सहरसा/ ठंड के मौसम में बच्चों को निमोनिया का अधिक खतरा : डॉ कुमार विवेकानंद
स्वास्थ्य केंद्रों तथा टीकाकरण सत्र पर बच्चों को निःशुल्क पीसीवी का टीका जरूर लगवाएं
पीसीवी का टीका करेगा शिशुओं का निमोनिया से बचाव
सहरसा : मौसम में बदलाव के कारण अब ठण्ड का अहसास शुरू हो गया है। ऐसे समय मे कमजोर या कम प्रतिरोधक क्षमता वाले बच्चों को निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता है।जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. कुमार विवेकानंद ने बताया कि निमोनिया फेफड़ों में होने वाला संक्रमण है, जो बैक्टीरिया, वायरस, फंगस अथवा पेरासाइट्स के कारण होता है। इससे फेफड़ों में सूजन हो जाती एवं उसमें तरल पदार्थ भर जाता है। बैक्टीरिया और वायरस निमोनिया के प्रमुख कारण होते हैं। यह बीमारी तब होती है जब किसी व्यक्ति की सांस के साथ निमोनिया ग्रस्त कीटाणु उसके शरीर में प्रवेश कर जाता और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता उन कीटाणुओं से लड़ नहीं पाती है । तब ये कीटाणु फेफड़े की वायुकोष्ठिका में बैठकर अपनी संख्या बढ़ाने में जुट जाते हैं। जब शरीर इस संक्रमण से लड़ने के लिए श्वेत रक्त कोशिकाओं को भेजता है, तो वायुकोष्टिकाएं तरल पदार्थों और पस से भर जाती हैं, जिसके कारण निमोनिया होता है।
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. कुमार विवेकानंद ने बताया कि निमोनिया के शुरुआती लक्षण सर्दी खांसी जैसे हो सकते हैं। ज्यादातर कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग इससे जल्दी ग्रसित होते हैं। जिन बच्चों को पीसीवी का टीका नहीं पड़ा हो उन्हें इस रोग की चपेट में आने की संभावना अधिक रहती है। इसमें मवाद वाली खांसी, तेज बुखार एवं सीने में दर्द की शिकायत होती और यह समुचित इलाज के अभाव में जानलेवा साबित हो सकता है। इसमें चिकित्सक द्वारा बताई गई दवाओं के सेवन के साथ गुनगुने जल का सेवन एवं पूरा आराम करना चाहिए। सुखद बात यह है कि इस गंभीर रोग को टीकाकरण द्वारा पूरी तरह रोका जा सकता है। इसलिए अपने बच्चों को संपूर्ण टीकाकरण के अंतर्गत सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर निःशुल्क उपलब्ध पीसीवी का टीका जरूर लगवाएं।
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. कुमार विवेकानंद ने कहा कि निमोनिया से शिशुओं को प्रतिरक्षित करने के लिए पीसीवी न्यूमोकोकल कन्जूगेट वैक्सीन टीका को नियमित प्रतिरक्षण में शामिल किया गया है। न्यूमोकोकल वायरस से बच्चों को बचाने के लिए यह टीका कुल तीन डोज में दिया गया है। पहला टीका बच्चे को डेढ़ महीने पर लगाया जाता है। उसके बाद साढ़े तीन महीने एवं तीसरा टीका नौ माह पर लगाया जाता है। तीनों टीके सरकारी अस्पतालों पर निःशुल्क उपलब्ध हैं एवं नियमित प्रतिरक्षण में इसे शामिल किए जाने से सामुदायिक स्तर पर गरीब तबके के बच्चों को भी इसका समुचित लाभ मिल रहा है।
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी के मुताबिक बुखार के साथ पसीना एवं कंपकंपी होना, अत्यधिक खांसी में गाढ़ा, पीला, भूरा या खून के अंश वाला बलगम आना, तेज और कम गहरी सांस लेने के साथ सांस का फूलना, होंठ एवं उंगुलियों के नाखून नीले दिखाई देना व बच्चों में परेशानी एवं उत्तेजना का बढ़ जाना ,इस बीमारी के लक्षण हैं ।