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चंडीगढ़/ प्राचीन कला केन्द्र की 302वीं मासिक बैठक में ख़ास रहा डॉ नीरज शांडिल्य का तबला वादन

चंडीगढ़ : अग्रणी सांस्कृतिक संस्था प्राचीन कला केन्द्र द्वारा 302 वीं मासिक बैठक का आयोजन केंद्र के एम एल कौसर सभागार में बुधवार सायं 6:00 बजे से किया गया । जिसमें शिमला के युवा एवं प्रतिभाशाली तबला वादक डॉ नीरज शांडिल्य ने एकल तबला वादक की जोरदार प्रस्तुति से दर्शकों का दिल जीत लिया ।

डॉ. नीरज शांडिल्य एक होनहार युवा तबला वादक जोकि संगीत प्रेमियों के परिवार में पैदा हुए है। इन्होने अपने पिता डॉ. आर.एस. शांडिल्य सेवानिवृत्त प्रोफेसर, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला से संगीत की प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और उनकी संगीत की प्रतिभा को निखारने के लिए उनके माता पिता ने भरपूर योगदान दिया संगीत के प्रति अपने जुनून को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने तबला में एम.ए. की डिग्री और पीएचडी पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला से डॉ. जगमोहन शर्मा की देखरेख में हासिल की हासिल की। वे आकाशवाणी के ए ग्रेड कलाकार हैं जिन्हें उनके एकल प्रदर्शनों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है। वे आकाशवाणी के क्षेत्रीय ऑडिशन बोर्ड के सदस्य के रूप में भी कार्य करते हैं और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR के पैनल में शामिल कलाकार हैं। डॉ. नीरज ने न केवल एकल कलाकार के रूप में संगत करते हुए पूरे भारत में प्रदर्शन किया है।

कार्यक्रम की शुरुआत नीरज ने तीन ताल में पेशकार से की और इसके उपरांत रेले, कायदे, पलटे, पारम्परिक उठान बहुत खूबसूरती से पेश किए । इसके उपरांत इन्होंने पंजाब घराने की कुछ प्राचीन गतें रेले इत्यादि पेश करके खूब तालियां बटोरी । नीरज के सधे हुए वादन में उनकी विशिष्ट शैली की झलक दिखती है । इसके अलावा नीरज ने पंजाब घराने के खूबसूरत बंदिशें का बखूबी प्रदर्शन किया।

कार्यक्रम में इनके साथ इनके पिता डॉ आर एस शांडिल्य ने हारमोनियम पर बखूबी संगत की । कार्यक्रम के अंत में केन्द्र के सचिव सजल कौसर और तबला गुरू पंडित सुशील जैन तथा डॉ जगमोहन शर्मा ने कलाकारों को पुष्प और मोमेंटो देकर सम्मानित किया ।