साहित्य

कविता/ पूछते खुदगर्ज से !

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सब पूछते खुदगर्ज से
फांसी चढ़ने वाले हैं कहांँ
भारत आजाद करने वाले
वो शख्सियत आज हैं कहांँ

फांसी देने वाले का
आज है कहीं अता-पता नहीं
ऊपर वाले सब देखते हैं
उनके घर में देर है, अंधेर नहीं

आजादी दिलाने वाले तो
आज यहां से चले गए
पर एक सिख दिए सबको
चापलूसी वाले यहाँ रह गए

दो – दो नेता आगे बढ़े
हम बड़े तो हम बड़े
आखिर भारत दो भाग हुआ
ना हम बड़े, ना तुम बड़े

ये हालत हुई धरती माता की
माता उन्हें माफ़ करेगी नहीं
देखो अभी कटोरा पाक की
सबके सामने मजबूर हुआ नहीं

कहते हैं ” कवि सुरेश कंठ ”
पाक अभी इठलाओ नहीं
भारत विश्व गुरु होने वाला है
यह किसी से छिपा नहीं


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