✍️ अनिल कुमार श्रीवास्तव
इटौंजा (लखनऊ) : देश की राजधानी को प्रदेश की राजधानी से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर आस्था की अलख जला रहे हठीले हनुमान मंदिर के पुजारी योगीराज तपेश्वर महाराज । उन्होंने धारणा ध्यान समाधि प्राणायाम से 40 दिन भूमि के भीतर रहने की अद्भुत योग साधना से जनमानस के ह्र्दयपटल पर अपनी अलग पहचान बनाई है ।
योग साधक, ईश्वर आराधक बाबा तपेश्वर महाराज की महज 16 वर्ष की किशोरावस्था में ही उनके माता – पिता का देहांत हो गया था। किशोरावस्था में माता पिता के देहांत के बाद सांसारिक मोहमाया से विरक्त हुए तपेश्वर महराज ने बद्रीनारायण धाम के श्री 1008 प्रेमानन्द पारसमणि के सानिध्य में आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया। उसके बाद आचार्य श्री राम शर्मा के विचारों को आत्मसात कर गायत्री शक्ति पीठ का प्रचार प्रसार भी किया व आचार्य से 16 प्रकार के कर्मकांड, घरेलू संस्कार भी सीखे ।
हिमालय, उत्तराखण्ड के धर्म, योग गुरुओ के मार्गदर्शन में योग, अध्यात्म, संस्कृति की शिक्षा लेकर लगभग तीन दशक पूर्व उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ लौटे श्री 1008 प्रेमानन्द पारसमणि के परम् शिष्य स्वामी तपेश्वर महाराज ने लखनऊ के ग्रामीणांचल में आस्था, संस्कृति का जनजागरण की बुनियाद एक अलग अंदाज में रखी।
जाड़ा, गर्मी, बरसात हर मौसम में तपेश्वर महराज पूजा की थाल लेकर प्रातःकालीन धार्मिक जनजागरण नित्यरूप से थाना चौराहा इटौंजा के आसपास करते हैं। वर्तमान में इस चौराहे पर फ्लाईओवर ब्रिज बन गया है। इस पुल के नीचे चारो पर बाबा पूजा की थाली लेकर जन जन को प्रसाद वितरण करने के साथ साथ टीका लगाने का प्रयास करते हैं। बाबा लोगो से हठीले हनुमान की महिमा का वर्णन करते नही थकते हैं ।
उसके बाद हठीले हनुमान मंदिर के पुजारी बाबा तपेश्वर महराज, माल रोड स्थित हठीले हनुमान मंदिर थाना चौराहा इटौंजा ( राष्ट्रीय राजमार्ग दिल्ली_लखनऊ पुल के नीचे) में नियमित रूप से पूजा अर्चना करते हैं। दोपहर को मंदिर में ताला पड़ जाता है। फिर शाम को मन्दिर में नियमित पूजा अर्चना होती है। बाबा यज्ञ, कथा, भागवत व घरेलू संस्कार भी करवाते हैं।