चंडीगढ़/ गुरिंदरजीत सिंह सैनी ने आनंदपुर साहिब लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का किया ऐलान
चंडीगढ़ : पूर्व कांग्रेस नेता गुरिंदरजीत सिंह सैनी ने लोकसभा चुनाव 2024 में आनंदपुर साहिब सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की घोषणा की है। जिससे राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के उम्मीदवारों की मुश्किलें बढ़ना तय है। गुरिंदर जीत सिंह अब आनंदपुर साहिब लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। हालाँकि उनके निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की घोषणा से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें चुनाव न लड़ने के लिए कई प्रलोभन दिए, लेकिन उन्होंने सभी प्रस्तावों को ठुकरा दिया और चुनाव लड़ने का मन बना लिया। उन्होंने अकेले अपने स्तर पर चुनाव लड़ने का यह फैसला नहीं लिया है, बल्कि अपने परिवार के सदस्यों, समर्थकों और कार्यकर्ताओं से सलाह-मशविरा करने के बाद ही यह फैसला लिया है। इसके अलावा उन्होंने नामांकन की तारीख का भी ऐलान कर दिया है।
चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद पत्रकारों से बात करते हुए गुरिंदरजीत सिंह ने बताया कि उनका जन्म चंडीगढ़ में हुआ और बीकॉम तक की पढ़ाई उन्होंने चंडीगढ़ से की और उसके बाद एमबीए- सिम्बोसिस पुणे से की। उन्होंने कहा कि राजनीति उन्हें विरासत में मिली है। रोपड़ के पूर्व विधायक संत अजीत सिंह उनके दादा हैं। राजनीति के बारे में उन्होंने उनसे ही काफी हद तक बहुत कुछ सीखा है।’ उन्होंने कहा कि दूसरी पार्टियों के उम्मीदवार आनंदपुर साहिब संसदीय सीट से न होकर बाहरी हैं, लेकिन वह स्थानीय हैं और उनका पूरा परिवार और रिश्तेदार इसी तरफ से हैं। गुरिंदर जीत सिंह ने कहा कि उनकी राजनीति की शुरुआत साल 1999 में नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया से हुई। फिर वह 2003-2012 तक यूथ कांग्रेस का हिस्सा रहे। इसके बाद वह 2012-2013 तक मेन कांग्रेस में जिला उपाध्यक्ष के पद पर रहे। साल 2014 में उन्होंने खुद को राजनीति से दूर कर लिया और समाज सेवा की ओर रुख कर लिया। इस दौरान उन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों के विकास के लिए कई परियोजनाओं पर काम किया। उन्होंने कोविड कोरोनाकाल के दौरान कोविड रोगियों की देखभाल के अलावा दिहाड़ी मजदूरों को भी सहायता प्रदान की।
गुरिंदर जीत सिंह सैनी ने कहा कि संत बाबा करतार सिंह जी भैरोमाजरा (चमकौर साहिब) का आशीर्वाद हमेशा उनके और उनके परिवार के साथ रहा है। गुरिंदर जीत सिंह ने कहा कि वह लड़ने मात्र के लिए ही चुनाव मैदान में नही हैं, बल्कि जीत का लक्ष्य लेकर चुनाव लड़ रहे हैं। चुनाव जीतने का उनका लक्ष्य समाज की सेवा करना है। वह नशे के लिए बदनाम पंजाब राज्य से इस कलंक को मिटाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इस दिशा में पूरी लगन से काम कर रहे हैं। युवाओं को नशे से दूर रखकर खेल और शारीरिक फिटनेस के प्रति प्रोत्साहित करना भी उनके चुनावी एजेंडे में है। उन्होंने कहा कि संसदीय सीट के लिए उनके पास बहुत सारे एजेंडे हैं, जिन्हें वह अपने चुनावी घोषणा पत्र के माध्यम से सबके साथ जल्द ही साझा करेंगे। ये वो एजेंडे हैं जो उन्होंने लोगों की राय जानने के बाद तैयार किए हैं।
गुरिंदर जीत सिंह का मानना है कि सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियां नशा, महंगाई और बेरोजगारी खत्म करने की बात तो करती हैं, लेकिन हकीकत में इन मुद्दों को खत्म करने के लिए कुछ नहीं करतीं। न ही वे कभी लोगों के पास जाते हैं और उनसे कोई सुझाव लेते हैं कि किस तरह से इन मुद्दों को खत्म किया जा सकता है। उनका मानना है कि हम सभी को इस बारे में गहनता से सोचना चाहिए, लेकिन राजनीतिक दल नहीं चाहते कि ये मुद्दे सुलझें।
गुरिंदर जीत सिंह का ये भी कहना है कि लोगों को उनकी आवाज़ बनना चाहिए और आगे आकर उनके लिए प्रचार करना चाहिए।
ज्ञात हो कि गुरिंदर जीत सिंह सैनी गुरसिख परिवार से हैं। उनकी शिक्षा-दीक्षा चंडीगढ़ में हुई। उनके पिता पंजाब और सिंध बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी थे। उनकी मां एक गृहिणी हैं। संत बाबा खुशहाल सिंह जी (टिब्बी साहिब) उनका पैतृक परिवार से है। वह एक सैनी जाट मिश्रित परिवार से हैं। गुरिंदर जीत सिंह एक सफल आईटी (सॉफ्टवेयर) व्यवसाय के मालिक हैं। वह एक स्पोर्ट्स पर्सन भी रहे हैं। उन्होंने स्टेट बॉक्सिंग में भी गोल्ड और सिल्वर मेडल जीतकर परिवार और राज्य का नाम रोशन किया है।