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चंडीगढ़/ सप्तक सोसायटी द्वारा वर्चुअल संगीत कार्यक्रम आयोजित

✍️ सोहन रावत, चंडीगढ़
अध्यापक दिवस पर विद्यार्थियों ने संगीत के माध्यम से अध्यापक के प्रति बरसाया प्यार, दिया गुरु को सम्मान

चंडीगढ़  :
अध्यापक दिवस पर स्वर सप्तक सोसायटी, चंडीगढ़ व  कलकत्ता द्वारा सोसायटी की अध्यक्ष व शास्त्रीय संगीत गायिका व संगीत शिक्षिका विदुषी डॉ संगीता चौधरी(लाहा) के नेतृत्व में आयोजित किया गया जिसमें संगीत के विद्यार्थियों ने गुरु की अर्चना करते हुए मधुर गायन प्रस्तुत कर सभी उपस्थितजनों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस आयोजन में शास्त्रीय संगीत गायिका व संगीत शिक्षिका विदुषी डॉ संगीता चौधरी(लाहा) के विद्यार्थियों ने भाग लिया था इस दौरान विद्यार्थियों के परिजन भी मौजूद थे। कार्यक्रम का उदेश्य विद्यार्थियों द्वारा अपनी संगीत शिक्षिका को इस दिवस पर सम्मान से विभूषित करना था।

कार्यक्रम की शुरुआत नन्हें विद्यार्थी सिद्धार्थ रावत ने गुरु वंदना से की जिसके बाद उन्होंने अध्यापक के प्रति अपने स्नेह को दर्शाते हुए एक खूबसूरत कविता पेश की जिसे सभी ने सराहा। नन्हें विद्यार्थी ऋ षित भारद्वाज आ चल के तुझे मैं लेके चलूं गाना बखूबी प्रस्तुत किया जबकि यूएसए से नन्हीं विद्यार्थी काव्या रॉय नन्हा मुन्ना राही हूं, गाना पूरे स्वर के साथ सुनाया, न्यूजीलैंड से विर्चुअल कार्यक्रम में जुड़ी रिहाना कौशल ने गुरु वंदना मोहे लगी लगन, यूएसए से छात्रा अहाना रॉय ने एकला चोलो अपनी मधुर आवाज में गाकर सुनाया और संमा बांधा। वहीं शास्त्रीय संगीत गायिका अंजलि सूरी ने गुरु बिन कौन संभारे, ममता गोयल ने पियू बोले पिया बोल, रूमा सोनी ने राग भुपाली में अपना गायन प्रस्तुत किया।, वहीं सुमन चड्ढा ने मधुबन में राधिका नाचे री, नवनीत कौर ने जाने क्या बात है, मनीषा घोष ने तुम गगन की चंद्रमा हो, सुनीता कौशल ने भजन जाऊं तोरे चरण कमल, स्मृति वेदव्यास ने मैने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चुने।, तृप्ति गुप्ता ने बंगाली गीत गाकर श्रोताओं से प्रशंसा बटौरी।

इस अवसर पर डॉ संगीता चौधरी(लाहा) ने अपने सभी विद्यार्थियों की गायन कविता प्रस्तुति की भूरि भूरि प्रशंसा की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अध्यापक और विद्यार्थी का रिश्ता सबसे अच्छा होता है। एक विद्यार्थी जिसका कर्तव्य होता है कि वह अपने अध्यापको को सम्मान दें और उनके द्वारा कही हुई बातों को अमल में लाए। जबकि अध्यापक का कर्तव्य होता है कि वह अपने द्वारा दी जाने वाली शिक्षा को विद्यार्थियों को सही मायने में समझाने का प्रयास करें, वे ऐसी शिक्षा उन्हें दें जिससे उनका जीवन उज्जवल हो। उन्होंने बताया कि स्वर सप्तक सोसाइटी की स्थापना 1987 में उनके पिता स्वर्गीय श्री निर्मलेंदु चौधरी द्वारा की गई थी। श्री निर्मलेंदु चौधरी मुखर शास्त्रीय संगीत में उस्ताद थे। स्वर सप्तक सोसाइटी के अध्यक्ष भी थे, जबकि उनकी माता स्वर्गीय श्रीमती मंजू चौधरी प्रसिद्ध गायक स्वर्गीय हेमंत मुखर्जी के  छात्रा रही हैं।