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चंडीगढ़/ श्री चैतन्य गौड़ीय मठ में हरे कृष्णा आंदोलन के सूत्रधार श्री भक्ति सिद्धांत सरस्वती गोस्वामी प्रभुपाद जी की मनाई गई जयंती

✍️ मनोज शर्मा, चंडीगढ़

चंडीगढ़ : श्री चैतन्य गौड़ीय मठ सेक्टर 20, चंडीगढ़ में स्वामी भक्ति सिद्धांत सरस्वती गोस्वामी ठाकुर प्रभुपाद जी का 147वां जन्म महोत्सव बड़ी धूमधाम , हर्षोल्लासपूर्वक मनाया गया। मंदिर में पूरी तरह से उमंग का वातावरण रहा व भक्तों ने अपने महानायक के जन्मदिवस की खुशी में संकीर्तन नाच कीर्तन कर झूम उठे।

कार्यक्रम के पश्चात सैकड़ों भक्तों ने भंडारा प्रसाद ग्रहण कर आनंद प्राप्त किया। मठ के प्रवक्ता जयप्रकाश गुप्ता ने बताया कि प्रात:काल मंगला आरती दर्शन के पश्चात संकीर्तन यज्ञ एवं प्रवचन का कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें भक्तों को संबोधित करते हुए श्री मठ मंदिर के प्रबंधक पूजा भक्ति विकास बामन जी महाराज जी ने कहा कि पूरे विश्व को हरे कृष्ण आंदोलन में भागीदार बनाने के लिए सर्वप्रथम 9 करोड़ हरे कृष्ण महामंत्र  का साधना जाप करने के पश्चात् प्रचार प्रसार के आंदोलन में जुड़कर आज भारतवर्ष ही नहीं विश्व के प्रत्येक देश के कोने-कोने में भगवान श्री चैतन्य महाप्रभु जी द्वारा प्रदत हरे कृष्णा महामंत्र का संदेश  पहुंचा कर पश्चिमी देशों के लोगों को शुद्ध कृष्ण नाम भक्ति का ध्वजवाहक बना कर खड़ा कर दिया।


उन्होंने एक ऐसी विशाल  छत का निर्माण किया जिसमें कोई भी व्यक्ति बिना किसी रंगभेद, बिना किसी धर्म जाति या विचार के आकर कृष्ण भक्ति कर सकता है।

श्री भक्ति सिद्धांत प्रभुपाद जी के पिता श्री भक्ति विनोद ठाकुर जी तत्कालीन समय में जिला मजिस्ट्रेट आईसीएस अफसर के पद पर मौजूद थे। प्रभुपाद जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता में प्रसिद्ध अंग्रेजी स्कूल सेंट कैंब्रिज से प्राप्त की थी। प्रभुपाद जी को बचपन में ही अंग्रेजी डिक्शनरी के 5 लाख शब्दों का ज्ञान प्राप्त था। उन्हें ज्योतिष विज्ञान के बारे में भी पूरी दक्षता प्राप्त थी व ब्रिटिश शासन के दौरान भी शुद्ध भक्ति दैनिक समाचार पत्र का प्रकाशन कोलकाता  से किया करते थे।

 

गौरतलब है कि उन्होंने जो अपना आध्यात्मिक गुरु धारण किया उनका नाम था श्री गौर किशोरदास बाबाजी महाराज, जो बिल्कुल अनपढ़ एवं अंगूठा टेक थे लेकिन गौर किशोरदास बाबाजी महाराज शुद्ध कृष्ण भक्त एवं पूरी तरह से कृष्ण भक्ति द्वारा अपना जीवन समर्पित कर पूर्ण रूप से वैराग्य का जीवन व्यतीत कर रहे थे। उन्होंने श्री गौर किशोर दास बाबाजी महाराज जी को अपना गुरु धारण कर यह साबित कर दिया कि भक्ति के लिए सिर्फ एक ही योग्यता है और वह है भगवान के प्रति समर्पण एवं वैराग्य पूर्ण आचरण भक्ति।

श्री राम सरस्वती स्वामी प्रभुपाद जी ने कृष्ण भक्ति के प्रचार करने के लिए अपने शिष्यों को विश्व के चारों दिशाओं में भेजा एवं भारत  कोने-कोने में कृष्ण नाम प्रचार केंद्रों की स्थापना करवाई थी। आज जो पूरे विश्व में हरे कृष्णा महामंत्र की धूम मची हुई है उसके सूत्रधार पूर्ण रुप से श्री भक्ति सिद्धांत सरस्वती गोस्वामी प्रभु पाद हैं।