साहित्य

कविता/ पूर्ण करें सभी कार्य

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✍️ कवि सुरेश कंठ
 बथनाहा, अररिया (बिहार)

धन दौलत कितना भी हो
कुछ भी नहीं है अपना

एक समय ऐसा आएगा
सब धन दिखेगा सपना

चार स्तर की है जिंदगी
जिसे निभाना जरूरी है

कर्म हमेशा चलती रहेगी
जिंदगी परम अधूरी है

कितनो कार्य करें जीवन में
इसका कोई ओर छोड़ नहीं

कुछ समय यह अपना मानो
पर यह सब भी सत्य नहीं

धर्म-कर्म सब इसी में करना
इसका कोई हिसाब नहीं

करना है तो कठिन कार्य भी
सब कार्य अपने बस में नहीं

कहते हैं कभी सुरेश कंठ जी
सभी कार्य करना संभव नहीं

है मानव के सभी कर्णधार
पूर्ण करें कार्य, पछताएं नहीं


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