✍️ नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान ककुवा ने मुंडन-शादी दावतों में भोजन बर्बाद होने की चर्चा करते हुए कहा- भइया, एकु हमार जमाना रहय। तब सगरे नेवताहरी पत्तल सफाचट कयके उठत.