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चंडीगढ़/ सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सीआईएचएम में मीडिया इंटरेक्शन और मिलेट लंच का किया आयोजन

कई सार्वजनिक संस्थाओं के खाने के मेन्यू में मिलेटयुक्त व्यंजन को भी कर दिया गया है शामिल

मिलेट उत्पादक तीन किसानों ने भी साझा किए अपने विचार

ट्राइसिटी के दर्जनों मीडियाकर्मी हुए शामिल

बाजरा वजन घटाने में सहायता करता है : राजिंदर चौधरी (एडीजी, पीआईबी)

चंडीगढ़ : केंद्रीय संचार ब्यूरो, प्रेस सूचना ब्यूरो एवं सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कल मिलेट लंच के साथ मीडिया इंटरेक्शन का आयोजन किया । इसका आयोजन सेक्टर 42 के CIHM के हॉल में किया गया ।

प्रधान मंत्री के नेतृत्व में, भारत सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष (IYM) 2023 के प्रस्ताव को प्रायोजित किया, जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने स्वीकार कर लिया। यह घोषणा भारत सरकार के लिए आईवाईएम मनाने में सबसे आगे रहने के लिए सहायक रही है। भारत के प्रधान मंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ने भारत को ‘बाजरा के लिए वैश्विक हब’ के रूप में स्थापित करने के साथ-साथ IYM 2023 को ‘जन आंदोलन’ बनाने के लिए अपना दृष्टिकोण भी साझा किया है। बाजरा लंच उस दिशा में एक स्वागत योग्य कदम है।

बातचीत के दौरान राजेंद्र चौधरी (एडीजी, पीआईबी) ने कहा, “हमारे प्रधान मंत्री द्वारा 2023 के वर्ष को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में घोषित करना आने वाले समय में गेम चेंजर बन जाएगा। आज की युवा आबादी कम उम्र से ही स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं को देख रही है। बाजरे का सेवन इन स्वास्थ्य समस्याओं से लड़ने में मदद कर सकता है। बाजरा में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स, उच्च प्रोटीन मूल्य होता है और यह लस मुक्त होता है। वे वजन घटाने में भी सहायता कर सकते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “बाजरा के बहुआयामी लाभ हैं। यह न केवल उपभोक्ताओं के लिए बल्कि उत्पादकों और पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। बाजरा का उत्पादन कम पानी और कम बिजली की खपत वाला होता है। उपभोक्ता का स्वस्थ जीवन होगा क्योंकि बाजरा मोटापा, मधुमेह, एनीमिया, हार्मोनल असंतुलन, उच्च कोलेस्ट्रॉल आदि जैसी कई बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। इसलिए, यह पौष्टिक पोषण का एक उत्कृष्ट स्रोत है। आज के आयोजन का उद्देश्य मीडिया की मदद से बाजरा के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। इससे खपत भी बढ़ेगी और बाद में मांग भी बढ़ेगी।”

खेती विरासत मिशन के कार्यकारी निदेशक उमेंद्र दत्त ने कहा की “बाजरा अब मामूली फसलों के रूप में नहीं देखा जाता है। वे गेहूं और चावल चक्रीय कृषि के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। वे हमारे कार्बन पदचिह्न को भी कम कर सकते हैं।” पराली जलाने के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने कहा, “बाजरे का डंठल मवेशियों के लिए बहुत अच्छा चारा है। इसलिए किसान इन्हें नहीं जलाते हैं। यह पंजाब की पराली जलाने की समस्या का संभावित समाधान है।”

पंजाब और हरियाणा के तीन बाजरा उत्पादक रसिंदर सिंह, गुरमुख सिंह और विपुल कंबोज भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे और उन्होंने बाजरा उगाने में अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किया ।


विवेक वैभव (निदेशक, सीबीसी) ने भी इस अवसर पर बात की और बताया कि बाजरा भी जी-20 बैठकों का एक अभिन्न हिस्सा है और प्रतिनिधियों को बाजरा का सच्चा अनुभव दिया जाएगा। संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण की भावना सही मायने में बाजरा 2023 के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के जश्न में देखी जा रही है और वर्तमान बैठक से भी यही इरादा है।

कई सार्वजनिक संस्थाओं के खाने के मेन्यू में मिलेट से बने खाद्य पदार्थों को भी शामिल कर लिया गया है । कुछ विशेष रेस्टोरेंट में भी मिलेट से बने खाद्य पदार्थों के रूप में शामिल किया जाएगा ।

CIHM के छात्रों को मिलेट से बनने वाले व्यंजनों का प्रशिक्षण भी दिया जाता । संस्थान के द्वारा भौतिक प्रशिक्षण के साथ साथ यूट्यूब पर भी इस तरह के प्रशिक्षण को उपलब्ध किया जा रहा है ।

इस कार्यक्रम में पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के दर्जनों पत्रकारों ने भाग लिया । कुछ पत्रकारों ने मिलेट को आम जनों तक पहुँचाने के लिए अपने विचार भी रखे ।