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चंडीगढ़/ प्रेम विज द्वारा अनुवादित बाल कथा संग्रह ’कर भला हो भला’ का हुआ विमोचन

✍️ सोहन रावत, चंडीगढ़

बाल कथा संग्रह साहित्यकार प्रिंसिपल बहादुर सिंह गोसल द्वारा पंजाबी में लिखी गई है, जिसका हिन्दी अनुवाद वरिष्ठ साहित्यकार प्रेम विज ने किया है

बच्चों का मानसिक स्तर बढ़ाने के लिए बाल कहानियां सुनाना और पढना दोनों लाभप्रद : प्रेम विज

साहित्यिक कार्य के लिए सूक्ष्मता और अर्थ अनुवाद के लिए बहुत मायने रखता है : प्रेम विज

चंडीगढ़ : शिक्षाप्रद कहानियां, कविताएं छोटे बच्चों की मानसिकता का विकास करती है। ऐसी रोचक बाल कथाएं बच्चों का मनोरंजन करने के साथ उन्हें भविष्य में बेहतर बनाने में और शिक्षित करने में अपनी अहम् भूमिका निभाती हैं। यह कहना है वरिष्ठ साहित्यकार व कवि प्रेम विज का। प्रेम विज जिनकी 20 पुस्तकें हास्य व्यंग्य लेख, काव्य, कहानी आलोचनात्मक लेखन पर आधारित है, उनकी 21वीं अनुवादित किताब ’कर भला हो भला’ बाल कथा संग्रह है।

प्रेम विज इस अनुवादित बाल कथा संग्रह ’कर भला हो भला’ ,जिसे प्रिंसिपल बहादुर सिंह गोसल ने पंजाबी में लिखा है जो कि प्रसिद्ध बाल साहित्यकार, शिक्षा शास्त्री, अध्यापक भी हैं, का विमोचन चंडीगढ़ प्रेस क्लब में हाल ही में दिल्ली से आए साहित्यकार रणविजय राव ने किया था। इस दौरान कवि डाॅ विनोद कुमार शर्मा, लेखिका डाॅ सरिता मेहता और किताब के लेखक प्रिंसिपल बहादुर सिंह गोसल उपस्थित थे।

प्रेम विज ने बताया कि इस किताब में 10 कहानियां प्रेरणादायक हैं और बच्चों को इन्हें पढ़कर समाज में एक अच्छा व बेहतर मददगार इंसान बनने की प्ररेणा मिलेगी। उनके व्यवहार में सुधारात्मक वृद्धि होगी।

उन्होंने बताया कि पंजाबी व हिन्दी के बाल विद्यार्थियों को यह किताब एमाजॉन में आसानी से उपलब्ध हो जाएगी, या वह पुस्तक प्रकाशक या अनुवादकर्ता से प्राप्त कर सकते हैं।

प्रेम विज बताते हैं कि अच्छा अनुवाद करना एक कठिन कार्य है लेकिन यदि भाषा का पूर्ण ज्ञान हो तो कठिनाई नही आती। साहित्यिक कार्य के लिए सूक्ष्मता और अर्थ अनुवाद के लिए बहुत मायने रखता है। मेरी इग्लिश, हिन्दी और पंजाबी भाषा में बहुत ही खासी पकड़ है। कहानीकार लेखन प्रिंसिपल बहादुर सिंह गोसल ने बच्चों को कहानियों में चुनिंदा व सरल पंजाबी भाषा का उपयोग किया है जिसे मैंने हिन्दी के चुनिंदा शब्दों में सरल बना कर हिन्दी पाठक बच्चों के लिए सुविधाजनक बना दिया है। उन्होंने बताया कि किताब को अनुवाद करते हुए उन्होंने किसी प्रकार की ट्रान्स्लेशन एप का सहारा नहीं लिया है बल्कि अपनी बौद्धिक क्षमता का उपयोग किया है।

प्रेम विज ने कहा कि साहित्य का अनुवाद यदि हम ज्यों का त्यों कर दे तो पाठक को कुछ ज्यादा समझ नहीं आता और शब्दों के जाल में ही उलझा हुआ रहता है। शब्दों का सही से नही किया गया अनुवाद हास्यप्रद भी बन जाता है। उन्होंने कहा कि शाब्दिक अर्थ का ज्ञान अनुवादक को होना जरूरी है।

किताब के बारे में बात करते हुए अनुवादक प्रेम विज ने बताया कि कर भला हो भला बाल कथा संग्रह में कुल 10 कहानियां हैं। यह सभी कहानियां रोचक और प्रेरणादायक है। बच्चों का मनोरंजन करते हुए शिक्षा भी देती है। नशे से बर्बादी कहानी में नशे के बुरे प्रभावों को बताया गया है। रब की ऐनक कथा में शेर के अहंकार को दर्शाया गया है। एकता में बल कथा में बताया गया कि मिलकर हर संकट पर विजय पाई जा सकती है। सोने की चेन में पक्षियों के प्रति प्यार पैदा किया गया है। बच्चों के शुभ विचार में बच्चों के अच्छे विचारों का जिक्र किया गया है। कर भला हो भला एक बहुत ही प्रेरणादायक कहानी है। स्मार्ट फोन कहानी में फोन के वरदान और बर्बादी दोनों बताई गई है। चालाक बंदर को सबक में सिखाया गया है कि हर बार चालाकी नहीं चलती। कभी बुरा काम न करें में बयान किया गया है कि सपने में भी बुरा काम नहीं करना चाहिए। मोटे कौए की शादी कहानी में दर्शाया गया है कि जिंदगी मिलकर चलती है अपने साथी के साथ हमेशा अच्छा व्यवहार करना चाहिए।

ज्ञात हो कि  प्रेम विज वरिष्ठ साहित्यकार व शहर के नामी कवि होने के साथ साथ संवाद-साहित्य मंच, चंडीगढ़ के अध्यक्ष हैं, तथा चंडीगढ़ साहित्य अकादमी के पूर्व सचिव भी रहे हैं। उनको अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर पर कई मर्तबा उनके लेखन के लिए विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक मंचों द्वारा पुरस्कृत किया जा चुका है। उनकी 20 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है जबकि उनकी 21वीं अनुवादित किताब ’कर भला हो भला’ बाल कथा संग्रह है। उन्होंने रेडियो पत्रकारिता पर भी पुस्तक लिखी है। उनके सक्रियता से चलती कलम के कारण उन्हें पंजाब सरकार द्वारा स्टेट अवार्ड तथा चंडीगढ़ साहित्य एकेडमी अवार्ड ऑफ रिकॉग्नाइज्ड और भाषा विभाग, पंजाब द्वारा से भी सम्मानित किया जा चुका है।