साहित्य

कविता/ सीखना जरूरी है

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किए हुए अच्छे कर्म का
फल तो अच्छा ही मिलेगा
अभी का बीता हुआ कल
कभी लौट कै नहीं आयगा

समय बहुत मूल्यवान है
उसे जाने नहीं देना है
पढ़ना लिखना जरूरी है
उसे छोड़ मत देना है

पहले तो मिले “दो टूक रोटी”
फिर सृजन कर के आगे बढ़े
एक-एक शब्द का अर्थ जाने
समझ – बुझ कर आगे बढ़े

अभी”उपवन में फूल खिले”हैं
जो अभी धरातल पर हरा है
सुगंध महसूस तो होती है
पर सभी पिटारा धरा है

अब”जाग उठी इंसानियत”
यह पता हमें होनी चाहिए
बढ़ते रहे साहित्यिक पहल
ये हमें विश्वास होना चाहिए

आगे क्रम बढ़ता ही रहेगा
रुकने का कभी नाम नहीं
जब तक जान में जान है
डंका बजाना छोड़ेंगे नहीं

कुछ सीख लेना जरूरी है
चाहे वह विचाराधीन हो
मनुष्य में ज्ञान जरूर होगी
चाहे वह पढ़ने से मजबूर हो

मन से कहें “कवि सुरेश कंठ”
सुरू किए ” दो टूक रोटी ” से
कुछ सीख लेते हैं आपसे
प्रशन्न हो जाते हैं सम्मान से


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