पंचकूला

पंचकूला/ भजन सम्राट पद्मश्री अनूप जलोटा ने भजनों से किया दर्शकों को मंत्रमुग्ध

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पंचकूला : माता मनसा देवी मंदिर के साथ स्थित गौधाम सभागार में आयोजित भजन संध्या में पिछले दिनों भजन सम्राट पद्मश्री अनूप जलोटा ने अपने भजनों से हजारों की संख्या में उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। श्रोता एक के बाद एक भजन पर साथ गाते रहे और ईश्वर भक्ति में झूमते रहे। सही अर्थों में अनूप जलोटा ने श्रोताओं को भक्ति रस से सराबोर कर दिया। उन्होंने अपने चिर-परिचित अंदाज में भजनों के साथ भगवान की लीलाओं का भी वर्णन किया और कथाएं भी सुनाई जिससे भक्ति रसामृत बरसता रहा। श्रोताओं ने भी अनेक फरमाइशें की जिसको अनूप जी ने पूरा किया। यह भजन संध्या सब की सेवा, रब की सेवा ट्रस्ट और अखिल भारतीय कलाक्षेत्र की संस्था संस्कार भारती की पंचकूला इकाई द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की गई थी।

अनूप जलोटा ने अपने मुख्य भजनों जैसे- ऐसी लागी लगन, कभी कभी भगवान को भी भक्तों से काम पड़े, जग में सुन्दर हैं दो नाम, इत्यादी के इतर कुछ नए भजन भी प्रस्तुत किए जैसे- मेरा जीवन तेरे हवाले प्रभू ,तुलसी की रामायण बोले आदि।

अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि वे माता मनसा देवी मंदिर के दर्शन करने पहले भी आए हैं। यहां का वातावरण बहुत भक्तिमय और आनंदमय है। उन्होंने कहा कि उन्हें हिन्दुत्व पर गर्व है और वर्तमान में हिंदुत्व की भावना बढ़ रही है जो विश्व कल्याण के लिए सकारात्मक है। उन्हें संस्कार भारती संस्था से जुड़कर गर्व का अनुभव होता है क्योंकि यह संस्था ऐसे स्थानों पर ले जाती है जहां जाने की कल्पना भी नहीं होती। संस्था के मूल में ही संगीत और कलात्मकता है। यह कला के क्षेत्र की अग्रणी संस्था है जो मनुष्य मात्र को कला माध्यम से जागृत करते हुए संस्कारित करने का महती कार्य कर रही है। सबकी सेवा रबकी सेवा ट्रस्ट के तो नाम में ही मनुष्यता की सेवा का भाव झलकता है। ऐसी संस्थाएं मनुष्य की निष्काम सेवा करते हुए मानव को मानवता से मिलाने महत्वपूर्ण और आवश्यक कार्य कर रही हैं। आज के समय में जहां पाश्चात्य संगीत बढ़ रहा है वहां अपने भारतीय शास्त्रीय और मधुर संगीत को सहेजने की आवश्यकता है। संगीत में विकृति इसलिए आई है क्योंकि कविता लेखन का स्तर कुछ बदला है। रैप को अधिक पसंद किया जा रहा है जो वैसे तो भारतीय संगीत से ही उपजा है और इसकी जड़ें भी भारतीय संगीत पद्धति में ही हैं। संगीत ही ऐसी विधा है जिससे व्यक्ति आत्मा से परमात्मा के मिलन का सूक्ष्म अनुभव कर सकता है जब वह संगीत या भजन की स्वर लहरियों और धुनों में खो जाता है।

भजन संध्या में मुख्य अतिथियों प्रेम जी गोयल, वरिष्ठ प्रचारक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, 1008 महंत सम्पूर्णानंद ब्रह्मचारी जी, ज्ञानचंद गुप्ता, अध्यक्ष, विधानसभा हरियाणा; कुलभूषण गोयल, महापौर, पंचकूला; अनूप गुप्ता, महापौर, चण्डीगढ; नवीन अंशुमान, उत्तर क्षेत्र प्रमुख, संस्कार भारती; संजय सिंगला,अध्यक्ष, सबकी सेवा रबकी सेवा ट्रस्ट; सुरेश गोयल, अध्यक्ष, संस्कार भारती, पंचकूला इकाई एवं दोनों संस्थाओं के अन्य सभी पदाधिकारीगण तथा सदस्य उपस्थित थे।

भजन संध्या का प्रारम्भ सभी अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर हुआ। तत्पश्चात स्थानीय भवन विद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा संगीत शिक्षिका श्रीमती गोपाल तंवर जी के संगीत निर्देशन में बहुत ही मधुर भजन प्रस्तुत किए गए जैसे-अवध में राम आए हैं, रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने इत्यादि।

तत्पश्चात संस्कार भारती ध्येय गीत हुआ, सभी कलाकारों का विधिवत सम्मान किया गया और भजन संध्या आरम्भ हुई। भजन संध्या की समाप्ति के बाद सभी सहयोगियों और श्रोताओं का आभार व्यक्त किया गया तथा सभी ने श्याम भण्डारा ग्रहण किया।


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