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दिल्ली/ राष्ट्रीय राजधानी में 11वें एकल व्याख्यानमाला का मैसाम ने किया सारस्वत आयोजन

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मैथिली में उत्कृष्ट सृजन के लिए दीपिका चन्द्रा को मिला मैसाम युवा सम्मान-2025

दिल्ली : मैथिली कविता के आलोचनात्मक विकास के निहितार्थ अत्यंत व्यापक रहे हैं। यह आरंभिक दौर से ही काफी समृद्ध रहा है। रस, अलंकार, छन्द, अविधा, लक्षणा, व्यंजना आदि के समुचित प्रयोग से आरंभ हुआ इसका विकास विद्यापति जैसे कवियों से शुरू हुआ, जिन्होंने जनता की भाषा में रचनाएं कर मौखिक परंपराओं, लोक साहित्य और आधुनिक विषयों यथा, सामाजिक पतन, राजनीतिक अराजकता और पर्यावरण आदि विषयों को अपनाकर समृद्ध हुआ है।

कवि कोकिल विद्यापति ने जनता की भाषा में कविताएं लिखकर मैथिली साहित्य को खूब लोकप्रिय बनाया, जिससे यह संस्कृत के प्रभुत्व वाले समय में भी जीवित रहने में सक्षम हो सकी। यह बात साहित्य अकादेमी के पूर्व मैथिली प्रतिनिधि अशोक अविचल ने रविवार को मैथिली साहित्य महासभा (मैसाम) के तत्वावधान में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब स्थित डिप्टी स्पीकर हाॅल में ‘मैथिली कविताक आलोचनात्मक विकास आ परिदृश्य’ ‘विषय पर आयोजित एकल व्याख्यानमाला में अपना विचार रखते कहा।
उन्होंने कहा कि समकालीन मैथिली कविता का वर्तमान परिदृश्य विषय-वस्तु में विविधता से संपन्न है। समकालीन कविता सामाजिक पतन, नैतिक दुविधा, समकालीन यथार्थ, सामाजिक चेतना, राजनीतिक अराजकता और मानवीय दुख-दर्द जैसे गहन मुद्दों को उठाती है, जो समय की बदलती धारा के बीच भी इसकी संपन्नता को दर्शाती है। वहीं युवा लेखक सृजन कर्म में अपने विलक्षण योगदान से अपनी रचनाओं में वैश्विक चिंतन को शामिल कर रहे हैं, जो मैथिली कविता के उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभ संकेत है।

व्याख्यान माला की अध्यक्षता सेवानिवृत्त आईपीएस सह पूर्व डीजी संजय कुमार झा ने की। अपने अध्यक्षीय संबोधन में उन्होंने मैथिली काव्य जगत को विकास की दिव्य दृष्टि से संपन्न बताते हुए मैथिली साहित्य के भंडार की श्रीवृद्धि में नयी पीढ़ी की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने मैथिली साहित्य महासभा द्वारा आयोजित मैथिली कविता के आलोचनात्मक विकास और वर्तमान परिदृश्य पर केंद्रित व्याख्यानमाला को उपयोगी बताते हुए इस विषय पर शोध-कार्य को बढ़ावा दिए जाने को मैथिली साहित्य के लिए उपयोगी बताया।

इससे पूर्व अतिथियों के साथ मिलकर मैसाम के अध्यक्ष राहुल झा द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के बीच मैसाम परिवार के सभी सदस्यों द्वारा कवि कोकिल विद्यापति रचित गोसाउनि गीत ‘जय जय भैरवि…’ की सस्वर प्रस्तुति के साथ मैसाम द्वारा आयोजित 11वें एकल व्याख्यानमाला का विधिवत शुभारंभ हुआ। मिथिला के गौरवशाली परंपरा अनुरूप अतिथियों का स्वागत मैसाम के सदस्यों द्वारा मिथिला चित्रकला से सुसज्जित पाग और दोपटा संग किया गया।

स्वागत संबोधन में मैसाम के अध्यक्ष राहुल झा ने मैसाम की विस्तृत कार्य-योजना पर प्रकाश डालते हुए मैथिली साहित्य और संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के लिए मैसाम के अद्यतन योगदान को रेखांकित किया। मैसाम सदस्य अखिलेश कुमार मिश्र के कुशल संचालन में आयोजित कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन मैसाम महासचिव सोनी चौधरी ने किया। इस क्रम में अपना विचार रखते हुए उन्होंने कहा कि आज मैथिली कविताओं का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद हो रहा है, जिससे यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय साहित्य प्रेमियों तक अपनी सशक्त पहुँच बनाते हुए विश्व साहित्य का हिस्सा बन रही है, जो मैथिली साहित्य के स्वर्णिम भविष्य के लिए सुखद संयोग है।

इस अवसर पर मैथिली की युवा कवयित्री दीपिका चन्द्रा को उनकी रचित मैथिली कविता संग्रह ‘चौकठिसँ चान दिस’ के लिए इस साल का मैसाम युवा सम्मान प्रदान किया गया। सम्मान के रूप में प्रशस्ति पत्र के साथ पच्चीस हजार रुपये का चेक अतिथियों के हाथों उन्हें प्रदान किया गया। इस अवसर पर मैसाम की अर्द्धवार्षिक मुख पत्रिका ‘अपूर्वा’ के छठे अंक के साथ राज कुमार मिश्र रचित पुस्तक चाणक्य का भी लोकार्पण किया गया। मौके पर अपूर्वा के संपादक द्वय संजीव कुमार सिन्हा एवं उज्ज्वल कुमार झा ने मैसाम की अर्द्धवार्षिक मुख पत्रिका के प्रकाशन के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि समाज में मैथिली साहित्य के प्रति अभिरुचि जगाना इसके मूल में सन्निहित है। वहीं सृजनात्मक साहित्य के साथ-साथ आलोचनात्मक साहित्य को प्राथमिकता देना इसकी विशेषता है।

कार्यक्रम में मैसाम की कार्यकारिणी के सदस्यों तपन झा, सुबोध झा, हेमंत झा, आशीष नीरज, चंदन झा, प्रेम चौधरी, मनोज झा, निवेदिता झा, राहुल झा वत्स, अरुण कुमार मिश्र, सूर्य नारायण यादव, सुधा ठाकुर, पंकज झा, आनंद दास, पवन ठाकुर, रीता ठाकुर, राज किशोर मिश्र, बबली झा, अभय नाथ मिश्र, रितेश झा, पंकज भास्कर, संजय झा, कविता झा, सरोज झा, रूपेश राजन, सुजीत कुमार आदि सहित मिथिला के अनेक गणमान्य व्यक्तियों की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।


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