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पानीपत/ समालखा में 75वें वार्षिक निरंकारी संत समागम का होगा आयोजन

16 से 20 नवम्बर तक आयोजित होने वाले कार्यक्रम की तैयारियाँ जोरों पर

पानीपत/ चंडीगढ़ : विश्वभर के सभी प्रभु भक्तों के लिए वार्षिक निरंकारी संत समागम भक्ति, प्रेम एवं मिलवर्तन का एक ऐसा अनुपम स्वरूप है, जिसमें सभी भक्त सम्मिलित होकर आलौकिक आनंद की अनुभूति प्राप्त करते हैं । इसी दिव्यता की अविरल श्रृंखला को निरंतर जारी रखते हुए सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन सान्निध्य में 75वां वार्षिक निरंकारी संत समागम दिनांक 16 से 20 नवम्बर को संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल समालखा, हरियाणा में आयोजित होने जा रहा है, जिसमें लाखों की संख्या में प्रभु भक्त सम्मिलित होकर सत्गुरु माता जी के पावन आशीष प्रवचनों को श्रवण करेंगे। प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी 75वें वार्षिक निरंकारी संत समागम में विभिन्न संस्कृतियों एवं सभ्यताओं का अनूठा संगम देखने को मिलेगा।


वार्षिक निरंकारी संत समागम की प्रतीक्षा प्रत्येक निरंकारी भक्त को सदैव ही रहती है। हर वर्ष ही भक्तजनों को इन दिव्य संत समागमों में सम्मिलित होने की उत्सुकता बनी रहती है ताकि वह इन सेवाओं में अपना तुच्छ योगदान देकर भरपूर आनंद प्राप्त कर सके। इस समागम में चण्डीगढ़, पंचकुला, मोहाली से हजारों की सख्या में भक्त सम्मिलित होगे। इस वर्ष का संत समागम स्वयं में विशेष है क्योंकि पिछले दो वर्षो में केवल आनलाईन माध्यम द्वारा ही सभी भक्तों ने संत समागमों का आनंद प्राप्त किया। इस वर्ष सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज की पावन छत्रछाया में भक्तों को दिव्य संत समागम में प्रत्यक्ष रूप से सम्मिलित होने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। निसंदेह मिशन के इतिहास में यह समागम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जायेगा क्योंकि यह 75वां वार्षिक निरंकारी संत समागम है जिसका आयोजन भव्य एंव विशाल रूप में किया जा रहा है।

जैसा कि विदित ही है कि समागम परिसर एवं उसके आसपास के क्षेत्रों में सेवाएं आरम्भ हो चुकी है। जिसमें चण्डीगढ़ पंचकुला, मोहाली एंव दिल्ली एन. सी. आर के अतिरिक्त, अन्य राज्यों से भी संतजन पहुँचकर इन सभी सेवाओं में अपना योगदान दे रहे हैं। फिर चाहे वह मैदानों की स्वच्छता हो, ट्रैक्टर की, राजमिस्त्री की, लंगर की सेवा हो अथवा किसी भी प्रकार की कोई अन्य सेवा ही क्यों न हो; सभी संत इन सेवाओं में सम्मिलित होकर हृदय से सत्गुरु का आभार प्रकट कर रहे हैं। इस अवसर पर बच्चे, युवा एवं वृद्ध सभी में एक नई ऊर्जा एवं उत्साह का संचार देखा जा सकता है। आज का युवा वर्ग इस भागदौड़ भरी जिंदगी मंे व्यस्त है, ऐसे समय में निरंकारी मिशन ब्रह्मज्ञान की दिव्य रोशनी द्वारा युवाओं को आध्यात्म से जोड़ रहा है, जिसका जीवंत उदाहरण यह दिव्य संत समागम है, जिसमें सभी वर्ग के भक्त निस्वार्थ रूप से अपनी सेवाओं को निभाते हुए अपने जीवन को सफल बनाने का प्रयास कर रहे हैं।


यह 75वां वार्षिक निरंकारी संत समागम ‘रूहानियत और इंसानियत संग संग’ विषय पर आधारित है जिसमें विश्वभर से वक्ता, गीतकार तथा कविजन अपने प्रेरक एंव भक्तिमय भावों को व्यक्त करेंगे। ‘रूहानियत के एहसास एंव आधार में ही इंसानियत का भाव निहित है। वास्तविक रूप में जब हम समर्पित रूप मंे निराकार परमात्मा के साथ जुड़ते है तब हमारे अंदर स्वतः ही इंसानियत रूपी दिव्य गुण दृश्यमान होने लगते हैं और हृदय में फिर सभी के लिए केवल परोपकार एंव प्रेम की ही भावना उत्पन्न होती है। सत्गुरू माता जी का भी यही दिव्य संदेश है कि मानव जीवन में रूहानियत एवं इंसानियत का संग-संग होना अत्यंत आवश्यक है ।