News4All

Latest Online Breaking News

मधेपुरा/ शिशुओं को उनकी पूरी शक्ति और ऊर्जा के साथ खेलने लायक बनाये रखता है विटामिन डी

शिशुओं के सभी प्रकार के विकास के लिए जरूरी है विटामिन डी :डीपीएम

मधेपुरा : शिशुओं के चहुमुखी विकास में सहायक विटामिनों की भूमिका में विटामिन डी का महत्वपूर्ण योगदान है। ये सूक्ष्म पोषक तत्व यानि विटामिन मानव शरीर के विकास एवं कार्यशीलता बनाये रखने में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं। खासकर विटामिन डी एक ऐसा विटामिन है जो हमें प्राकृतिक माध्यम सूर्य के प्रकाश से मिलती है।

डीपीएम प्रिंस कुमार ने बताया कि पोषण एक बहुत ही पेचिदा प्रक्रिया है। समुचित पोषण पाने के लिए आवश्यक है शरीर का सही संतुलन। किसी तत्व की अल्प मात्रा में भी विटामिन डी को पूरा करने के लिए शरीर ग्राह्य रहता है। खासकर बढ़ते एवं खेलते बच्चों में। अन्य सभी विटामिनों के बीच विटामिन डी ही एक तत्व है जो शिशुओं को उनकी पूरी शक्ति और ऊर्जा के साथ खेलने लायक बनाये रखता है। शिशुओं की हड्डियों को मजबूती, टूटना-फूटना, भार सहने आदि जैसे कई महत्वपूर्ण कार्यो में कैल्सियम व फास्फोरस की अहम भूमिका रहती है। खासकर विटामिन डी यानि कैल्सियम ही यह सुनिश्चित करता है कि शिशुओं के शरीर की हड्डियाँ अन्य आवश्यकताओं से वंचित न रहने पाये। कोशिकाओं की कायर्प्रणाली के सफल संचालन में भी कैल्सियम की अहम भूमिका है।

विटामिन डी की कमी के कारणों का उल्लेख करते हुए डीपीएम प्रिंस कुमार ने कहा कि- सूर्य विटामिन डी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। जो यहाँ के बढ़ते एवं खेलते बच्चों को स्वतः ही मिल जाती है। फिर भी विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थो जैसे- दूध, दही, पनीर, अंडा, मांस-मछली आदि को शिशुओं के भोजन का अभिन्न अंग बनाते हुए शिशुओं को विटामिन डी की कमी से दूर किया जा सकता है।


शिशुओं में विटामिन डी की कमी से होने वाले प्रभावों के बारे में बताते हुए डीपीएम ने कहा कि विटामिन डी की कमी के कारण शिशुओं का शारीरिक विकास अवरूद्ध हो जाता है। , चिड़चिड़पन एवं सुस्ती आ जाती है। , कई बच्चों को दौरे भी पड़ते हैं, जैसे मांसपेशियों में ऐठन एवं कमजोरी महसूस करना, सांस लेने में तकलीफ यानि सांस लेते समय सीटी बजने की आवाज आना, दांत निकलने में देरी होना, हड्डियों में विकृति का आना आदि मुख्य लक्षण हैं।


वैसे शिशु जो सांवले हैं कुछ अधिक देर तक धूप में रह सकते हैं किन्तु गोरी त्वचा वाले शिशु पाँच से पन्द्रह मिनट तक ही धूप में रहकर विटामिन डी प्राकृतिक रूप से प्राप्त कर सकते हैं। विटामिन डी टैबलेट एवं सीरप के रूप में भी उपलब्ध है। उनका भी चिकित्सीय सलाह के अनुरूप सेवन करना चाहिए। बिना चिकित्सीय सलाह के विटामिन- डी के टैबलेट या सीरप का उपयोग न करें। आवश्यकता से अधिक विटामिन- डी टैबलेट या सीरप के उपयोग से बुरे प्रभाव भी सामने आ सकते हैं।