सुपौल/ गर्भवती माताओं को एनिमिया मुक्त करने के लिए सरकार कटिबद्ध
जिले के सभी गर्भवती माताओं का हो चार प्रसव पूर्व जांच
उच्च जोखिम वाले गर्भवतियों की पहचान जरूरी
एनिमिया मुक्त करने के लिए वितरित की जाएगी गोलियाँ
सुपौल : राज्य में मातृ-शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए पूरी तरह कटिबद्ध है। इसके लिए गर्भवती माताओं का गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जांच एवं उच्च जोखिम वाले गर्भवती माताओं की पहचान करते हुए उनके उचित प्रसव प्रबंधन उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है। एनएफएचएस (राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण) के आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि गर्भवती माताओं में एनीमिया का दर बढ़ रहा है। एनएफएचएस- 4 में गर्भवती माताओं में एनीमिया का प्रतिशत 58.3 से बढ़कर एनएफएचएस- 5 में 63 प्रतिशत हो गया है। इसपर ध्यान देने की आवश्यकता है।
सिविल सर्जन डा. मिहिर कुमार वर्मा ने बताया जिले के सभी गर्भवती माताओं की चार प्रसव पूर्व जांच करते हुए उच्च जोखिम वाले गर्भवती माताओं की पहचान की जा रही है। इस क्रम में सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देश के आलोक में गर्भवती माताओं को एनीमिया से बचाने के लिए फोलिक एसिड, कैल्शियम एवं आयरन व फोलिक एसिड की गोलियां वितरित किये जाएंगे। उन्हांने बताया गर्भवती माताओं के प्रथम त्रैमास प्रसव पूर्व जांच के दौरान 90 फोलिक एसिड की गोलियां एवं द्वितीय त्रैमास में 360 कैल्शियम एवं 180 आयरन व फोलिक एसिड की गोलियां एक साथ उपलब्ध करायी जाएंगी। यही नहीं गर्भवती माताओं द्वारा उक्त सभी गोलियों का सेवन सुनिश्चित किये जाने के लिए उनका फॉलोअप भी संबंधित एएनएम/ आशा के द्वारा किया जाएगा। धातृ माताओं को भी सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देश के आलोक में 180 आयरन व फोलिक एसिड की गोलियां तथा 360 कैल्शियम की गोलियां एक साथ दिये जाएंगे। इन वितरण की गई गोलियों का संधारण एमसीपी कार्ड पर भी किया जाएगा।
गर्भवती माताओं का एनीमिया से ग्रसित हो जाना एक आम समस्या है। इससे बचने के लिए गर्भवती माताओं को चाहिए कि वे नियमित रुप से सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों पर आयोजित प्रसवपूर्व जांच सत्रों में भाग लेकर अपना चारों प्रसवपूर्व जांच अवश्य करायें। इस दौरान चिकित्सकों द्वारा दिये परामर्श अनुरुप फोलिस एसिड, कैल्शियम व आयरन की गोलियों का सेवन जरूर करें। गर्भवती माताओं का एनीमिया ग्रस्त होना ने केवल उनके लिए बल्कि उनके गर्भ में पल रहे शिशुओं को भी बुरी तरह प्रभावित करता है। यदि कोई गर्भवती महिला एनीमिया से प्रभावित हो जाती है, तो खून की कमी के कारण बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास ठीक से नहीं हो पाता है। जिसके कारण प्रसव के बाद बच्चे कमजोर व बीमार होते हैं।