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कविता/ शिक्षक जले दीप जैसे – उसकी अभिलाषा

✍️ डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता, पी बी कालेज, प्रतापगढ़ सिटी (उ.प्र.)

 

अध्यापक शिक्षा सब को देता है।
शिष्यों को ज्ञान दे उन्हें पढ़ाता है।।

खुद को जला के रोशनी है देता।
विद्यार्थियों को अच्छा बनाता है।।

ये शिक्षक ही राष्ट्र का निर्माता है।
बच्चों का ये तो भाग्य विधाता है।।

रात भर जलना पड़े उसे तो भी।
इस बात कोई भी दुःख नहीं उसे।।

अध्यापक कहता-चाहता क्या है।
सुनों ध्यान से समझो भी तो उसे।।

बन के दीपक वह दे सके रोशनी।
इससे बढ़कर सुख ना होता कोई।।

चाहत केवल एक यही है दिल में।
दिये ज्ञान समृद्ध होसके हर कोई।।

अध्यापक से सिर्फ ज्ञान नहीं मिले।
शिक्षक से जीवन के हर आयाम मिले।।

संदीपन वशिष्ठ विश्वामित्र शिक्षक थे।
आश्रम में कृष्ण राम सबको शिक्षा मिले।।

नेकी के रास्ते चलते सभी हमेशा।
चलते रहने का ये संकल्प हो प्यारा।।

गुरु जैसे दीपक के प्रचुर ज्योति से।
मिट जाये जीवन का तिमिर ये सारा।।

पथ भी प्रशस्त हो विद्यार्थियों का।
जीवन में ज्ञान सदैव आलोक बढ़ाये।।

चरित्र आचरण ज्ञान संस्कार बढ़े।
नई आशायें उँचाइयाँ व विनम्र बनाये।।

सुंदर वर्तमान हो भविष्य हो सुन्दर।
सुखमय जीवन हो हर पल हो सुन्दर।।

शिष्य प्रगति देख खुश हो मन मेरा।
ऐसा खुशहाल सुखद वक्त हो सुन्दर।।

समाज में दिल से हो आदर सम्मान।
शिष्यों का तिलक करें स्वागत गान।।

करें सब तेरे गुणों का हर पल गान।
भूले से भी नहीं कभी हो ये अभिमान।।

जलते दीपक जैसे शिक्षक की आशा।
पूरी हो शिष्यों की जीवन में अभिलाषा।।

हर अध्यापक की शिक्षा का है मूल्य।
जीवन धन्य बना देता शिक्षक निर्मूल्य।।

ईश्वर से बढ़कर केवल होता शिक्षक।
अध्यापक शिक्षा दे सेवा योग्य बनाता।।

जीवन सुखमय और भविष्य सुन्दर।
केवल गुरु अध्यापक ही तो है बनाता।।