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सहरसा/ स्वास्थ्य विभाग माना रहा विश्व स्तनपान सप्ताह

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माताओं को स्तनपान का महत्व समझा रहे स्वास्थ्य कर्मी

माँ का दूध बच्चे के लिए श्रेष्ठ ही नहीं बल्कि जीवन रक्षक भी

माँ का दूध पीकर सदा स्वस्थ्य रहता है बच्चा

सहरसा : माताओं में स्तनपान के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से अगस्त माह के प्रथम सप्ताह को पूरे विश्व में स्तनपान सप्ताह के तौर पर मनाया जाता है। इस पूरे सप्ताह माताओं को स्तनपान कराने की सलाह एवं इसके लाभ से अवगत कराया जाता है। नवजात शिशुओं के लिए माँ का दूध अमृत के समान है। स्तनपान शिशुओं को कुपोषण व दस्त जैसी बीमारियों से बचाता है। स्तनपान को बढ़ावा देकर शिशु मृत्यु दर में कमी लायी जा सकती है। शिशुओं को जन्म से छः मास तक केवल माँ का ही दूध पिलाने के लिए स्वास्थ्य संस्थानों में शिशु जन्म बाद माताओं को इस सप्ताह विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिले के सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में शिशु जन्म के बाद माताओं को इसके लिए प्रोत्साहित एवं जागरूक किया जा रहा है।


माँ का दूध बच्चे के लिए श्रेष्ठ ही नहीं, जीवन रक्षक भी

जिला कार्यक्रम प्रबंधक विनय रंजन ने बताया इस दौरान माताओं को स्तनपान कराने के विशेष रूप से प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने बताया स्तानपान शिशु जन्म के बाद एक स्वभाविक क्रिया है। अपने शिशुओं को स्तनपान लगभग सभी माता कराती हैं। परन्तु पहली बार माँ बनने वाली माता को शिशु जन्म के बाद स्तनपान कराने हेतु सहायता की आवश्कता होती है। स्तनपान के बारे में सही ज्ञान के अभाव में जानकारी न होने के कारण बच्चों में कुपोषण एवं संक्रमण से दस्त हो सकता है। शिशु के लिए स्तनपान संरक्षण और संवर्धन का काम करता है। रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति नए जन्मे हुए बच्चे में नहीं होती है। यह शक्ति माँ के दूध से शिशु को हासिल होती है। माँ के दूध में लेक्टोफोर्मिन नामक तत्त्व होता है, जो बच्चे की आंत में लौह तत्त्व को बांध लेता है और लौह तत्त्व के अभाव में शिशु की आंत में रोगाणु पनप नहीं पाते। माँ के दूध से आए साधारण जीवाणु बच्चे की आंत में पनपते हैं और रोगाणुओं से प्रतिस्पर्धा कर उन्हें पनपने नहीं देते। माँ के दूध में रोगाणु नाशक तत्त्व होते हैं। माँ की आंत में वातावरण से पहुँचे रोगाणु, आंत में स्थित विशेष भाग के संपर्क में आते हैं, जो उन रोगाणु-विशेष के विरुद्ध प्रतिरोधात्मक तत्त्व बनाते हैं। ये तत्त्व एक विशेष नलिका थोरासिक डक्ट से सीधे माँ के स्तन तक पहुँचते हैं और दूध के द्वारा बच्चे के पेट में ।


माँ का दूध पीकर सदा स्वस्थ रहता है बच्चा

जिला कार्यक्रम प्रबंधक विनय रंजन ने बताया बच्चा माँ का दूध पीकर सदा स्वस्थ रहता है। माँ का दूध जिन बच्चों को बचपन में पर्याप्त रूप से पीने को नहीं मिलता, उनमें बचपन में शुरू होने वाली मधुमेह की बीमारी अधिक होती है। बुद्धि का विकास उन बच्चों में दूध पीने वाले बच्चों की अपेक्षाकृत कम होता है। अगर बच्चा समय से पूर्व जन्मा (प्रीमेच्योर) हो, तो उसे बड़ी आंत का घातक रोग, नेक्रोटाइजिंग एंटोरोकोलाइटिस हो सकता है। इसलिए माँ का दूध छह-आठ महीने तक बच्चे के लिए श्रेष्ठ ही नहीं, जीवन रक्षक भी होता है।

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