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चंडीगढ़/ बीआरओ में विश्व के सबसे बड़े 3डी कंक्रीट प्रिंटेड परिसर का हो रहा है निर्माण

सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक राजीव चौधरी ने निर्माण कार्यों के प्रगति का किया निरीक्षण

चंडीगढ़ :रक्षा मंत्रालय के सीमा सड़क संगठन महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने रविवार को बीआरओ के अंतर्गत आगामी हिमांक एयर डिस्पैच यूनिट का दौरा किया और विश्व के सबसे बड़े 3डी कंक्रीट मुद्रित परिसर के निर्माणाधीन कार्यों का निरीक्षण किया।

इस अवसर पर, महानिदेशक बीआरओ ने देश के दूर-दराज इलाकों में सीमावर्ती सड़कों के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के सफल प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में, उन्नत तकनीक और बढ़े हुए बजट के कारण बीआरओ परियोजनाएं तेजी से पूरी हुईं। बीआरओ सीमावर्ती इलाकों में सड़क, सुरंग, पुल आदि का निर्माण कर रहा है।

भारत सरकार की योजनाओं के तहत बीआरओ सीमावर्ती इलाकों में सड़कें बनाकर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को नगरों से जोड़ रहा है। पिछले कुछ वर्षों में 8000 करोड़ रुपये की लगभग 300 बीआरओ परियोजनाएँ पूर्ण की गई हैं।

केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए बीआरओ के लिए 2% बजट बढ़ाया । लद्दाख में 3डी तकनीक वाला एक बीआरओ संग्रहालय भी पाइपलाइन में है।

उन्होंने बताया कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा एलएंडटी कंस्ट्रक्शन के सहयोग से चंडीगढ़ में एक विश्व स्तरीय सुविधा “अत्याधुनिक 3डी प्रिंटिंग तकनीक वाली हिमांक एयर डिस्पैच यूनिट” का निर्माण किया जा रहा है। परिसर में 1.98 एकड़ क्षेत्र में प्रशासनिक भवन और भंडारण सुविधाओं के साथ-साथ अधिकारियों, जूनियर कमीशन अधिकारियों और अन्य रैंकों के लिए आवास की विभिन्न सुविधाएं हैं।

इस सुविधा के पीछे की अवधारणा इसका बायोफिलिक डिज़ाइन है। इसका 3डी परिदृश्य भूमि से लेकर इमारतों तक छतों, बगीचों और बालकनियों को कवर करता है। ये स्थान बाहरी क्षेत्रों को फिर से जीवंत रूप में प्रस्तुत करते हैं और निष्क्रिय डिजाइन को सुविधाओं के रूप में सजीव करते हैं। यह जी+2 कॉन्फ़िगरेशन के साथ 3डी प्रिंटेड इमारतों को डिजाइन करने और बनाने की क्षमता को प्रदर्शित करता है। यह परिसर एलएंडटी के इनहाउस डिज़ाइन और तीव्र निर्माण तकनीक के साथ साथ नवीनतम निर्माण तकनीक है।

इस सुविधा में छह बिल्डिंग ब्लॉक है। छह ब्लॉकों में से पांच का निर्माण 3डी प्रिंटिंग तकनीक से किया गया है और 1 ब्लॉक प्रीकास्ट तकनीक से निर्मित है। जलवायु के प्रति संवेदनशील रूप बनाने के लिए सौर अध्ययन और भवन सिमुलेशन के साथ 3डी प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग किया जाता है। परिणामस्वरूप 180 मिमी मोटी दीवार है जो एमईपी सेवाओं को भी एकीकृत कर सकती हैं। 3डी प्रिंट करने योग्य कंक्रीट पूरी तरह से विकसित किया गया था, जिसे चंडीगढ़ की जलवायु परिस्थितियों के अनुरूप बनाया गया था।

एक बार पूरा होने पर यह सुविधा सीमा सड़क संगठन के लिए लद्दाख क्षेत्र में पुरुषों और सामग्री की आवाजाही के लिए उत्तरदायी पारगमन टुकड़ी के रूप में कार्य करेगी।

यह कैंपस पहली बार इतनी गति और पैमाने के साथ बीआरओ द्वारा इस नवीनतम तकनीक के उपयोग का प्रमाण है, जिसमे विश्व स्तरीय प्रौद्योगिकियों का उपयोग हुआ है, जो मजबूत, टिकाऊ और स्वदेशी रूप से विकसित की गई हैं।

आत्मनिर्भर भारत के वास्तविक सार को सार्थक करती “चंडीगढ़ में बीआरओ की हिमांक एयर डिस्पैच यूनिट सुविधा” 3डी कंक्रीट प्रिंटिंग तकनीक के क्षेत्र में हमारे देश की क्षमता को प्रदर्शित करती है और एक वैश्विक बेंचमार्क स्थापित करती है।

इस अवसर पर उपस्थित अन्य लोगों में हरेंद्र कुमार, एडीजी बीआरओ, ब्रिगेडियर गौरव एस कार्की, मुख्य अभियंता प्रोजेक्ट हिमांक (लेह), कर्नल के एस लवाना, कमांडर 753 टास्कफोर्स प्रोजेक्ट हिमांक और श्री रामचंद्र एसए, प्रोजेक्ट मैनेजर के नेतृत्व में एल एंड टी कंस्ट्रक्शन की टीम के सदस्य शामिल थे।