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चंडीगढ़/ बाइलेटरल कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी में शेल्बी हॉस्पिटल हासिल कर रहा महारथ

शैल्बी अस्पताल में 3 बच्चों की बाइलेटरल कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी की गई

चंडीगढ़/ मोहाली : शैल्बी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल, मोहाली में हाल ही में तीन बच्चों की बाइलेटरल कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी की गई। सबसे छोटी चंडीगढ़ की डेढ़ साल की बच्ची है और कुरुक्षेत्र और फतेहाबाद के क्रमशः दो बच्चे दो साल व ढाई साल की उम्र हैं।

शैल्बी अस्पताल के सीनियर कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जन डॉ. धीरज गुरविंदर सिंह ने सोमवार को यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जानकारी देते हुए कहा कि कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी उन बच्चों के लिए एक अनूठी और बहुत फायदेमंद सर्जरी है जो विभिन्न कारणों से जन्म से बधिर होते हैं । उन्होंने कहा की जो बच्चे बधिर पैदा होते हैं वे सामान्य स्पीच क्षमताओं में असमर्थ होते हैं । डॉ धीरज ने आगे बताया कि हियरिंग लॉस (बहरेपन) की समय पर पहचान और कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी द्वारा इंटरवेंशन से बच्चे को हियरिंग के स्तर और स्पीच क्षमताओं को बढ़ाने में मदद मिलती है।

जन्मजात बहरेपन की संभावना हजार नवजात शिशुओं में लगभग 1 से 2 तक होती है। उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चों के लिए जल्दी से जल्दी कॉक्लियर इम्प्लांटेशन ही एकमात्र समाधान है, जो बच्चे को लगभग नॉर्मल हियरिंग दे सकता है।
“मानव मस्तिष्क स्वाभाविक रूप से बिन-ऑरल हियरिंग सिस्टम के लिए प्रोग्राम किया गया है। दोनों कानों से ध्वनि आवेगों को मस्तिष्क में संसाधित किया जाता है जो बच्चे को एक और ध्वनि की दिशा में उन्मुख करने में मदद करता है और दूसरी ओर शोर वाले वातावरण में बेहतर समझ और स्पीच आउटकम में मदद करता है । इसलिए बाइलेटरल कॉक्लियर इंप्लांट बच्चों में स्पीच आउटकम बहुत बेहतर देखे जाते हैं।

कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी के अलावा, शैल्बी में ईएनटी विभाग कान, नाक, गले, साइनस और सिर और गर्दन के कैंसर की सर्जरी और उपचार का एक प्रमुख केंद्र है। शैल्बी हॉस्पिटल मोहाली तेजी से क्षेत्र में अग्रणी कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी सेंटर के रूप में उभर रहा है।