सहरसा/ 10 से 16 साल के किशोरों को नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत दी जायेगी टीडी वैक्सीन
टेटनस व डिप्थेरिया से बचाता है टीडी वैक्सीन, आरबीएसके टीम करेगी टीकाकरण में सहयोग
सहरसा : राज्य में नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत 10 से 16 वर्ष के किशोर किशोरियों को टीडी वैक्सिन की दो खुराक से आच्छादित किये जाने के संबंध में स्वास्थ्य विभाग ने जरूरी निर्देश दिये हैं। निर्देश में टेटनस व डिप्थेरिया जैसे गंभीर रोगों से बचाव के लिए किशोर किशोरियों को टीडी वैक्सिन की दो खुराक से आच्छादित अपेक्षानुरूप नहीं होने को लेकर इसे सुदृढ़ किये जाने के लिए कहा गया है। राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने सिविल सर्जन और जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी को निर्देश दिया है कि टीडी टीकाकरण टेटनस व डिप्थेरिया जैसे रोग से बचाव के लिए महत्वपूर्ण है। कम उम्र के किशोरों को इन दोनों रोगों का खतरा अधिक होता है। इसलिए इस आयुवर्ग के सभी किशोर किशोरियों को यह टीकाकरण शतप्रतिशत सुनिश्चित किया जाये।
आरबीएसके टीम करेगी टीकाकरण में सहयोग:
निर्देश में कहा गया है कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सभी विद्यालयों में बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की जाती है। स्वास्थ्य जांच के क्रम में ही बच्चों को टीडी की वैक्सीन लगायी जानी है। इस वैक्सीनेशन के तहत टीका के दो खुराक दिये जाते हैं। इसमें आरबीएसके टीम की भूमिका महत्वपूर्ण है। टीडी वैक्सीनेशन को लेकर पीएचसी स्तर से आरबीएसके टीम को हर जरूरी मदद उपलब्ध कराने का निर्देश है। विद्यालयों में टीकाकरण के बाद इसका दैनिक प्रतिवेदन संबंधित पीएचसी को उपलब्ध कराया जाना है। टीडी वैक्सीनेशन के लिए संबंधित कर्मियों को जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी के माध्यम से जरूरी प्रशिक्षण दिया जायेगा। निर्देश में आरबीएसके टीम में कार्यरत चिकित्सक यह सुनिश्चित करेंगे कि विद्यालयों के लिए निर्धारित कार्ययोजना में टीडी टीकाकरण समाहित हो। निर्देश में कहा गया है कि प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी यह सुनिश्चित करें कि आरबीएसके टीम के पास पर्याप्त मात्रा में इंजेक्शन उपलब्ध हो तथा टीका लगाने के लिए एएनएम का सहयोग प्राप्त हो।
टेटनस व डिप्थेरिया दोनों हैं संक्रामक रोग:
सेंटर फॉर डिजीज प्रीवेंशन एंड कंट्रोल के मुताबिक टेटनस और डिप्थेरिया से बचाव के लिए टीडी वैक्सीनेशन किया जाता है। ये दोनों ही संक्रामक रोग है। टेटनस से तंत्रिका तंत्र प्रभावित होती है। मांसपेशियों में ऐंठन, गर्दन व जबड़े में अकड़न व पीठ का आकार धनुषाकार होना इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं। डिप्थेरिया संक्रमण से रोगी को सांस लेने में तकलीफ होती है। गर्दन में सूजन, बुखार व खांसी रहता है।