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चंडीगढ़/ शैक्षणिक कार्यक्रम CIIST360 मेें देशभर के लगभग 250 कार्डियोलॉजिस्ट हुए शामिल

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20 से 30 वर्ष के युवाओं को हार्ट अटैक आना चिंताजनक : डॉ एच.के. बाली

तेजी से बढ़ रही हृदय रोग कार्डियोलॉजिस्ट के लिए बड़ी चुनौती

सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट एच के बाली बोले नई नई तकनीकों और दवाईयों से ईलाज संभव

चंडीगढ़ : हृदय रोग चिंताजनक दर से बढ़ रहे है। भारत में 20 और 30 वर्ष के युवाओं को हार्ट अटैक आ रहे हैं, बढ़ते मामले हृदय रोग विशेषज्ञोंं (कार्डियोलॉजिस्ट) के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है। इस दिशा में निरंतर शोध जारी है। इसी कड़ी में हार्ट फाउंडेशन द्वारा लिवासा अस्पताल के सहयोग से कार्डियोलाजी के क्षेत्र में हो रहे नवीनतम शोधों की जानकारी साझा करने के लिए रविवार को चंडीगढ़ में एक शैक्षणिक कार्यक्रम CIIST360 का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर के नामी 250 से ज्यादा कार्डियोलाजिस्ट व फिजिशियन ने अलग -अलग हृदय रोगोंं और इस बीमारी के ईलाज से जुड़ी नई नई तकनीकों पर मंथन किया। इस दौरान कुछ चुनिंदा केसों पर बात हुई।

हार्ट फाउंंडेशन के संस्थापक संरक्षक और लिवासा अस्पताल के कार्डियक साइंसेज के चेयरमैन डॉ एच के बाली ने कहा कि नई नई तकनीकें और दवाईयां आज लाखों हृदय रोगियों की जान बचा रही है। खासकर उन लोगों की जिनका हृदय सामान्य ढंग से काम नहीं करता है और पारंपरिक तारीकों से ईलाज नहीं किया जा सकता है। ऐसे मरीजों की एंजियोप्लासी के दौरान उनके हृदय में एक लघु पंप इम्पेला डाला जाता है, ताकि वह बेहतर परिणाम आ सके और वह तेजी से रिकवरी कर सकें। इसके साथ उन्होंंने आईवीयूएस या ओसीटी का उपयोग करके इमेज -गाइडिड एंजियोप्लास्टी के महत्व पर जोर दिया, जो बेहतर अल्पकालिक और दीर्घकालिक परिणाम प्रदान करता है। इसके साथ उच्च सर्जिकल जोखिम वाले बुजुर्ग रोगियों के लिए टीएवीआई (ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व इम्प्लांटेशन) नामक परक्यूटेनियस तकनीक सुरक्षित है।

डॉ.एमके दास (कार्डियोलॉजिस्ट, कोलकाता) ने बताया कि हार्ट फेलियर के मामलों के रोगियों के और प्रंबंधन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तेजी से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। कई अस्पतालों में हृदय रोगियों से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करने के लिए एआई का उपयोग कर रही है।

डॉ टीएस क्लेर (कार्डियोलॉजिस्ट, दिल्ली) ने कहा कि अनियमित दिल की धड़कन (एट्रियल फाइब्रिलेशन) एक बहुत ही आम समस्या बनती जा रही है और यह स्ट्रोक का एक महत्वपूर्ण कारण हो सकता है। ऐसे रोगियों का इलाज अब संभव है, विशेषकर रोग की प्रारंभिक अवस्था में एब्लेशन प्रक्रियाओं से ईलाज किया जा सकता है। वर्तमान में उपलब्ध 3डी ईपी सिस्टम से एब्लेशन प्रक्रियाओं की सफलता में काफी वृद्धि हुई है ।

डॉ अरुण चोपड़ा (सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट) ने कहा कि
हार्ट फेलियर वाले कई रोगियों को हृदय की कार्यप्रणाली में सुधार करने और उनमें अचानक हृदय गति रुकने से रोकने के लिए पेसमेकर की आवश्यकता होती है। चयनित रोगियों में ये उपकरण उनके लेफ्ट वेंट्रिकुलर कार्य को बेहतर बनाने में बहुत प्रभावी हो सकते हैं ।

प्रोफेसर अजय बहल ने बताया कि हृदय रोगियों के लिए दवाओं के सभी चार समूहों को जल्द से जल्द शुरू किया जाना चाहिए । साथ ही अधिकतम लाभ के लिए उनकी खुराक को दिशानिर्देश- निर्देशित स्तर तक बढ़ाया जाना चाहिए ।

डॉ. हिमांशु गुप्ता (कार्डियोलॉजिस्ट, पीजीआई) ने कहा कि इमेज गाइडेंस, रोटा एब्लेशन, इंट्रावस्कुलर लिथोट्रिप्सी और कटिंग बैलून जैसी तकनीक भारी कैल्सीफाइड कोरोनरी धमनियों के इलाज के लिए काफी कारगर हैं ।

डॉ. अतुल माथुर ने बताया कि जटिल कैरोटिड धमनी ब्लाकों के लिए एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग अहम है। बुजुर्गों में स्ट्रोक का खतरा ज्यादा होता है इसलिए इलाज में कोताही नहीं बरतनी चाहिए।


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