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धनतेरस विशेष कविता/ धनतेरस (त्रयोदशी) पर्व निराला

धनतेरस का ये पर्व है आता दीपावली से पहले।
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष में चतुर्दशी से पहले।

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में त्रयोदशी के दिन।
सनातन धर्म में पंच दिवसीय शुरू पूजा के दिन।

इस दिन देव-दानव में हुआ विशाल समुद्रमंथन।
धनवंतरि हुए प्रकट ले अमृत कलश हाथ बंधन।

धनवंतरि जी के हाथों में अमृत भरा स्वर्ण घड़ा।
धनतेरस के दिन सोने चाँदी लेने का महत्व बड़ा।

ये मान्यता है इसदिन के खरीद से तेरह गुना बढ़े।
वृद्धि समृद्धि होती घर में लक्ष्मीजी की कृपा बढ़े।

इसदिन धनिया के बीज भी खरीदते रखते घर में।
दीपावली बाद इसे बोते खेतों गमलों वाले घर में।

भगवान धनवंतरि आयुर्वेद के जनक और देवता।
धनतेरस के दिन ये भी पूजे जाएं ऐसे यह देवता।

कायस्थों के घर धनतेरस सेही लक्ष्मीगणेश पूजा।
छोटी दिवाली बड़ी दीवाली में लक्ष्मीगणेश पूजा।

समुद्र मंथन के समय ही धनवंतरि व लक्ष्मी जन्म।
इसीलिए दोनों की पूजा हो धनतेरस के शुभ दिन।

इसदिन घर के ऑंगन में जो यम देव हेतु दीप रखें।
उनकी अकाल मृत्यु कभी न होती है जो दीप रखें।