विशेष साहित्य

हिंदी दिवस विशेष/ “हिंदी दिवस”, हिंदी भाषा के गौरव की बात है

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हिंदी के हम बनें पुजारी, हिंदी ही अपनी भाषा है।
‘राजभाषा’ हिंदी,”राष्ट्रभाषा” बने अभिलाषा है।।

हिंदी माथे की है बिंदिया, भाषामुकुट का ताज है।
राष्ट्र की है स्वप्न सलोनी, सब पर इसका राज है।।

ज्यादातर तो हिंदी बोलें, आपस में सब बात करें।
हिंदी भाषा में सर्वगुण है, इसी से शुरुआत करें।।

सबको अपना बनाए हिंदी, आपस में संवाद करें।
सुप्रभात, नमस्ते, प्रणाम कहें, जगत में बात करें।।

वंदन, अभिनन्दन, स्वागत, शब्दों से शुरुआत करें।
धन्यवाद, आभार, कृपा, निज शैली में बात करें।।

हिंदी कवियों, लेखकों ने, साहित्य में मान बढ़ाया।
इनके सुन्दर काव्य- लेख, सबको बहुत है भाया।।

सूर, कबीर, तुलसी, बिहारी, जयशंकर एवं हरिश्चंद्र।
हरिऔध, रामधारी, नीरज, महादेवी, मुंशी प्रेमचंद।।

मैथिली शरण, सुभद्रा, टैगोर, हरिवंश राय बच्चन।
रामकुमार, केदारनाथ, धर्मवीर व कुँवर नारायन।।

रसखान, रहीम,जायसी सब, हिंदी भाषा के संत।
निराला, रत्नाकर, चंदबरदाई, सुमित्रा नंदन पंत।।

सर्वेश्वर दयाल, उदय प्रकाश, मुक्तिबोध व अज्ञेय।
सुभद्रा कुमारी, रामचंद्र शुक्ल, लिखे, रहे अजेय।।

माखनलाल, भवानी प्रसाद, श्रीधर पाठक, नन्द।
सोहनलाल द्विवेदी, रामनरेश त्रिपाठी, घनानंद।।

जगनिक, सारंगधर, भूषण, देव, मतिराम, दलपति।
पद्माकर, चिंतामणि, मीराबाई, घनानंद, नरपति।।

नामचीन साहित्यकारों ने, भाषा हिंदी अपनाई।
साहित्य, कहानी, कविता, दोहा, छंद, रचे चौपाई।।

हिंदी दिवस,सप्ताह, पखवाड़ा जैसे सब मनाएँ।
वैसे सब हिंदी प्रेमी, ‘विश्व हिंदी दिवस’ मनाएँ।।

हिंदी के गौरव को मिलके, हमसब और बढ़ाएँ।
विश्व पटल पल हिंदी भाषा का झंडा लहराएँ।।

भारत देश महान है अपना, विश्वगुरु कहलाए।
दुनिया के दिल दिमाग में हिंदी, रच, बस जाए।।


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