेश किया गया ।

कार्यक्रम के अंत में केन्द्र की रजिस्ट्रार डॉ.शोभा कौसर ने कलाकारों एवं गुरू शिवानी की भी प्रशंसा की । शास्त्रीय संगीत सीख रहे ये विद्यार्थी देश की खूबसूरत एवं विराट संस्कृति को प्रफुल्लित एवं प्रसारित करने में अपना योगदान दे रहे हैं जो कि केन्द्र द्वारा एक सराहनीय कदम है । भारतीय संगीत की खूबसूरती को नयी पीढ़ी तक पहुँचाने में प्राचीन कला केन्द्र की भूमिका अहम एवं प्रशंसनीय है ।