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मोहाली/ फोर्टिस ने की कैल्सीफाइड कोरोनरी आर्टरी डिजीज के इलाज के लिए इंटरनेशनल वर्कशॉप की मेजबानी

✍️ सोहन रावत, चंडीगढ़

मोहाली : फोर्टिस अस्पताल में अत्यधिक चुनौतीपूर्ण और जटिल कैल्सीफाइड कोरोनरी आर्टरी ब्लॉकेज के उपचार के लिए एक जॉइंट वर्कशॉप का आयोजन कॉर्डियोलॉजिस्ट्स की टीम का नेतृत्व कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड व कैथलैब के डायरेक्टर डॉ. आरके जसवाल के साथ-साथ कार्डिफ़ यूके की यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ऑफ वेल्स के डायरेक्टर डॉ. सीन गैलाघेर के नेतृत्व में किया गया।

डॉ. सीन गैलाघेर इंट्रावास्कुलर लिथोट्रिप्सी के माध्यम से कोरोनरी वाहिकाओं में गंभीर कैल्सीफाइड प्लेग के उपचार में एक जाने माने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त हैं।

इंट्रावास्कुलर लिथोट्रिप्सी (आईवीएल) कोरोनरी और पेरीफेरल वाहिकाओं में गंभीर रूप से कैल्सीफाइड प्लाक के घाव की तैयारी के लिए एक नया दृष्टिकोण है। डॉक्टर मरीज के हाथ या पैर में एक छोटा सा कट (चीरा) लगाकर कैथेटर को हृदय तक पहुंचाता है। कैथेटर के अंत में लिथोट्रिप्सी एमिटर्स प्रेशर वेव बनाते हैं जिनका उद्देश्य कैल्सीफिकेशन को तोड़ना होता है जो हृदय की वाहिकाओं में रक्त के प्रवाह को रोक कर रहा होता है।

वर्कशॉप में एक मरीज का केस उठाया गया, जिसे दिल और धमनी की फेलियर के कारण गंभीर हालत में बठिंडा से फोर्टिस अस्पताल मोहाली रेफर किया गया था।

डॉ. जसवाल ने बताया कि उन्होंने 5 सितंबर को जीवन रक्षक प्रक्रिया के रूप में कैल्सीफाइड वाहिका रोग का इलाज किया। उन्होंने बताया कि उसके बाद उनके हृदय और धमनी की स्थिति स्थिर हो गई। 12 अक्टूबर को, रोगी को इंट्रावास्कुलर लिथोट्रिप्सी की विशेष तकनीक के माध्यम से शेष कोरोनरी घाव के प्रबंधन के लिए लिया गया, जिस पर आज एक जॉइंट वर्कशॉप में चर्चा की गई है।

फोर्टिस अस्पताल, मोहाली ने इस क्षेत्र में रोटेशनल एथेरेक्टॉमी द्वारा कैल्सीफाइड कोरोनरी आर्टरी रोग के इलाज के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में खुद को स्थापित किया है। फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली के पास इस क्षेत्र में इंट्रावास्कुलर लिथोट्रिप्सी की तकनीक का सबसे अधिक अनुभव है।